राजनाथ जी, ये कर दिया, शेर किसी और का, किसी और के नाम कर दिया
भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में शेरो-शायरी शुरू हो गई है। संकट के इस दौर में नेताओं का अंदाजे बयाँ बदल गया है। विपक्ष जहाँ शायरी में सवाल कर रहा है तो सत्ता पक्ष भी एक कदम आगे आकर शायरी में ही पलटवार कर रहा है। लेकिन इस सियासी मुशायरे के कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दाँव उलटा पड़ गया।
मंज़र लखनवी के शेर को बताया ग़ालिब का
राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी पर पलटवार करने के लिए ट्वीट किया- 'हाथ में दर्द हो तो दवा कीजै, यदि हाथ ही दर्द हो तो क्या कीजै।मिर्ज़ा ग़ालिब का ही शेर थोड़ा अलग अन्दाज़ में है। ‘
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 8, 2020
‘हाथ’ में दर्द हो तो दवा कीजै,
‘हाथ’ ही जब दर्द हो तो क्या कीजै.. https://t.co/k1fhnI6K4N
इस शेर को उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर की तर्ज पर बताया। राजनाथ सिंह ने लिखा ‘मिर्ज़ा ग़ालिब का ही शेर थोड़ा अलग अंदाज़ में है’। जिसके बाद वो सबसे पहले तो कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं के निशाने पर आ गए। और बाद में लोगों ने भी उनको मंज़र लखनवी की याद दिला दी।
दरअसल, राजनाथ ने जो शेर ट्वीट किया है वो मंज़र लखनवी के शेर में बदलाव किया हुआ है। उससे ग़ालिब का कोई संबंध नहीं है। इस शेर का असल स्वरूप इस प्रकार है-
“
दर्द हो दिल में तो दवा कीजै, और जो दिल ही न हो तो क्या कीजै।
मंज़र लखनवी
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने लपेटा
छत्तीसगढ़ कांग्रेस की ओर से एक ट्वीट में लिखा, एक काबिल का ही शेर थोड़ा अलग अन्दाज में है.'सवालों' की आंच हो तो हवा कीजै,'सवाल' ही जब आंच हो तो 'कड़ी निंदा; कीजै..एक काबिल का ही शेर थोड़ा अलग अन्दाज में है।
— INC Chhattisgarh (@INCChhattisgarh) June 8, 2020
"सवालों" की आंच हो तो हवा कीजै,
"सवाल" ही जब आंच हो तो "कड़ी निंदा" कीजै.. https://t.co/9noellj6Lh
सुरजेवाला का भी शायराना पलटवार
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी राजनाथ सिंह को निशाने पर लिया। सुरजेवाल ने लिखा - आदरणीय राजनाथ जी,सवाल पूछो तो सवाल पूछते हैं,हुकूमत वाले अब जुबान पूछते हैं,कुछ बाजुए ताक़त तो आज़माइए जनाब,हम हिंदुस्तान हैं, लाल आँख का अंजाम पूछते हैं।आदरणीय राजनाथ जी,
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) June 8, 2020
सवाल पूछो तो सवाल पूछते हैं,
हुकूमत वाले अब जुबान पूछते हैं,
कुछ बाजुए ताक़त तो आज़माइए जनाब,
हम हिंदुस्तान हैं, लाल आँख का अंजाम पूछते हैं।
सादर,
समस्त भारतवासी। https://t.co/wSWOQQ3lgE
कहाँ से हुई शुरुआत
दरअसल ये पूरा सियासी मुशायरा राहुल गाँधी की शायरी के बाद से शुरू हुआ। राहुल गाँधी ने अमित शाह के सीमा वाले बयान पर तंज कसते हुए एक शायरी ट्वीट की थी-
सब को मालूम है ‘सीमा’ की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के ख़ुश रखने को, ‘शाह-यद’ ये ख़्याल अच्छा है।
राहुल का यह ट्वीट मशहूर शायर मिर्जा ग़ालिब की उस शायरी की तर्ज पर है जिसमें कहा गया है - हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।
राहुल ने इस शेर से अमित शाह के इस बयान पर तंज कसा है जिसमें उन्होंने भारत की सीमाओं के पूरी तरह सुरक्षित होने की बात कही थी। शाह ने रविवार को हुई बीजेपी की वर्चुअल रैली में भाषण के दौरान कहा था, ‘भारत की रक्षा नीति को वैश्विक स्तर पर स्वीकृति मिली है। पूरी दुनिया जानती है कि अमेरिका और इजरायल के बाद अगर कोई देश है, जो अपनी सीमाओं की रक्षा कर सकता है, वह भारत है।’
राजनाथ सिंह की शायरी पर लोगों की प्रतिक्रिया
कीर्तीश भट्ट ने लिखा है - ये फ़िक्र छोड़ कि कैसे गुज़ारा होगा।आ यहाँ आकर बैठ, आज मुशायरा होगा।ये फ़िक्र छोड़ कि कैसे गुज़ारा होगा।
— Kirtish Bhatt (@Kirtishbhat) June 8, 2020
आ यहाँ आकर बैठ, आज मुशायरा होगा।
🤣 pic.twitter.com/aAjjV3URwF
बिहार की जनअधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने लिखा, यह मंजर लखनवी का शेर है मिर्ज़ा ग़ालिब का नहीं याद है न आप अभी लखनऊ से सांसद हैं!
दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
— Sewak Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) June 9, 2020
और जो दिल ही न हो तो क्या कीजे
यह मंजर लखनवी का शेर है मिर्ज़ा ग़ालिब का नहीं
याद है न आप अभी लखनऊ से सांसद हैं! https://t.co/8doeoasMcd
शमशेर मेमन नाम के ट्वीटर हैंडल ने लिखा है- रक्षामंत्री - मिर्जा गालिब और मजर लखनवी में फर्क नहीं पता कमाल है…बिल्कुल फेसबुकिया आशिकों वाला हाल है, शायरी किसी की भी क्रेडिट तो चीचा गालिब को ही दें
रक्षामंत्री - मिर्जा गालिब और मजर लखनवी में फर्क नहीं पता कमाल है…🤷
— Shamsher Memon (@ShamsAct) June 9, 2020
बिल्कुल फेसबुकिया आशिकों वाला हाल है, शायरी किसी की भी क्रेडिट तो चीचा गालिब को ही देंगे…🤦https://t.co/AHAeiWSFsN
शिवम कुमार ने लिखा है-कल राजनाथ सिंह ने शायरी लिखी और नाम ग़ालिब चचा का दिया ,आज अगर मंजर लखनवी होते तो इसकी कड़ी निंदा करते , दरसअल ये पंक्तियां मंजर लखनवी की है , बस राजनाथ सिंह जी ने दिल की जगह हाथ रख दिया है ।
कल राजनाथ सिंह ने शायरी लिखी और नाम ग़ालिब चचा का दिया ,आज अगर मंजर लखनवी होते तो इसकी कड़ी निंदा करते , दरसअल ये पंक्तियां मंजर लखनवी की है , बस राजनाथ सिंह जी ने दिल की जगह हाथ रख दिया है ।
— Shivam Kumar (@Sahitya_Shivam) June 9, 2020
वैसे मंजर लखनवी ये पंक्ति नीचे है , आपके लिए 👇👇👇
1/3 pic.twitter.com/M4VMUZcfBm
नितिन नाम के यूज़र ने लिखा है -राजनाथ सिंह जी "कड़ी" शायरी करते हुए।
राजनाथ सिंह जी "कड़ी" शायरी करते हुए। https://t.co/2TXtYPwxy0
— Nitin Chavan (@nomad_nitin) June 8, 2020
राजनीति में शायरी नई नहीं
बता दें, राजनीति में शायराना अंदाज़ नया नहीं है। महाराष्ट्र में चुनाव के बाद जो सियासी उठपटक हुई थी। उसमें देश ने संजय राउत में एक शायर देख लिया था। वो हर बयान शायरी में ही दे रहे थे।जिसके बाद बाकी नेताओं ने भी ट्विटर पर शायराना माहौल बना दिया था। इसके अलावा, अक्सर देश का बजट शायराना भाषण के बीच पेश किया जाता है। लेकिन कभी-कभी शायरी से यारी भारी भी पड़ जाती है। जैसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पड़ गई और लोगों ने कहा- चौबे जी चले थे छब्बे जी बनने दुबे जी बनके लौटे।