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राजीव गांधी हत्याकांड: SC ने सभी दोषियों को किया रिहा 

राजीव गांधी हत्याकांड: SC ने सभी दोषियों को किया रिहा 

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था। पढ़िए, कैसे बुनी गई राजीव गांधी की हत्या की साजिश। 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है। इन दोषियों में नलिनी श्रीहरन, श्रीहरन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और रविचंद्रन शामिल हैं। तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल से इन्हें रिहा किए जाने की सिफारिश की थी। 

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी LTTE की एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

फैसला अस्वीकार्य: कांग्रेस 

कांग्रेस ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के फैसले को पूरी तरह गलत बताया है और कहा है कि इस फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता। कांग्रेस के संचार विभाग के महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करती है और इस फैसले का समर्थन नहीं किया जा सकता। रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में देश की भावना के अनुरूप काम नहीं किया। 

पेरारिवलन की रिहाई

इस साल मई में भी राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया था। पेरारिवलन 30 साल तक सलाखों के पीछे रहा था। हत्याकांड के समय पेरारिवलन 19 साल का था। उस पर  LTTE के शिवरासन के लिए 9-वोल्ट की दो बैटरी खरीदने का आरोप था। इस तरह हत्याकांड के सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया है। 

राजीव गांधी की हत्या के लिए बनाए गए बम में इन बैटरियों का इस्तेमाल किया गया था। शिवरासन हत्या का मास्टरमाइंड था। श्रीलंका के युद्ध में शिवरासन की एक आँख चली गई थी और वह उसकी जगह शीशे की प्रोस्थेटिक आँख लगाए हुए रहता था और इसलिए उसे 'वन आईड जैक' नाम से जाने जाना था। 

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एलटीटीई प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण

कैसे बुनी गई साजिश?

राजीव गांधी की हत्या की ज़िम्मेदारी तमिल ख़ुफिया विभाग में शिवरासन नामक व्यक्ति को सौंपे जाने के बाद LTTE ने यह फ़ैसला किया कि वह इस मामले में तमिलनाडु में मौजूद अपने नेटवर्क को शामिल नहीं करेगा। 

तमिल शरणार्थियों से भरी एक नाव सितंबर 1990 में तमिलनाडु के रामेश्वरम  तट पर पहुंची। इसमें से उतरी एक महिला और दो पुरुषों ने भारतीय अधिकारियों के पास अपना पंजीकरण कराया और कहा कि वे चेन्नई जाना चाहते हैं क्योंकि वहां उनके मित्र रहते हैं। इसके कुछ हफ़्तों के बाद तमिल शरणार्थियों का एक और समूह रामेश्वरम के तट पर पहुंचा और इस समूह में से भी एक महिला और दो पुरुषों ने कहा कि वे चेन्नई जाना चाहते हैं।

इन दोनों समूहों ने चेन्नई में अलग-अलग घर भाड़े पर लिया। इन छह तमिलों को भी यह पता नहीं था कि वे राजीव गांधी की हत्या के लिए प्रभाकरण के द्वारा बनाए गए षडयंत्र का हिस्सा हैं। 

LTTE के खुफ़िया विभाग के दो लोग निक्सन और कंतन भी तमिलनाडु पहुंचे। चेन्नई में कुछ दिन रहने के बाद शिवरासन श्रीलंका चला गया। 1991 में केंद्र सरकार ने तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कषगम की सरकार को इस आधार पर बर्खास्त कर दिया था कि वह एलटीटीई पर नकेल कसने में नाकाम है। 

इसी बीच, प्रभाकरण ने LTTE के एक सदस्य कासी आनंदन से कहा कि वह राजीव गांधी से मुलाक़ात करे और अगले चुनाव में उनकी जीत के लिए उन्हें शुभकामनाएं दे। यह मुलाक़ात 5 मार्च 1991 को हुई। इसके कुछ दिनों बाद लंदन में रहने वाले श्रीलंका के एक तमिल बैंकर ने राजीव गांधी को फ़ोन कर कहा कि LTTE अतीत को भुला कर आगे की ओर देखना चाहता है।

ये दोनों ही काम इसलिए किए गए थे कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियां यह मान लें कि प्रभाकरण भारत के साथ एक नए रिश्ते की शुरुआत करना चाहता है।

ख़ुदकुश हमलावर पहुंची भारत

शिवरासन जब मई, 1991 में नाव से भारत लौटा और उसके साथ धनु थी, जिसे खुदकुश हमला करना था। वे वेदअरण्यम के तट पर तमिलनाडु पहुंचे और वहां से बस से चेन्नई गए। चेन्नई पहुंचने के 10 दिनों के भीतर धनु और उसकी सहयोगी शुभा ने LTTE प्रमुख को लिखा, 'हम अपना उद्देश्य पाने के लिए कटिबद्ध हैं।'

नाकाम हो सकती थी साजिश

इस बीच इंटेलीजेंस ब्यूरो ने तमिलनाडु से जाफ़ना को भेजा गया एक कोडेड मैसेज पकड़ लिया और उसे डीकोड करने के लिए दिल्ली स्थित मुख्यालय को भेज दिया।  लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद डीकोड किए गए इस मैसेज में एक लाइन का मैसेज शिवरासन ने पोट्टू अम्मान को दिया था, जिसमें लिखा था- 'भारत में किसी को हमारे ऑपरेशन की जानकारी नहीं है।'

मैसेज में कहा गया था, 'यदि जाफ़ना लौटा तो पोट्टू अम्मान के आदमी के रूप में एक वैश्विक नेता की हत्या करने के अविश्सनीय काम को अंजाम देने के बाद ही लौटूंगा।'

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हत्या से ठीक पहले शिवरासन और खुदकुश हमलावर धनु (हाथ में माला लिए हुए)

हत्या का रिहर्सल 

शिवरासन खुद को पत्रकार बताता था। उसने कांग्रेस पार्टी के कुछ लोगों से यह पता लगा लिया कि 21 मई 1991 की रात को श्रीपेरम्बुदुर में राजीव गांधी की चुनावी रैली है। हत्या को अंजाम देने के पहले इसका रिहर्सल किया गया ताकि सबकुछ ठीक रहे। चेन्नई में विश्वनाथ प्रताप सिंह की एक सभा में धनु गई और उसने सिंह का पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया। 

इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की गई और यह देखा गया कि इसमें कुछ गड़बड़ तो नहीं है। इसमें कोई चूक नहीं थी। LTTE के हत्यारों ने 20 मई 1991 को चेन्नई में एक फिल्म देखी और वहां से श्रीपेरेम्बुदुर गए। वहां उन्हें हरि बाबू नामक एक फोटोग्राफर से मिलवाया गया, जिसे इस पूरी साजिश की कोई भनक तक नहीं थी। 

धनु जब राजीव गांधी की रैली में पहुंची तो उसके हाथ में चंदन की एक माला थी और उसने बम लगा जैकेट पहन रखा था, जो उसके ढीले ढाले सलवार कमीज़ के अंदर छुपा हुआ था। एक महिला पुलिस अधिकारी ने वहां उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन शिवरासन ने कहा कि वह राजीव गांधी को माला पहनाना चाहती है।

राजीव गांधी जब वहां पहुंचे और मंच की ओर जाने लगे तो उस महिला पुलिस अधिकारी ने धनु को एक बार फिर रोकने की कोशिश की। लेकिन राजीव गांधी ने उस ऐसा करने से रोक दिया और कहा, 'सबको मौका मिलना चाहिए।' धनु राजीव गांधी के पैर छूने नीचे झुकी और बम लगे जैकेट का बटन दबा दिया। उस हत्याकांड में राजीव गांधी समेत 16 लोग मारे गए। 

('द हिन्दू' से साभार)

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