राजस्थान में भाजपा की मुश्किलें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने बढ़ा दी हैं। भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह जहां वसुंधरा खेमे के विधायकों को समझाने में जुटे हैं, वहीं वसुंधरा बुधवार देर रात दिल्ली पहुंच गई। दिल्ली वो अपनी बहू को देखने आई हैं। राजस्थान के नवनिर्वाचित विधायकों में कुछ ने बुधवार को वसुंधरा से मुलाकात की थी। फिर उनसे अरुण सिंह भी मिले, लेकिन बात नहीं बनी। अब यह साफ हो गया है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व वसुंधरा को सीएम नहीं बनाना चाहता लेकिन भाजपा अभी तक विधायक दल की बैठक भी नहीं बुला सकी है।
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बताया जाता है कि वसुंधरा के पास 30 विधायक हैं और वो कांग्रेस आलाकमान के लगातार संपर्क में हैं। लेकिन इस सूचना की पुष्टि के लिए कोई कांग्रेस नेता बोलने को तैयार नहीं है। इसलिए इस सूचना पर अभी विश्वास नहीं किया जा सकता है कि वसुंधरा विद्रोह कर सकती हैं।
जहां रेवंत रेड्डी गुरुवार को तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, वहीं भाजपा अभी तक राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए मुख्यमंत्रियों की घोषणा नहीं कर पाई है। हालांकि पार्टी की गुरुवार को दिल्ली में एक अहम बैठक है जिसमें नामों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। खबरों के मुताबिक, पार्टी नए मुख्यमंत्री चेहरे चुनना चाहती है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और सीएम पद की प्रबल दावेदारों में से एक वसुंधरा राजे बुधवार रात दिल्ली पहुंचीं, लेकिन बैठक या सीएम चयन पर किसी भी सवाल को टाल गईं। एयरपोर्ट के बाहर वसुंधरा राजे ने कहा, ''मैं अपनी बहू से मिलने दिल्ली आई हूं।''
बुधवार को इस्तीफा देने वालों सांसदों में राजस्थान से राज्यवर्धन राठौड़, किरोड़ी लाल मीणा और दीया कुमारी शामिल थे। लेकिन योगी बालकनाथ ने इस्तीफा नहीं दिया। इसका आशय यह है कि राज्यवर्धन, किरोणी लाल मीणा और दीया कुमार राजस्थान में ही रुकेंगे। इनमें से कोई एक सीएम का चेहरा हो सकता है। हालांकि तिजारा से चुने गए बालकनाथ को लेकर कुछ ज्यादा ही अटकलें थीं, लेकिन बुधवार को उनका अपने आप खंडन हो गया।
भाजपा आलाकमान की परेशानी ये है कि नतीजे घोषित होने के बाद रविवार और सोमवार को बीजेपी के कई विधायक राजे से मुलाकात के लिए उनके आवास पर गए। उनमें से तमाम विधायकों ने स्पष्ट किया कि यह शक्ति प्रदर्शन नहीं था लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जनता चाहती है कि वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनें। जबकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यह सोच रहा था कि चूंकि चुनाव में वसुंधरा को सीएम फेस नहीं बनाया गया है तो चुनाव जीतने वाले विधायक ऐसे बयान नहीं देंगे। सूत्रों का कहना है कि बाद में जब भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने विधायकों से बात की तो विधायकों ने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रानी साहिबा को मुख्यमंत्री बनाना ज्यादा ठीक रहेगा। यानी अधिकांश विधायक वसुंधरा के पक्ष में नजर आए।
वसुंधरा राजे दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उनका नाम राजस्थान की पहली और एकमात्र महिला मुख्यमंत्री होने का दर्ज है। अपने समर्थकों के बीच रानी के नाम से सम्मानित, वसुंधरा राजे तीसरे कार्यकाल पर नजर गड़ाए हुए हैं। भाजपा ने 115 सीटों के साथ मौजूदा सत्तारूढ़ कांग्रेस को हराया, जो 69 सीटें हासिल करने में कामयाब रही है।
इन सब घटनाक्रमों के बीच भाजपा आलाकमान अपनी रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। समझा जाता है कि भाजपा गुरुवार को राजस्थान में किसी केंद्रीय नेता को भेजकर विधायक दल की बैठक कराएगी और राज्यवर्धन राठौड़, दीया कुमारी या फिर किरोड़ी लाल मीणा में से किसी को सीएम और डिप्टी सीएम की घोषणा कर देगी।