राजस्थान हाई कोर्ट ने सोमवार को बीएसपी के विधायकों के कांग्रेस में विलय को रद्द करने को लेकर बीजेपी की ओर से दायर याचिका को रद्द कर दिया है। इस मामले में बीजेपी नेता मदन दिलावर की ओर से याचिका दायर की गई थी। इसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। इसके साथ ही बीएसपी की ओर से दायर याचिका भी खारिज हो गई है।
इससे पहले हाई कोर्ट ने बीएसपी के विधायकों को लेकर स्पीकर के फ़ैसले की जानकारी मांगी थी।अदालत साथ ही सचिन पायलट और कांग्रेस के अन्य बाग़ी विधायकों को स्पीकर के द्वारा जारी नोटिस को लेकर भी सुनवाई कर रही है।
याचिका में मदन दिलावर ने राजस्थान के स्पीकर के बीएसपी विधायकों को लेकर उनकी ओर से दायर प्रार्थनापत्र को रद्द किए जाने का जिक्र किया था। दिलावर ने कहा था कि उनके प्रार्थनापत्र को तो स्पीकर ने बिना सुनवाई के ही रद्द कर दिया लेकिन कांग्रेस के 19 बाग़ी विधायकों को नोटिस जारी कर दिया।
बीएसपी ने जारी किया व्हिप
राजस्थान में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने नया पेच फंसा दिया है। बीएसपी ने राजस्थान में उसके टिकट पर जीते 6 विधायकों को रविवार रात को व्हिप जारी किया है। इसमें कहा गया है पार्टी के सभी 6 विधायक विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव या अन्य किसी प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस पार्टी के ख़िलाफ़ वोट करें और अगर विधायक ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। यह व्हिप पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा के द्वारा जारी किया गया है।ये सभी विधायक पिछले साल राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी से मिले थे और उन्हें पत्र सौंपकर कहा था कि वे कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। इन विधायकों के नाम- जोगिंदर सिंह अवाना, राजेंद्र गुढ़ा, दीप चंद खेड़िया, संदीप यादव, लाखन सिंह मीणा और वाजिब अली हैं।
इन विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद 200 सदस्यों वाली राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 107 हो गयी थी।
इसके अलावा विधायकों को अलग से नोटिस भी भेजा गया है। नोटिस में कहा गया है कि चूंकि बीएसपी राष्ट्रीय पार्टी है, इसलिए संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत राज्य स्तर पर पार्टी का विलय नहीं हो सकता है। नोटिस में कहा गया है कि यह विलय सुप्रीम कोर्ट के भी कई फ़ैसलों के ख़िलाफ़ है।
पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने पायलट और कांग्रेस के अन्य बाग़ी विधायकों को जारी स्पीकर के नोटिस पर स्टे लगा दिया था। हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया है।
पायलट गुट द्वारा नोटिस को जयपुर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 21 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पीकर से कहा था कि वह 24 जुलाई तक पायलट व बाग़ी विधायकों को लेकर कोई फ़ैसला न लें।
हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। स्पीकर ने कहा था कि राजस्थान संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहा था और इसे टालने के लिए ही उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था लेकिन स्पीकर को कोई राहत नहीं मिली थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजस्थान हाई कोर्ट में चल रही प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई जा सकती। पायलट गुट ने भी इस मामले में अदालत में कैविएट दाख़िल की थी।