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ओबीसी से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा से भी पास

ओबीसी से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा से भी पास

राज्यसभा ने भी ओबीसी से जुड़ा संविधान (127वाँ) संशोधन विधेयक पारित कर दिया है। इस विधेयक से अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी आरक्षण में जातियों को शामिल करने का राज्यों को अधिकार मिल जाएगा। 

लोकसभा के बाद अब राज्यसभा ने भी ओबीसी से जुड़ा संविधान (127वाँ) संशोधन विधेयक पारित कर दिया है। इस विधेयक से अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी आरक्षण में जातियों को शामिल करने का अधिकार राज्यों को मिल जाएगा। ओबीसी से जुड़े इस विधेयक का कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी समेत अन्य सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया है।

इस विधेयक के दोनों सदनों से पास होने के बाद अब इसको क़ानून बनने के लिए राष्ट्रपति से सहमति के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति का हस्ताक्षर होने और फिर गजट में इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद यह क़ानून बन जाएगा। 

ऊँच सदन में विधेयक के पास होने से पहले इस पर चर्चा के दौरान कई सांसदों ने आरक्षण पर 50 फ़ीसदी की सीमा को बढ़ाने का मुद्दा उठाया। इसके जवाब में सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि यह नियम कई साल पहले लागू किया गया था और अब परिस्थितियाँ बदल गई हैं। बसपा सांसद रामजी ने कहा कि यदि सरकार की मंशा इस समाज के उत्थान की है तो एससी-एसटी, ओबीसी को निजी क्षेत्र में नौकरियों में भी आरक्षण दे।

चर्चा के दौरान राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विधेयक पर चर्चा में धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव को आगे किया जा रहा है और कांग्रेस को गाली दी जा रही है। खड़गे ने कहा कि क्योंकि यूपी और अन्य राज्यों में चुनाव है, शायद इसलिए ऐसा हो रहा है।

खड़गे का इशारा किधर है यह इससे समझा जा सकता है कि आने वाले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश सहित पाँच राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश बेहद अहम है और इस राज्य में 43 फ़ीसदी आबादी ओबीसी की है। ऐसे में ओबीसी समुदाय को अपनी ओर खींचने के लिए केंद्र सरकार लगातार क़दम उठा रही है। केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में मेडिकल पाठ्यक्रमों में ओबीसी समुदाय को 27 फ़ीसदी आरक्षण देने का एलान किया था। ओबीसी समुदाय इस मुद्दे पर बेहद मुखर रहा है। 

लोकसभा ने एक दिन पहले ही मंगलवार को इस संविधान संशोधन (127वाँ) विधेयक पारित कर दिया है।

सरकार की ओर से लोकसभा में रखे गए इस संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन विपक्ष के कांग्रेस, टीआरएस, टीएमसी, बसपा, सपा, एनसीपी ने भी किया था। इन दलों ने इस विधेयक का समर्थन करने के साथ ही 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पर सवाल उठाए और इसे बढ़ाए जाने की माँग की थी। 

लोकसभा में बुधवार को हंगामे के बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगन के बाद स्‍पीकर ओम बिरला से मिलने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी समेत कई नेता पहुँचे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि 17वीं लोकसभा का छठा सत्र कामकाज की दृष्टि से मेरी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा। 

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