राजस्थान में फर्जी खबरों, सूचनाओं से माहौल बिगाड़ने की कोशिश
राजस्थान में सोशल मीडिया के जरिए साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश संगठित तरीके से जारी है। सैकड़ों की तादाद में ट्विटर हैंडल हैं जिनसे नफरत और झूठ फैलाया जा रहा है। कुछ मामलों में पुलिस सक्रिय होती है, बयान देती है, फिर चुप हो जाती है। कायदे से ऐसे ट्विटर हैंडल के बारे में राजस्थान पुलिस ट्विटर से शिकायत कर इन्हें बंद करवा सकती है लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा है। राजस्थान में जल्द ही चुनाव होने जा रहे हैं और आशंका है कि हिन्दू-मुसलमान ध्रुवीकरण कराने के लिए साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश तब तक जारी रहेगी।
उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की जघन्य हत्या के बाद बुधवार को राजस्थान के राजसमंद जिले में तनाव फैल गया। धारा 144 लागू होने के बावजूद जिले के भीम गांव में दक्षिणपंथी संगठनों ने रोष मार्च निकालने की घोषणा की। जब रोष मार्च निकल रहा था तो पुलिस ने उस भीड़ को रोकने की कोशिश की। गले में भगवा गमछा डाले और उत्तेजक नारे लगाते लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। पुलिस इसके लिए तैयार नहीं थी। भीड़ पुलिस पर हावी हो गई। इस दौरान मुस्तैदी से ड्यूटी कर रहे कॉन्स्टेबल संदीप चौधरी को किसी ने छुरा घोंप दिया। संदीप की हालत गंभीर होने के बाद उनके बारे में अफवाह फैलाई जाने लगी। संदीप को छुरा किसने मारा, उस वारदात को समुदाय विशेष के लोगों पर डालकर अफवाह फैला दी गई। हालांकि भीम कस्बे में रोष प्रदर्शन का समुदाय विशेष से कोई संबंध नहीं था।
इस घटना के फौरन सैकड़ों की तादाद में ट्वीट होने लगे कि कॉन्स्टेबल संदीप की हत्या जेहादी मानसिकता वाली भीड़ ने की है। कुछ लोगों ने सीधे मुसलमान लिख दिया। कुछ ने इसे इस्लामिक भीड़ बता दिया। अगर किसी समझदार ने इनकी फर्जी सूचना को चैलेंज किया तो उसे ये लोग ट्रोल करने लगे। दरअसल, आरएसएस के विचारों का समर्थन करने वाली एक वेबसाइट ने यह खबर भी चला दी कि पुलिसकर्मी की हत्या में इस्लामी कट्टरपंथी शामिल थे। इस खबर को वायरल भी उन्हीं ट्विटर हैंडिल के जरिए वायरल भी किया गया।
यह खबर सरासर झूठ है। इसमें गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं।
— Rajasthan Police (@PoliceRajasthan) June 29, 2022
पुलिस कांस्टेबल संदीप पर हमला करने वाला आरोपी उसी के समुदाय से संबंधित है।
हमारी आपसे दरख्वास्त है फेक न्यूज फैलाने से बचें।#RajasthanPolice#StopFakeNews pic.twitter.com/cAPTnSXmU4
राजसमंद में पुलिस का पूरा दिन ऐसी अफवाहों के खंडन में बीता। खंडन के बाद उस दक्षिणपंथी वेबसाइट से खबर हट गई और राजसमंद में हुई हिंसा की एक सामान्य खबर लगा दी गई। लेकिन राजसमंद इलाके में और देश में अफवाह फैलाने का काम पूरा हो चुका था। दक्षिणपंथी समुदाय विशेष के खिलाफ जो नेरेटिव बनाना चाहते हैं, उसका मकसद भी पूरा हो चुका था। राजस्थान पुलिस ने गलत खबर चलाने वाली दक्षिणपंथी वेबसाइट पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। अलवर में मंदिर तोड़े जाने के समय, जोधपुर और अन्य शहरों में रामनवमी के दौरान हुई साम्प्रदायिक हिंसा के समय भी इस वेबसाइट ने कई गलत खबरें वायरल की थीं।
एंग्री बर्ड (एंग्री लड़की) ट्विटर हैंडल से किए गए इस ट्वीट को देखिए। उसने ऑपइंडिया वेबसाइट की एक खबर को ट्वीट करते हुए मुस्लिम भीड़ और कांग्रेस पोषित वोट बैंक का कारनामा बताया कि भीम कस्बे में पुलिसकर्मी पर हमला इन लोगों ने किया था। लेकिन ऑपइंडिया वेबसाइट से अब यह खबर गायब है। वहां पर राजसमंद घटना की एक सामान्य खबर लगी है। पुलिस ने अभी तक इस फर्जी खबर का संज्ञान नहीं लिया है।
कन्हैया के बाद कांग्रेस पोषित वोट बैंक का नया कारनामा राजसमंद के भीम थाना जहाँ वो दोनों हत्यारे गिरफ्तार कर के लाये गये थे वहां की मुस्लिम भीड़ ने थाने पर हमला बोल कर एक और बार कांस्टेबल सन्दीप की गर्दन पर वार किया!सन्दीप की हालत गम्भीर है,उन्हें अस्पताल में तुरंत ले जाया गया । pic.twitter.com/MpSWsqYgTa
— ANGRY BIRD (@angryladki) June 29, 2022
जब ये फर्जी खबर अच्छी तरह वायरल हो गई और इस हटा लिया गया तो ये संगठित ट्विटर हैंडल एबीपीलाइव डॉट कॉम की खबर ले आए। लेकिन उस पर वही अफवाह वाली बात लिखकर वायरल किया गया। वेबसाइट का लिंक बदल गया लेकिन अफवाह फैलाने वाला कंटेंट कायम रहा। ट्ववीटमणी नामक हैंडल से किए गए ऐसे ही इस अंग्रेजी ट्वीट को देखिए। इसमें भी मुस्लिम भीड़ शब्द का इस्तेमाल किया गया है। जबकि राजसमंद में हुए प्रदर्शन से मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं था।
A violent Muslim mob severely injured a police constable in Rajsamand when the police team arrested 2 Islamic terrorist who beheaded Hindu man Kanhaiya in #Udaipur #JusticeForKanhaiyaLalhttps://t.co/d3d7OUhm82
— Mani (@tweetmani0) June 29, 2022
इस ट्वीट में मुस्लिम भीड़ की जगह जेहादी भीड़ नाम दिया गया है। ऐसी तमाम ट्वीट में हर बार शब्द बदल जाते थे। किसी में मुस्लिम भीड़, किसी में जेहादी भीड़, किसी में इस्लामी भीड़ शब्द लिखे गए। सैकड़ों की तादाद में किए गए इन ट्वीट्स में इन्हीं तीन शब्दों पर जोर था और पुलिसकर्मी संदीप पर हमले के लिए इसी समुदाय विशेष को जिम्मेदार बता दिया गया।
Jehadi mobs came out in support of the attack and even stabbed a constable. 👇https://t.co/RRQP36r5VY
— Teni Da Mughlai Enjoyer (@Swamp_Croc) June 29, 2022
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लगभग हर शहर में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का खेल जारी है। राज्य के किसी भी शहर से जुड़े सोशल मीडिया की पड़ताल करने से पता चलता है कि फेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप के जरिए यह हरकत संगठित तरीके से की जा रही है। यह सिलसिला अलवर की घटना, रामनवमी के समय की घटना से शुरू होकर अब तक जारी है। राजस्थान पुलिस ने अभी तक किसी भी मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की है।