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संसद में कृषि क़ानून रद्द होने तक आंदोलन ख़त्म नहीं होगा: टिकैत

संसद में कृषि क़ानून रद्द होने तक आंदोलन ख़त्म नहीं होगा: टिकैत

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तीनों कृषि क़ानूनों पर ताज़ा घोषणा के बाद भी आख़िर कृषि आंदोलन तुरंत क्यों नहीं ख़त्म होगा? जानिए, किसान नेता राकेश टिकैत ने क्या कहा। 

कृषि क़ानून रद्द करने की घोषणा के बाद क्या अब किसानों का आंदोलन तुरंत ख़त्म हो जाएगा? इस सवाल का जवाब कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसानों के आंदोलन के एक प्रमुख चेहरा राकेश टिकैत ने दिया है। उन्होंने कहा है कि आंदोलन तब तक ख़त्म नहीं किया जाएगा जब तक संसद में इसको रद्द नहीं कर दिया जाता है। बता दें कि 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि एमएसपी और अन्य मसलों पर भी सरकार को अपना रूख़ साफ़ करना चाहिए। तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द किए जाने की प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बाद यह सवाल उठ रहा था कि क्या अब किसानों का आंदोलन ख़त्म हो जाएगा। इसको लेकर राकेश टिकैत ने ट्वीट कर यह साफ़ किया है।

किसान इन तीन कृषि क़ानूनों का विरोध क़रीब एक साल पहले से ही कर रहे हैं। सरकार की सख्ती के बाद भी किसान अहिंसक तरीक़े से लगातार डटे हैं। किसान बीजेपी नेताओं का विरोध कर रहे हैं। कई राज्यों में चुनाव से पहले किसानों ने यह भी अभियान चलाया था कि 'जब तक कृषि क़ानून वापस नहीं हो तब तक लोग बीजेपी को वोट नहीं दें'। माना जाता है कि पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों में इसका असर भी हुआ भी। हाल के कई राज्यों में उपचुनाव में बीजेपी को झटका लगा है।

इसी बीच मोदी सरकार ने आख़िरकार इन क़ानूनों को वापस लेने का फ़ैसला किया। कुछ ही महीनों में उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित कई राज्यों में होने वाले चुनावों से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी घोषणा की है। उन्होंने शुक्रवार सुबह इस बात का एलान राष्ट्र के नाम संबोधन में किया। किसान आंदोलन बीजेपी और मोदी सरकार के लिए जी का जंजाल बन चुका था। हालाँकि आज की घोषणा में मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों की भलाई के लिए ये क़ानून बनाए थे और इनकी मांग कई सालों से की जा रही थी। लेकिन किसानों का एक वर्ग लगातार इसका विरोध कर रहा था, इसे देखते हुए ही सरकार इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में इन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया को पूरा कर देगी। 

सरकार के इस फ़ैसले को विपक्षी दलों के नेताओं ने किसानों के संघर्ष की जीत बताया है। राहुल गांधी ने कहा है कि देश के अन्नदाताओं ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के इस फ़ैसले को 'अन्याय के ख़िलाफ़ जीत' क़रार दिया है। 

बता दें कि तीनों कृषि क़ानूनों को लेकर राकेश टिकैत सरकार पर हमलावर रहे हैं। अगस्त महीने में हरियाणा के करनाल ज़िले में किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज की प्रतिक्रिया में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कह दिया था कि 'देश में सरकारी तालिबान का कब्जा हो चुका है।' उन्होंने कहा था कि देश में सरकारी तालिबान के कमांडर मौजूद हैं और इन कमांडरों की पहचान करनी पड़ेगी। वह लाठीचार्ज का आदेश देने वालों को 'कमांडर' बुला रहे थे।

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ सितंबर महीने में 'भारत बंद' बुलाया गया था। 'भारत बंद' का असर पंजाब-हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक सहित देश के अधिकतर राज्यों में रहा था। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि हमारा 'भारत बंद' सफल रहा। वह लगातार यह कहते रहे हैं कि जब तक कृषि क़ानून रद्द नहीं होगा किसान अपना आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे। वह एमएसपी पर क़ानून बनाने की मांग भी करते रहे हैं। 

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