पीएम मोदी के राज्यसभा भाषण के दौरान विपक्ष ने क्यों किया वॉकआउट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष काफी नाराज नजर आया और उसने सदन से वॉकआउट कर दिया। अपने भाषण में, मोदी ने डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान के महत्व के बारे में बात की और कैसे इसने उन्हें सार्वजनिक पद संभालने में सक्षम बनाया। विपक्ष उनकी टिप्पणियों से उस समय नाराज हो गया जब उन्होंने कहा, “मैंने सुझाव दिया था कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाए, लेकिन ये वे लोग हैं जो इन दिनों संविधान के बारे में बात कर रहे हैं जिन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही गणतंत्र दिवस है और उन्होंने मेरे विचार को खारिज कर दिया।” इस पर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस तथ्य पर अपनी बात कहनी चाही लेकिन राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने उनको अनुमति नहीं दी।
INDIA पार्टियों ने राज्य सभा से इसलिए walk-out किया क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी जी झूठ बोल रहे थे। वे कहते हैं कि हम संविधान के विरोध में हैं, बल्कि सच्चाई यह है कि BJP-RSS, जनसंघ और उनके राजनीतिक पुरखों ने भारत के संविधान का जमकर विरोध किया था। उन लोगों ने डॉ बाबासाहेब अंबेडकर व… pic.twitter.com/8JxavLoMi0
— Mallikarjun Kharge (@kharge) July 3, 2024
राज्यसभा से वॉकआउट के बाद सदन से बाहर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- "हमने सदन से वॉकआउट किया क्योंकि पीएम धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब के दौरान कुछ गलत बातें बोल रहे थे। उनकी आदत झूठ बोलना, लोगों को गुमराह करना और सच्चाई के खिलाफ बोलना है। मैंने उनसे सिर्फ इतना पूछा था कि उन्होंने संविधान नहीं बनाया और वे इसके खिलाफ थे। मैं सिर्फ यह स्पष्ट करना चाहता था कि कौन संविधान के पक्ष में है और कौन इसके खिलाफ है। आरएसएस ने 1950 में अपने संपादकीय में लिखा था कि संविधान के बारे में बुरी बात यह है कि इसमें भारत के इतिहास के बारे में कुछ भी नहीं है। वे शुरू से ही इसके खिलाफ हैं और वे कहते हैं कि वे इसके पक्ष में हैं। अंबेडकर, नेहरू के पुतले जलाये गये। अब वे कह रहे हैं कि हम (विपक्ष) इसके खिलाफ हैं।''
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा- "यह एक परंपरा है कि जब विपक्ष के नेता तथ्य रखने के लिए खड़े होते हैं, तो उन्हें बोलने का अवसर मिलता है। जब प्रधानमंत्री गलत तथ्य दे रहे थे, तब वह पुस्तकों के माध्यम से सही तथ्यों को रखने की कोशिश कर रहे थे। इसलिए, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में, जब सच्चाई बोलने की अनुमति नहीं दी गई तो पूरा विपक्ष वॉकआउट कर गया।"
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा- "पूरा देश देख रहा है...किस तरह बीजेपी और पीएम मोदी ने संसद को अपने नियंत्रण में ले लिया है। जब एलओपी (राहुल गांधी) लोकसभा में बोलते हैं...तो सभी नेता उन्हें परेशान करते हैं। जब एलओपी (मल्लिकार्जुन खड़गे) राज्यसभा में बोलते हैं तो बीजेपी परेशान होती है। खड़गे जी ने बार-बार हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई, यह संविधान का गला घोंटने जैसा है।''
टीएमसी नेता और राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने कहा- विपक्ष के नेता हस्तक्षेप करने का अनुरोध कर रहे थे लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई। यह संसद, संविधान और विपक्ष का अपमान है।
राज्यसभा में बुधवार को ''एलओपी (नेता विपक्ष) को बोलने दो'' जैसे नारे भी लगे। विपक्ष ने सभापति जगदीप धनखड़ से मल्लिकार्जुन खड़गे की बात का संज्ञान लेने की मांग की और आरोप लगाया कि उन्होंने विपक्ष को जवाब देने का मौका नहीं दिया।
विपक्ष के वॉकआउट करते ही प्रधानमंत्री मोदी ने टिप्पणी की, ''देश देख रहा है कि जो लोग झूठ फैलाते हैं उनमें सच सुनने की ताकत नहीं होती। जिनमें सच का सामना करने की हिम्मत नहीं होती, उनमें सच सुनने की हिम्मत नहीं होती।'' मोदी ने कहा कि वे उच्च सदन का, उसकी गौरवशाली परंपरा का अपमान कर रहे हैं।''
धनखड़ ने विपक्ष के आचरण की भी निंदा की और कहा, “आज उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई, उन्होंने भारत के संविधान को पीठ दिखाई। उन्होंने मेरा या आपका अपमान नहीं किया, उन्होंने उस संविधान की शपथ का अपमान किया जो उन्होंने ली थी।”
राज्यसभा में बुधवार और लोकसभा में सोमवार और मंगलवार की कार्यवाही से यह साफ हो गया कि सत्ता पक्ष का कोई नेता अपनी बात रखते समय किसी तरह का व्यवधान नहीं चाहता। लेकिन जब नेता विपक्ष बोलते हैं या अन्य नेता बोलते हैं तो सत्ता पक्ष के सांसद पूरा शोर मचाते हैं, कुछ भी बोलने लगते हैं। उन्हें लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति टोकते नहीं है। सत्ता पक्ष को पूरी तरह से टोकाटाकी और शोर मचाने का अधिकार है लेकिन विपक्ष को नहीं बोलने देने पर या तो वॉकआउट करना पड़ता है या फिर निलंबन झेलना पड़ता है। बहरहाल, राज्यसभा की कार्यवाही अगले सत्र तक के लिए बुधवार को समाप्त हो गई।