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रजनीकांत का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना बीजेपी के लिए झटका क्यों?

रजनीकांत का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना बीजेपी के लिए झटका क्यों?

तमिल फ़िल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है। साथ ही यह भी घोषणा कर दी है कि वह लोकसभा में किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं। 

तमिल फ़िल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है। साथ ही यह भी घोषणा कर दी है कि वह लोकसभा में किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं। रजनीकांत ने अपील की है कि आगामी चुनाव के दौरान कोई भी उनके नाम का और उनकी तसवीर का इस्तेमाल चुनाव में न करे। रजनीकांत की इस घोषणा से सबसे बड़ा झटका बीजेपी को लगा है क्योंकि उसके नेता यह मान रहे थे कि रजनीकांत खुलकर नरेंद्र मोदी का समर्थन करेंगे।

अब यह लगभग तय हो गया है कि बीजेपी, पूर्व मुख्यमंत्री 'अम्मा' जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके, फ़िल्म स्टार कैप्टन विजयकांत की डीएमडीके, अंबुमणि रामदास की पीएमके और दूसरी छोटी पार्टियों के साथ मोर्चा बनाकर लोकसभा चुनाव लड़ेगी। 

रजनीकांत की घोषणा से डीएमके को राहत मिली है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अगर रजनीकांत मोदी के समर्थन की घोषणा कर देते तो डीएमके को सबसे ज़्यादा नुक़सान होता।

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सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने रजनीकांत का समर्थन हासिल करने की पूरी कोशिश की। लेकिन रजनीकांत ने अपने सलाहकारों की बात मानी और लोकसभा चुनाव न लड़ने के साथ-साथ किसी भी राजनीतिक दल का साथ न देने का फ़ैसला किया। फ़ैसले के पीछे कुछ ठोस कारण बताए जा रहे हैं। 

  • पहला, रजनीकांत की पार्टी अब भी संगठनात्मक तौर पर पूरी तरह से तैयार नहीं है।
  • दूसरा, रजनीकांत के सलाहकारों को लगता है कि तमिलनाडु में मोदी का समर्थन करने वालों के मुक़ाबले उनका विरोध करने वाले लोगों की संख्या बहुत बड़ी है। तमिलनाडु के कई लोग मानते हैं कि मोदी सरकार ने कावेरी जल विवाद को नहीं सुलझाया है और इसकी वजह से राज्य की जनता को नुकसान हुआ है। रजनी डीएमके के साथ नहीं जा सकते क्योंकि स्टालिन मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं और रजनी की ख़ुद की नज़र भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ही है।
  • तीसरा, रजनीकांत का ध्यान सिर्फ विधानसभा चुनाव पर है। वह मुख्यमंत्री बनने की तैयारी ही कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि अगर लोकसभा चुनाव में हार हुई तो विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद की उनकी दावेदारी कमज़ोर होगी।

रजनी फ़िलहाल विधानसभा चुनाव के लिए ही पार्टी को संगठनात्मक तौर पर मज़बूत करने  में लगे हुए हैं।

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तमिलनाडु की राजनीति बदली

ग़ौर करने वाली बात है कि दक्षिण के राज्यों में सबसे ज़्यादा लोकसभा सीटें तमिलनाडु में ही हैं। तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीटें हैं। 1 सीट पुडुचेरी की है। यानी तमिलभाषियों के पास 40 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के समय एआईएडीएमके को तमिलनाडु की 37 सीटें मिली थीं। उस समय 'अम्मा' जयलिलता जीवित थीं और वह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री भी थीं। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद तमिलनाडु की राजनीति में कई बदलाव हुए। कई बड़े घटनाक्रम हुए। राजनीति की दशा-दिशा बदली। जयललिता की साथी शशिकला को भ्रष्टाचार के एक मामले में जेल हुई। तमिल फ़िल्मों के दो बड़े स्टार रजनीकांत और कमल हासन ने राजनीतिक पार्टियाँ बनाईं और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने का एलान किया। शशिकला के भतीजे दिनाकरन ने भी अपनी पार्टी बना ली। तमिलनाडु में पहले से कई क्षेत्रीय पार्टियाँ सक्रिय हैं।

अब मुक़ाबला एनडीए और यूपीए में

अब रजनीकांत के लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा से यह साफ़ हो गया है कि तमिलनाडु में मुक़ाबला एनडीए और यूपीए के बीच सीधे-सीधे होगा। तमिलनाडु में एनडीए का नेतृत्व मुख्यमंत्री पलानीसामी और उपमुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम वाली एआईएडीएमके करेगी, तो यूपीए का नेतृत्व डीएमके के स्टालिन।

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