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यूपी, एमपी के बाद दिल्ली में भी राजदीप, शशि थरूर पर केस

यूपी, एमपी के बाद दिल्ली में भी राजदीप, शशि थरूर पर केस

पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पाण्डेय जैसे पत्रकारों और कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर अब दिल्ली पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है। किसान आंदोलन हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट के लिए केस दर्ज किया गया है।

पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पाण्डेय जैसे पत्रकारों और कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर अब दिल्ली पुलिस ने भी एफ़आईआर दर्ज की है। सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट के लिए केस दर्ज किया गया है। गणतंत्र दिवस पर किसानों के प्रदर्शन में हिंसा को लेकर उन्होंने ये पोस्टें की थीं। यानी दिल्ली में जो घटना हुई थी वहाँ अब रिपोर्ट दर्ज कराई गई है और इससे पहले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में केस दर्ज कराया जा चुका था।

दिल्ली में दर्ज कराई गई एफ़आईआर में राजदीप, मृणाल पाण्डेय और थरूर के अलावा पत्रकार परेश नाथ, अनंत नाथ और विनोद के जोस के नाम शामिल हैं। यह एफ़आईआर दिल्ली के चिरंजीव कुमार नाम के एक शख्स की रपोर्ट पर दर्ज की है। इन पर आरोप लगाया गया है कि उन लोगों ने मध्य दिल्ली के आईटीओ में एक प्रदर्शनकारी की मौत पर लोगों को गुमराह किया जब हज़ारों किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी में लाल क़िले सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश किया था। 

दिल्ली पुलिस द्वारा दायर केस में भारतीय दंड संहिता के विभिन्न धाराओं का उल्लेख किया गया है। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि इसमें राजद्रोह की धारा शामिल नहीं की गई है।

दिल्ली पुलिस ने शनिवार को एक बयान में कहा, "... उन्होंने प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा भड़काने के लिए दुर्घटना में ट्रैक्टर चालक की दुर्भाग्यपूर्ण मौत के बारे में फर्जी, भ्रामक और ग़लत जानकारी पोस्ट की। उन्होंने सभी को यह बताने की कोशिश की कि किसान की मौत केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत दिल्ली पुलिस की की गई हिंसा के कारण हुई थी... इस तरह के असंवेदनशील बयान इस संवेदनशील स्थिति में राष्ट्रीय एकीकरण के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण हैं। ऐसे संदेश कई बार भेजे जाते हैं जो झूठे नैरेटिव बनाते हैं और नागरिकों को ग़लत जानकारी देते हैं।'

उनपर जो आरोप लगाया गया है वह कृषि आंदोलन में हिंसा से जुड़ा है। कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लाखों किसान दो महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। इनकी माँग इन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की है। इस बीच मंगलवार को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड हुई, जिसमें हज़ारों किसान ट्रैक्टर लेकर तय रूट से अलग हो कर दिल्ली में घुस गए, हिंसा हुई, लाठीचार्ज हुआ, आँसू गैस के गोले छोड़े गए। इस बीच एक व्यक्ति की मौत भी हो गई। कुछ लोगों ने लाल किले पर चढ़ कर सिखों का पवित्र झंडा निशान साहिब फहरा दिया।

इस मामले में सबसे पहले उत्तर प्रदेश के नोएडा में एफ़आईआर दर्ज कराई गई थी। नोएडा में अर्पित मिश्रा नाम के शख्स ने सेक्टर 20 में यह केस दर्ज कराया।

इसमें किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करते रहे सांसद शशि थरूर, न्यूज़ एंकर राजदीप सरदेसाई, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पाण्डेय, कौमी आवाज़ उर्दू के मुख्य संपादक जफर आगा, कारवाँ के मुख्य संपादक परेशनाथ, कारवाँ के संपादक अनंतनाथ, कारवाँ के कार्यकारी संपादक विनोद के जोस और एक अज्ञात के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। इनके ख़िलाफ़ आपराधिक धाराओं के साथ ही आईटी एक्ट में कार्रवाई की माँग की गई है।

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एफ़आईआर में कहा गया है कि 'इन लोगों ने जानबूझकर इस दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक, गुमराह करने वाले और उकसावे वाली ख़बर प्रसारित की।' उनपर आरोप लगाया गया है कि 'उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि आंदोलनकारी एक ट्रैक्टर चालक की पुलिस द्वारा हत्या कर दी गई।' 

इन सभी पर आरोप लगाया गया है कि इन सभी आरोपियों ने आपसी सहयोग से सुनियोजित साज़िश के तहत ग़लत जानकारी प्रसारित की कि पुलिस ने एक आंदोलनकारी को गोली मार दी। यह इसलिए किया गया ताकि बड़े पैमाने पर दंगे हों और समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हो।

इनपर जानबूझकर दंगा कराने का आरोप लगाया गया है। यह एफ़आईआर गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली में हिंसा को लेकर दर्ज कराई गई। यह एफ़आईआर उससे अलग है जिसमें कम से कम 37 किसान नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है और उनपर दंगे कराने का आरोप लगाया गया है।

इसी को लेकर यूपी के बाद मध्य प्रदेश में कम से कम चार केस- भोपाल, होशंगाबाद, मुल्तई और बेतुल में दर्ज किए गए हैं। 

राजदीप को ऑफ़ एयर किया

इस एफ़आईआर में जिस ट्वीट का हवाला दिया गया है उसी ट्वीट को लेकर इंडिया टुडे ने अपने कंसल्टिंग एडिटर और वरिष्ठ एंकर राजदीप सरदेसाई को दो हफ़्तों के लिए 'ऑफ एअर' कर दिया है। 'ऑफ एअर' करने का मतलब है कि उन्हें इस समय के लिए एंकरिंग से हटा दिया गया है। इतना ही नहीं, उनका एक महीने का वेतन भी काट लिया गया। 

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इस वरिष्ठ पत्रकार ने टेलीविज़न चैनल पर कहा था कि पुलिस की गोलीबारी में एक किसान की मौत हो गई। उन्होंने ट्वीट भी किया था, "आईटीओ पर पुलिस गोलीबारी में एक व्यक्ति, 45 साल के नवनीत सिंह की मौत हो गई। किसानों ने मुझसे कहा है कि यह शहादत बेकार नहीं जाएगी।"

पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर पलटने से उस व्यक्ति की मौत हो गई थी। बाद में पुलिस ने एक वीडियो जारी किया और कहा कि ट्रैक्टर नियंत्रण से बाहर हो गया और पलट गया। इसके बाद राजदीप सरदेसाई ने यह जानकारी दी कि नवनीत सिंह की मौत ट्रैक्टर पलटने से हुई। उन्होंने ट्वीट किया, "आन्दोलनकारी किसानों ने दावा किया कि नवनीत सिंह को पुलिस की गोली लगी, इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि बैरिकेड तोड़ने की कोशिश में ट्रैक्टर पलट गया। आन्दोलनकारी किसानों का आरोप सही नहीं है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है।"

एडिटर्स गिल्ड ने निंदा की

एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने 26 जनवरी की रिपोर्टिंग पर पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने की ज़ोरदार शब्दों में निंदा की है। उसने इसे मीडिया को डराने-धमकाने और परेशान करने का तरीका क़रार दिया है।

गिल्ड ने कहा है कि राजद्रोह, सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने और लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने से जुड़ी 10 धाराएं लगाना अधिक चिंता की बात है।

एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि एफ़आईआर में यह बिल्कुल ग़लत कहा गया है कि ट्वीट ग़लत मंशा से किए गए थे और उसकी वजह से ही लाल किले को अपवित्र किया गया।

संपादकों की इस शीर्ष संस्था का कहना है कि पत्रकारों को निशाने पर लेना उन मूल्यों को कुचलना है जिनकी बुनियाद पर हमारा गणतंत्र टिका हुआ है। इसका मक़सद मीडिया को चोट पहुँचाना और भारतीय लोकतंत्र के निष्पक्ष प्रहरी के रूप में काम करने से उसे रोकना है।

एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकारों का बचाव करते हुए कहा है कि 26 जनवरी के विरोध प्रदर्शन के दिन घटना स्थल से प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस से कई तरह की खबरें मिल रही थीं। यह स्वाभाविक है कि पत्रकारों उन सभी बातों को रिपोर्ट करें। यह स्थापित पत्रकारीय तौर-तरीकों के अनुकूल है।

एडिटर्स गिल्ड ने एफ़आईआर तुरन्त वापस लेने और मीडिया को निडर होकर काम करने देने की अपील की है।

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