पिछले चार दिनों से राजस्थान में भाजपा विधायक दल की बैैठक की सूचना पार्टी नेताओं के बीच फैलती थी और शांत हो जाती थी। लेकिन मंगलवार 12 दिसंबर को इस बैठक के पूरे आसार हैं। मंगलवार को विधायक अपने नेता को चुनेंगे, जिसके बाद कई दिनों से चल रही अटकलें खत्म हो जाएंगी कि मुख्यमंत्री कौन होगा। लेकिन क्या उसी तरह होगा जैसा एमपी और छत्तीसगढ़ में होगा। यह बड़ा सवाल है।
इस मामले से अवगत पार्टी सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय पर्यवेक्षक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडे के साथ मंगलवार सुबह पहुंचेंगे। शाम 4 बजे पार्टी कार्यालय पर विधायक दल की बैठक बुलाई गई है।
रजिस्ट्रेशन कैसा
राजस्थान के भाजपा विधायकों को निर्देश दिए गए हैं कि वो पार्टी दफ्तर में आकर दोपहर डेढ़ बजे अपना रजिस्ट्रेशन करा लें। हालांकि ऐसा होता नहीं है। विधायक पार्टी के चुनाव चिह्न पर जीतकर आते हैं। विधायकों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पार्टी में नहीं होती है। लेकिन यह रणनीति कुछ खास लग रही है। पार्टी विधायकों को यह संदेश देना चाहती है कि जो रजिस्ट्रेशन कराएंगे, उन्हें विधानसभा में भाजपा विधायक के रूप में जाना जाएगा। लेकिन जो विधायक नहीं आएंगे, क्या वो वसुंधरा राजे खेमे में रजिस्ट्रेशन कराएंगे। बहरहाल, इस रणनीति से जो निकलेगा वो शाम तक स्पष्ट हो जाएगा। अभी तो भाजपा के राज्य महासचिव और विधायक भजनलाल शर्मा ने सिर्फ यही कहा है- “भाजपा विधानमंडल दल की बैठक मंगलवार शाम 4 बजे भाजपा प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई है। भाजपा के सभी नवनिर्वाचित विधायकों का पंजीकरण दोपहर 1.30 बजे शुरू होगा।”
वसुंधरा क्या करेंगीः दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में से हैं। 70 वर्षीय नेता पिछले दो दशकों से राजस्थान में भाजपा का चेहरा हैं। वो पांच बार संसद सदस्य भी रही हैं। उनकी तरफ से इस बात के संकेत भाजपा आलाकमान को बार-बार दिए गए कि उनके पास वफादार विधायकों की अच्छी तादाद है। लेकिन आलाकमान पसीजा नहीं। वसुंधरा बीच में कई दिन दिल्ली में भी रहीं लेकिन उनकी मुलाकात पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक ही सीमित रही।
3 दिसंबर को नतीजे वाले दिन शाम को करीब 45 भाजपा विधायक वसुंधरा से मिलने पहुंच गए थे। भाजपा सूत्र कहते हैं कि उनके पास कम से कम 30 विधायक जरूर हैं। भाजपा ने राजस्थान में 115 सीटें जीती हैं। राज्य में 199 सीटों पर चुनाव हुए थे। समझा जाता है कि भाजपा ने इसीलिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अपनाई है कि वो उसके जरिए उतने विधायक होने का दावा करेगी। राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश करते समय यह रजिस्ट्रेशन और सूची काम आएगी। लेकिन यह सब अटकलें मात्र हैं। हो सकता है कि वसुंधरा आलाकमान से समझौता कर लें और उन्हें एडजस्ट किए जाने का आश्वासन मिल जाए।
राजस्थान में दूसरे प्रमुख दावेदार केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत हैं। वो भाजपा का राजपूत चेहरा हैं। 56 साल के शेखावत 2019 के लोकसभा चुनाव में जोधपुर से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव को हराने के बाद चर्चा में आए थे। गहलोत ने शेखावत पर क्रेडिट सहकारी घोटाले में शामिल होने और 2020 में कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
तीसरे प्रमुख उम्मीदवार केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल हैं, जो पूर्व आईएएस हैं। चित्तौड़गढ़ से दो बार सांसद रहे सीपी जोशी भी दावेदारों में माने जा रहे हैं। अन्य दावेदारों में जिनके नाम भी उछले, उनमें केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और पार्टी के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर हैं। हालांकि शुरू में इस्तीफा देने वाले तीन सांसद बाबा बालकनाथ, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा के नाम भी चले थे। इसमें से दीया कुमारी को पीएम मोदी की पसंद माना जा रहा है।
सोमवार दोपहर बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी जयपुर में भाजपा कार्यालय पहुंचे और कुछ नवनिर्वाचित विधायकों के अलावा संगठन सचिव चंद्रशेखर और पूर्व विधायक राजेंद्र राठौड़ से मुलाकात की। राठौड़ ने पार्टी नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए पैरवी करने के कथित प्रयासों की आलोचना की। उनका इशारा वसुंधरा की तरफ था। राठौड़ ने कहा कि भाजपा ने यह चुनाव पीएम मोदी के नाम और काम पर जीता है। अगर कोई यह सोचता है कि उसके नाम या चेहरे पर वोट मिले हैं तो वो गलतफहमी का शिकार है।
बहरहाल, खबरें हैं कि तमाम नवनिर्वाचित विधायक वसुंधरा के संपर्क में हैं। सोमवार को सारा दिन उनके आवास पर नए चुने गए विधायक मिलने के लिए आते रहे। राजस्थान भाजपा में अगर सबकुछ ठीक रहा तो शुक्रवार को शपथग्रहण समारोह हो सकता है।