राजनाथ का दावा कितना सच; क्या गांधी के कहने पर सावरकर ने मांगी थी माफ़ी?
सावरकर के माफ़ीनामे पर फिर से विवाद है। इस बार यह विवाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान से हुआ है। उन्होंने कह दिया है कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफ़ी महात्मा गांधी के कहने पर मांगी थी। इससे सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया है।
सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि आख़िरकार बीजेपी ने भी मान लिया कि सावरकर ने अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगी थी। कुछ कह रहे हैं कि लंबे समय तक जेल में रहने वाले व जज के सामने भी नहीं झुकने वाले गांधी ने कभी माफी नहीं मांगी तो दूसरे को माफी मांगने के लिए कैसे कह सकते हैं। कुछ कह रहे हैं कि 1915 में जब तक गांधी देश में वापस लौटे थे तब तक सावरकर दो बार- 1911 और 1913 में दया याचिका दायर कर चुके थे तो उन्होंने गांधी के कहने पर कैसे माफी मांगी?
क्या गांधी ने सावरकर को माफी मांगने के लिए कहा था, इस पर लोगों ने क्या प्रतिक्रिया दी है, इससे पहले यह जान लें कि आख़िर राजनाथ सिंह ने क्या कहा है। राजनाथ सिंह ने कहा, "सावरकर के ख़िलाफ़ झूठ फैलाया गया... महात्मा गांधी ने कहा था कि आप (सावरकर) मर्सी पिटीशन फ़ाइल करो। महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने मर्सी पिटीशन फ़ाइल की थी। और महात्मा गांधी ने अपनी तरफ़ से अपील की थी और उन्होंने कहा था 'सावरकर जी को रिहा किया जाना चाहिए। जैसे हम शांतिपूर्ण तरीक़े से आज़ादी हासिल करने के लिए आंदोलन चला रहे हैं वैसे ही सावरकर जी भी आंदोलन चलाएँगे।' यह बात महात्मा गांधी जी ने कही थी। लेकिन उनको बदनाम करने के लिए इस प्रकार की कोशिश की जाती रही कि उन्होंने मर्सी पिटीशन फ़ाइल की थी, क्षमा याचना मांगी थी, अपनी रिहाई की बात कही थी। ये सारी बातें ग़लत और बेबुनियाद हैं।"
प्रतिष्ठित इतिहासकारों में से एक एस इरफ़ान हबीब ने लिखा है, 'हाँ, एकांगी (मोनोक्रोमैटिक) इतिहास लेखन वास्तव में बदल रहा है, जिसका नेतृत्व मंत्री कर रहे हैं और जिन्होंने दावा किया है कि गांधी ने सावरकर को दया याचिका लिखने के लिए कहा था। कम से कम अब तो यह मान लिया गया है कि उन्होंने (दया याचिका) लिखी थी। जब मंत्री दावा करते हैं तो किसी दस्तावेजी साक्ष्य की आवश्यकता नहीं होती है। नए भारत के लिए नया इतिहास।'
Yes, monochromatic history writing is really changing, led by the minister who claims Gandhi asked Savarkar to write mercy petitions. At least it is accepted now that he did write. No documentary evidence needed when minister makes a claim. New history for New India.
— S lrfan Habib (@irfhabib) October 13, 2021
वरिष्ठ पत्रकार राकेश शर्मा ने लिखा, 'कोरी बकवास! सावरकर ने 6 दया याचिकाएँ लिखीं, क्षमादान की भीख मांगी। उनकी 1913 की याचिका में अंडमान में जेल जाने के कुछ महीने बाद 1911 में लिखी गई पहली याचिका का ज़िक्र है। 1915 में ही गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। मंत्री जी वाट्सऐप प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं?!'
Utter nonsense!
— Rakesh Sharma (@rakeshfilm) October 13, 2021
Savarkar wrote 6 mercy petitions, begging for clemency. His 1913 petition refers to the first one written in 1911, just months after being jailed at Andamans.
Gandhi returned to India from S Africa only in 1915. Minister-ji peddling WhatsApp propaganda?! https://t.co/NXVP8wBmwU
द वायर के फाउंडर एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन ने लिखा, 'तो, वीडी सावरकर के लिखे माफ़ीनामे और भारतीयों को धार्मिक आधार पर विभाजित करके ब्रिटिश साम्राज्यवाद की सेवा करने के उनके बाद के जीवन को सही ठहराने के लिए राजनाथ और भागवत ने गांधी का सहारा लिया। इन्हीं सावरकर पर ही हत्या की साज़िश रचने का जबरदस्त आरोप लगा था!'
So to justify the apologies VD Savarkar wrote—and his subsequent life of serving British imperialism by dividing Indians on religious grounds—Rajnath & Bhagwat seek the support of Gandhi, the very man Savarkar was credibly accused of plotting to kill! https://t.co/cgDzreArOb
— Siddharth (@svaradarajan) October 13, 2021
वरिष्ठ पत्रकार रवि नायर ने लिखा है, 'कुछ ऐतिहासिक तथ्य: सावरकर को 4 जुलाई 1911 को सेलुलर जेल में बंद कर दिया गया था। छह महीने के भीतर उन्होंने दया के लिए एक याचिका दायर की। उनकी दूसरी दया याचिका 14 नवंबर, 1913 को दायर की गई थी। गांधी जी 9 जनवरी 1915 को ही दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट पाए थे।'
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, '1915 में गांधी के भारत लौटने से पहले सावरकर ने उनसे केवल एक ही बार बातचीत की थी। 1909 में जब गांधी को दशहरा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए यूके में भारतीय प्रवासियों द्वारा आमंत्रित किया गया था, सावरकर वहां मौजूद थे। सावरकर को 1910 में गिरफ्तार कर भारत प्रत्यर्पित किया गया था।'
Before Gandhi's return to India in 1915, Savarkar had only one interaction with him. In 1909, when Gandhi was invited by the Indian diaspora in the UK to attend a Dussehra event, Savarkar was present there.
— Ravi Nair (@t_d_h_nair) October 13, 2021
Savarkar was arrested and extradited to India in 1910.
हालाँकि, इन सबों से अलग सावरकर की बायोग्राफ़ी लिखने वाले विक्रम संपत ने ट्वीट किया है, 'राजनाथ सिंह के बयानों के बारे में कुछ बेवजह हंगामा है। मेरे खंड 1 (किताब) और अनगिनत साक्षात्कारों में मैंने पहले ही कहा था कि 1920 में गांधीजी ने सावरकर भाइयों को एक याचिका दायर करने की सलाह दी थी और यहाँ तक कि 26 मई 1920 को यंग इंडिया में एक निबंध के माध्यम से उनकी रिहाई का मामला भी उठाया था। तो शोर किस बारे में है?'
Some needless brouhaha abt statement by @rajnathsingh In my Vol 1 & in countless interviews I had stated already that in 1920 Gandhiji advised Savarkar brothers to file a petition & even made a case for his release through an essay in Young India 26 May 1920. So what's noise abt? pic.twitter.com/FWfAHoG0MX
— Dr. Vikram Sampath, FRHistS (@vikramsampath) October 13, 2021
कांग्रेस नेता गौरव पांधी ने कहा है, 'सेलुलर जेल में बाहरी दुनिया से संपर्क की अनुमति नहीं थी। तो, राजनाथ सिंह आपका दावा कि महात्मा गांधी ने सावरकर को दया याचिका दायर करने के लिए कहा, एक पूरा झूठ है। उस पूरे ऑपरेशन में 80 हज़ार कैदियों ने काला पानी की सज़ा काटी थी, लेकिन 79,999 ने कभी दया के लिए अर्जी नहीं दी।'
Contact with outside world wasn't allowed in the Cellular Jail. So, your claim @rajnathsingh that Mahatma Gandhi asked Savarkar to file a mercy petitions is an absolute lie.
— Gaurav Pandhi (@GauravPandhi) October 13, 2021
Throughout its operations, 80,000 prisoners were lodged in Kala Pani, but 79,999 never filed for mercy.
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, 'आप में से कितने लोग जानते हैं कि जेल से छूटने के बाद और 1947 तक सावरकर को ब्रिटिश सरकार से पेंशन मिली? वह पूरी तरह से उनके पे-रोल पर थे और उनका एक समझौता था कि वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग नहीं लेंगे और दूसरों को भी हतोत्साहित करेंगे। अब आप सब जानते हैं!'
रवि नायर ने तंज कसते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा है, 'इसके बाद, वे कहेंगे कि महात्मा गांधी ने गोडसे को गोली मारने के लिए कहा था।
तथ्य यह है कि सावरकर एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने दया याचिकाओं की एक श्रृंखला लिखी, औपनिवेशिक उत्पीड़कों को आश्वासन दिया कि अगर उन्हें जेल से रिहा किया गया, तो वह जीवन भर उनके अधीन रहेंगे। एक बार रिहा होने के बाद, उन्होंने ऐसा ही किया।'