राजस्थान: डॉक्टर अर्चना शर्मा आत्महत्या केस में बीजेपी नेता हिरासत में

02:00 pm Mar 31, 2022 | सत्य ब्यूरो

राजस्थान के दौसा ज़िले में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या मामले ने अब काफ़ी ज़्यादा तूल पकड़ लिया है। दौसा पुलिस ने इस मामले में बीजेपी नेता और पूर्व विधायक जितेंद्र गोठवाल को हिरासत में लिया है। गोठवाल ने कथित तौर पर डॉ. अर्चना शर्मा के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद अर्चना के ख़िलाफ़ एक प्रसूता महिला की इलाज के दौरान मौत के मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। इस मुक़दमे के बाद ही डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली थी।

इस आत्महत्या के मामले में एक दिन पहले ही बुधवार को कई पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई हुई है। बुधवार देर रात जारी आदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एसपी को हटा दिया, लालसोट थाना के एसएचओ को निलंबित कर दिया और सर्कल अधिकारी को एपीओ कर दिया। संभागीय आयुक्त दिनेश कुमार यादव को घटनाओं की 'प्रशासनिक जांच' का काम सौंपा गया है। इसके अलावा भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव देने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अभय कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।

यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि मृतक डॉक्टर के पति ने स्थानीय बीजेपी नेताओं पर उनकी पत्नी के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस पर दबाव डालने का आरोप लगाया। 

दरअसल, यह पूरा मामला शुरू हुआ सोमवार को लालसोट के आनंद अस्पताल में प्रसव के दौरान 22 वर्षीय आशा बैरवा की मौत के बाद। तब आशा बैरवा के पति लालूराम बैरवा और उनके रिश्तेदार शव के साथ गांव वापस चले गए लेकिन कुछ समय बाद वे शव के साथ अस्पताल लौट आए। उनके साथ कुछ स्थानीय बीजेपी नेता थे। विरोध तेज होने पर स्थानीय पुलिस मौक़े पर पहुँची और उन्हें उचित कार्रवाई और जाँच का आश्वासन दिया।

बाद में डॉ. अर्चना शर्मा और उनके पति डॉ. सुनीत उपाध्याय पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया। यही दोनों आनंद अस्पताल चलाते हैं।

घटनाक्रम और एफ़आईआर से परेशान डॉ. शर्मा ने एक नोट छोड़ा और मंगलवार को आत्महत्या कर ली। उस नोट में उन्होंने डॉक्टरों को परेशान करना बंद करने की अपील की। उन्होंने लिखा, 'मैं अपने पति और बच्चों से बहुत प्यार करती हूँ। कृपया मेरी मृत्यु के बाद उन्हें परेशान न करें। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है और न ही किसी को मारा है। पीपीएच एक जटिल स्थिति है और इसलिए इसके लिए डॉक्टरों को इतना परेशान करना बंद करें। शायद मेरी मौत मेरी बेगुनाही साबित कर दे। कृपया निर्दोष डॉक्टरों को परेशान न करें।'

इस घटना के बाद डॉ. सुनीत उपाध्याय ने वीडियो जारी कर कहा कि उन्होंने एम्बुलेंस में शव को घर वापस भेजने की व्यवस्था की और वे अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। उपाध्याय ने कहा कि लेकिन फिर मुझे बताया गया कि बाल्या जोशी उनके घर गए और यह कहते हुए उन्हें वापस ले आए कि उन्हें अच्छा मुआवजा मिलेगा। फिर उन्होंने शव को अस्पताल के बाहर रख दिया और 100-200 लोगों की भीड़ इकट्ठी कर ली और हरकेश मतलाना, जितेंद्र गोठवाल समेत कुछ और बीजेपी नेताओं को बुला लिया...'।

राजनीति की शिकार हुईं डॉक्टर?

एफ़आईआर में डॉ. उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी की मृत्यु 'कुछ गिद्धों द्वारा राजनीति' किए जाने के कारण हुई। रिपोर्ट है कि अस्पताल पिछले काफी समय से स्थानीय विधायक परसादी लाल मीणा, जो वर्तमान में गहलोत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं और इसी सीट से पहले विधायक रह चुके डॉ. किरोड़ी लाल के बीच सत्ता संघर्ष में फंसा हुआ है।

डॉ. उपाध्याय ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि बाल्या जोशी उन्हें 'पिछले 5-6 वर्षों से परेशान कर रहे हैं, जब से हमने 2016 में इस अस्पताल को शुरू किया था। हमने उसके ख़िलाफ़ दो बार शिकायत दर्ज की है, लेकिन पुलिस ने कभी उसके ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज नहीं की। कुछ साल पहले, एक बच्चे को हमारे अस्पताल में भर्ती कराया गया था और दो दिन बाद जयपुर में उसकी मृत्यु हो गई। जबकि परिवार ने कुछ नहीं कहा, जोशी ने अस्पताल में आकर हंगामा किया।' 

उन्होंने यह भी कहा, 'इससे पहले उनके एक रिश्तेदार मनोज जोशी ने हमें फोन किया और हमें ब्लैकमेल किया और पैसे मांगे। मैंने उस ऑडियो रिकॉर्डिंग को पुलिस को सौंप दिया, लेकिन पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की।' डॉ. उपाध्याय ने आरोप लगाया, 'जोशी एक जाना-माना गुंडा है और उसे डॉ. किरोड़ी लाल मीणा से सुरक्षा मिली है।' उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकार के साथ भी मिलीभगत कर वह अपने ऊपर एफ़आईआर दर्ज नहीं होने देता है। उनका आरोप है कि ऐसे ही दबाव डालकर उनकी पत्नी पर एफ़आईआर दर्ज करा दी गई। अख़बार ने प्रतिक्रिया लेना चाहा लेकिन जोशी का फोन बंद था जबकि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कॉल का जवाब नहीं दिया।

बता दें कि दौसा की इस घटना के बाद पूरे राज्य में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए के डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गहलोत से उनके आवास पर मुलाक़ात की थी। आईएमए ने भी इस घटना की निंदा की और कुछ डॉक्टरों ने चिकित्सा संस्थानों के 24 घंटे के राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया।