पार्टी लॉन्च नहीं करूंगा, गिरता स्वास्थ्य ईश्वर की चेतावनी: रजनीकांत
दक्षिण के मशहूर अभिनेता रजनीकांत ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा है कि वह राजनीतिक पार्टी लॉन्च नहीं करेंगे। इससे पहले उन्होंने 3 दिसंबर को कहा था कि वह 31 दिसंबर को अपने राजनीतिक दल की घोषणा करेंगे और जनवरी में इसकी लॉन्चिंग की जाएगी। लेकिन ख़राब स्वास्थ्य के चलते उन्हें यह फ़ैसला लेना पड़ा है।
रजनीकांत दो दिन पहले ही अस्पताल से वापस घर आए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि उनका गिरता स्वास्थ्य ईश्वर की चेतावनी है। लोगों के दिलों पर राज करने वाले इस अभिनेता ने कहा है कि वह नहीं चाहते कि जो लोग उन पर भरोसा करते हैं उन्हें ऐसा लगे कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया।
रजनीकांत ने 1975 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। वे तमिल पर्दे पर क्या आये, छा गए। कुछ ही सालों में वे सुपरस्टार बन गये। लोकप्रियता के मामले में रजनी ने बड़े-बड़े कलाकारों को पछाड़ दिया। रजनी की अदाकारी का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा। बड़ी बात यह रही कि विधानसभा चुनाव में रजनी ने जिस पार्टी का समर्थन किया वह पार्टी सत्ता में आई। लेकिन रजनी परोक्ष राजनीति से हमेशा दूर रहे।
रजनीकांत पर राजनीति में आने का दबाव लगातार बना रहा लेकिन वे ‘सही समय पर फैसला लेने’ की बात कहकर मामला टालते रहे थे।
दक्षिण में और ख़ासकर तमिलनाडु में फ़िल्मी हस्तियों और राजनेताओं का जैसा चोली-दामन का संबंध रहा है, इसी कारण से पिछले दो दशकों से यह अटकलें थीं कि सुपरस्टार रजनीकांत राजनीति में आएँगे लेकिन वह परोक्ष रूप से राजनीति में नहीं आए। लेकिन, जयललिता की मृत्यु के बाद ऐसा कयास लगाया गया कि तमिलनाडु में वह अपनी राजनीतिक ज़मीन तलाश सकते हैं।
रजनीकांत के चाहने वाले उन पर राजनीति में सक्रिय होने का दबाव बनाते रहे हैं। इसी साल सितंबर महीने में तमिलनाडु के कई शहरों और गाँवों में उनके चाहने वालों ने 'अभी नहीं तो कभी नहीं' वाले पोस्टर लगाकर यह जताने की कोशिश की कि तमिल फ़िल्मों के सुपरस्टार के लिए समय हाथ से निकलता जा रहा है।
मई, 2021 में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं। रजनीकांत के प्रशंसक मानते हैं कि मुख्यमंत्री बनने के लिए उनके पास इस समय सबसे अच्छा मौका है। अगर रजनीकांत ने इस मौके का सही फायदा उठाया तो वे एमजीआर, करुणानिधि और जयललिता की तरह तमिलनाडु की राजनीति में छा सकते हैं।
तमिलनाडु में करीब चार दशकों से विधानसभा चुनावों में एआईएडीएमके और डीएमके के बीच सीधा मुकाबला रहा है और इन्हीं दोनों पार्टियों के नेता मुख्यमंत्री रहे हैं। सत्ता इन दोनों पार्टियों के अलावा किसी अन्य पार्टी के हाथ में नहीं गयी। करुणानिधि सबसे ज़्यादा (6863 दिन तक) मुख्यमंत्री रहे। जयललिता (5238 दिन तक) मुख्यमंत्री रहीं। जबकि एमजीआर (3629 दिन तक) मुख्यमंत्री रहे। करुणानिधि और जयललिता पाँच बार मुख्यमंत्री रहे। करुणानिधि पहली बार 1969 में मुख्यमंत्री बने थे। एमजीआर 1977 में पहली बार मुख्यमंत्री बने।