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उदयपुर: जिसने जान बचाने की कोशिश की, उसी को साज़िशकर्ता बताने की अफवाह

उदयपुर: जिसने जान बचाने की कोशिश की, उसी को साज़िशकर्ता बताने की अफवाह

उदयपुर में एक सरकारी स्कूल में दो छात्रों के बीच आपसी झगड़े में एक की चाकू से घोंपकर हत्या किए जाने के बाद तनाव है। जानिए, आख़िर क्यों अफवाह फैलाई जा रही है।

राजस्थान के उदयपुर में एक सहपाठी द्वारा ही 15 वर्षीय लड़के की हत्या के बाद तनाव है। इसको लेकर तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। अफ़वाहें तो ऐसी-ऐसी हैं कि जान बचाने की कोशिश करने वालों को ही साज़िशकर्ता बताने की अफवाह फैलाई जा रही है। वाट्सऐप पर इस तरह के संदेश भेजे जा रहा हैं। ऐसा पुलिस ने ही कहा है।

इस तरह के संदेश और अफवाहों के कारण ही पुलिस को उसी स्कूल के दो लड़कों को हिरासत में लेना पड़ा, वह भी उनकी खुद की सुरक्षा के लिए। हालांकि उन्हें दो दिन बाद रिहा कर दिया गया। लेकिन तनाव अभी बरकरार है। 16 अगस्त को तब घटना के दिन से ही यह बढ़ रहा है जब आपसी विवाद में चाक़ू लगने से एक छात्र घायल हो गया था। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी 19 अगस्त को मौत हो गई। इस घटना के बाद तनाव के कारण कई दिनों तक इंटरनेट सेवाएँ बंद रहीं।

पीड़ित को 16 अगस्त को छुट्टी के दौरान कथित तौर पर एक समुदाय के एक लड़के ने चाकू मार दिया था। इसके बाद दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों द्वारा आक्रोश और हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। अधिकारियों को कठोर कदम उठाने पड़े। इसमें पीड़ित को बचाने की कोशिश करने वाले एक सहपाठी को हिरासत में लेना भी शामिल था।

द इंडियन एक्सप्रेस ने अधिकारियों के हवाले से ख़बर दी है कि आरोपी के समुदाय से ही आने वाले एक सहपाठी ने ही पीड़ित का खून बहने से रोकने के लिए अपनी शर्ट फाड़ी और घाव पर बांध दी। अधिकारियों ने कहा कि इसके बाद वह और एक अन्य लड़का पीड़ित को स्कूटर पर अस्पताल ले गए।

स्कूल के सामने सुबह करीब 11 बजे हुई इस घटना ने शिक्षकों और प्रिंसिपल की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक़, कोई भी शिक्षक या प्रिंसिपल बच्चों के साथ अस्पताल नहीं गया।

स्कूल प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है और उन्हें बीकानेर के स्कूल शिक्षा निदेशालय में रिपोर्ट करने को कहा गया है, जबकि क्लास टीचर का तबादला कर दिया गया है।

अंग्रेज़ी अख़बार ने अधिकारियों के हवाले से ख़बर दी है कि जल्द ही यह अफवाह फैल गई कि बचाने की कोशिश करने वाला लड़का वास्तव में अपराध की साज़िश रचने में शामिल था, जिसके कारण पुलिस को उसे सुरक्षित रखने के लिए हिरासत में रखना पड़ा। जब वह पुलिस हिरासत में था तो उसकी दादी ने कहा कि लड़के को एक नेक काम के लिए दंडित किया जा रहा है, और दो किशोरों के बीच झगड़े को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार कुछ दिनों बाद लड़के को पुलिस हिरासत से रिहा कर दिया गया। उसके पिता ने कहा कि लड़का 23 अगस्त को घर आया और उसके बाद, उसे उदयपुर से दूर एक रिश्तेदार के घर भेज दिया गया। उसी समुदाय के एक और लड़के को भी रिहा कर दिया गया।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'हमने लड़कों को गिरफ्तार नहीं किया। हमने उन्हें दो दिन तक सिर्फ़ नियमित पूछताछ के लिए रखा था। हमने उन्हें घर भेज दिया है और अगर ज़रूरत पड़ी तो लड़कों को फिर से बुलाया जाएगा।'

रिपोर्ट के अनुसार शिक्षकों ने बताया कि पीड़ित 10वीं कक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों में से एक था। एक शिक्षक ने कहा कि वह एक हरफनमौला था- वह सुबह की प्रार्थना के साथ-साथ वार्षिक समारोहों का आयोजन भी करता था।

जिस लड़के ने कथित तौर पर उसे चाकू मारा, उसके बारे में एक शिक्षक ने कहा, 'वह एक औसत छात्र था और उसके पिता, जो एक टेम्पो चालक है, उसे लेकर चिंतित रहते थे। अभिभावक-शिक्षक बैठकों में वह हमसे अपने बच्चे के भविष्य पर ध्यान देने के लिए कहते थे।'

आरोपी के परिवार का घर ढहाया

जिस किराए के घर में आरोपी का परिवार रह रहा था, उसे अधिकारियों ने ध्वस्त कर दिया है। आरोपी बच्चे के साथ उनके पिता को जेल में रखा गया है। आरोपी की माँ और उसकी बहन वर्तमान में शहर के बाहरी इलाके में रह रहे हैं। महिला ने कहा, 'मेरी बेटी विकलांग है। अब कोई भी हमें अपना घर किराए पर नहीं देना चाहता है।' उन्होंने कहा कि उन्होंने घरों में काम करती थी, लेकिन उसको छुड़ा दिया गया है। आरोपी लड़के की एक और बहन ने कहा, 'अगर वह दोषी है, तो उसे सज़ा दो, लेकिन कम से कम मेरे पिता को तो रिहा करो।' 

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