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पायलट विवाद आंतरिक मामला, मोदी-शाह कुछ कर लें, राजस्थान हारेंगे :गहलोत

पायलट विवाद आंतरिक मामला, मोदी-शाह कुछ कर लें, राजस्थान हारेंगे :गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने एनडीटीवी को दिए गए इंटरव्यू में सचिन पायलट से विवाद पर कई बातों पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि भाजपा राजस्थान में भी साम्प्रदायिक कार्ड खेलेगी लेकिन पीएम मोदी, अमित शाह कुछ कर लें, राजस्थान जीत नहीं पाएंगे।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि सचिन पायलट के साथ मतभेद कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में भाजपा जबरदस्त तरीके से साम्प्रदायिक कार्ड खेलने जा रही है, लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह राजस्थान में कुछ भी कर लें, उनकी पार्टी जीतने वाली नहीं है। मुख्यमंत्री गहलोत ने ये बातें एनडीटीवी को दिए गए इंटरव्यू में कही हैं।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव चंद महीने दूर हैं। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर रखा है। हाल ही में खबर आई कि वो नई पार्टी बनाने जा रहे हैं। इसका ऐलान 11 जून को हो सकता है। लेकिन कांग्रेस ने जहां ऐसी किसी बात का खंडन किया, वहां भाजपा की ओर से मीडिया में ये खबरें बताई गईं कि भाजपा सचिन के पार्टी बनाने से खुश नहीं होगी। यानी सचिन अभी जिस तरह से पार्टी के अंदर लड़ रहे हैं, वैसे लड़ते रहें। कुल मिलाकर सचिन की स्थिति फिर कमजोर हो गई है।

बहरहाल, गहलोत ने एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू में कहा, "राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल और सुखजिंदर सिंह रंधावा की मौजूदगी में हाल ही में दिल्ली में, हमने एक-दूसरे (सचिन) से बात की।" उन्होंने कहा कि "मैं अभी इसके बारे में बात नहीं करना चाहता। जब हम एक बार बात करने के लिए बैठे हैं, अगर मैं अब कुछ कहूंगा तो इसे गलत समझा जा सकता है। इसलिए यह चैप्टर बंद किया जाए।"

हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह अब भी पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता वसुंधरा राजे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कोई बताए कि क्या मामला पेंडिंग है। उनका (वसुंधरा) मामला अदालत में है। मैं कार्रवाई करने को तैयार हूं अगर कोई, यह बता सके कि हमारे पास क्या मामला लंबित है।" बता दें कि सचिन पायलट ने राज्य सरकार पर वसुंधरा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में नरमी बरतने का आरोप लगाया है।

एनडीटीवी के मुताबिक मुख्यमंत्री ने पिछले महीने अपनी टिप्पणी को स्पष्ट किया जब उन्होंने दावा किया कि वसुंधरा राजे और दो अन्य भाजपा नेताओं ने पायलट के नेतृत्व में उनकी पार्टी के विधायकों द्वारा 2020 के विद्रोह के दौरान उनकी सरकार को बचाने में भूमिका निभाई थी।

गहलोत ने कहा, "कैलाश मेघवाल ने इस विषय को उठाया था कि कैसे मैंने एक बार भैरों सिंह शेखावत की भाजपा सरकार को गिराने में मदद करने से इनकार कर दिया था, और बताया कि कैसे राजस्थान में खरीद-फरोख्त की संस्कृति नहीं रही है।"

उन्होंने कहा, "इसका जवाब देते हुए, मैंने यह कह दिया कि वसुंधरा राजे जी भी खरीद-फरोख्त में विश्वास नहीं करती थीं। उन्होंने खुद मुझसे यह नहीं कहा था, लेकिन उनके विधायकों ने मुझसे मिलने पर ऐसा कहा था।"

उन्होंने कहा, "उस टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और दावा किया गया था कि मैंने 2020 के विद्रोह के दौरान अपनी सरकार को बचाने के लिए उन्हें श्रेय दिया था। लोगों ने इसे उनके खिलाफ मुद्दा बनाने की कोशिश की।"

सचिन की राजनीतिः 2018 में राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से गहलोत और में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद चल रहा है। पायलट ने 2020 में विद्रोह किया और दिल्ली में काफी दिनों तक डेरा डाला, लेकिन राहुल गांधी द्वारा उन्हें समाधान का आश्वासन देने के बाद उन्होंने अपना विरोध वापस ले लिया। गहलोत को 80 से अधिक विधायकों का समर्थन मिलने के कारण सचिन का विद्रोह नाकाम हो गया। पायलट कभी भी अपने समर्थन में 20 से अधिक विधायक नहीं जुटा पाए।

पिछले साल जब गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की कवायद शुरू हुई तो राजस्थान के 72 कांग्रेस विधायकों ने गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनाने के कांग्रेस के कदम के विरोध में इस्तीफा दे दिया। विधायक जानते थे कि अगर गहलोत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो सचिन पायलट को राज्य में सीएम बनाया जाएगा। मामला तब फंसा जब गहलोत ने भी कहा कि वो राजस्थान में ही रहना चाहते हैं, राजस्थान को उनकी जरूरत है।

इस साल की शुरुआत में, सचिन पायलट ने राज्य में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के तुरंत बाद राजस्थान चुनाव के लिए अपना अभियान शुरू किया। इसे पार्टी के विरोध में अभियान माना गया।

'साम्प्रदायिकता नहीं जीतेगी'

एनडीटीवी से गहलोत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पूरा जोर लगा लें, तो भी भाजपा राजस्थान में विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाएगी। गहलोत ने कहा कि भाजपा आगामी राजस्थान विधानसभा चुनावों को सांप्रदायिक रंग देगी और यह काम नहीं करेगा। कर्नाटक में यह रणनीति विफल रही है। यह यहां भी नाकाम होगी।

उन्होंने दावा किया, "वे (भाजपा) सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील बयानों से लोगों को जीतने की कोशिश करेंगे। यदि आप धर्म के बारे में बात करते रहेंगे, तो लोग आपकी ओर आकर्षित होंगे। लेकिन यह सही काम नहीं है।"

गहलोत ने एनडीटीवी से कहा- "चाहे पीएम मोदी हों या अमित शाह...वे धर्म के नाम पर नारे लगाते हैं... इस बार इनमें से कोई भी काम नहीं करेगा। जब उन्होंने कर्नाटक में बजरंग बली का नारा लगया तो यह काम नहीं आया। यह बहुत गलत था। मैंने मांग चुनाव आयोग से मांग की थी कि पीएम मोदी को प्रचार करने से रोका जाए। यह एक तरह का अपराध है।" गहलोत ने कहा कि "यह उन लोगों के स्वभाव में है, वे कुछ भी कर सकते हैं।"

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