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मैंने माकन से कहा, सर्वे करा लो, कौन रिपीट करेगाः गहलोत

मैंने माकन से कहा, सर्वे करा लो, कौन रिपीट करेगाः गहलोत

राजस्थान संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर फिर से निशाना साधा। अजय माकन से हुई बातचीत के बारे में बताया। दरअसल, गहलोत ने शनिवार 1 अक्टूबर को बीकानेर में संकेत दिया था कि वो सीएम बने रहेंगे। लेकिन रविवार 2 अक्टूबर को उन्होंने पायलट पर निशाना साधते हुए कहा कि राजस्थान का फैसला कांग्रेस आलाकमान को करना है। 

राजस्थान का संघर्ष थमता नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को सचिन पायलट का नाम लिए बिना फिर से निशाना साधा। गहलोत ने यह भी कहा कि मैंने अजय माकन को चुनौती दी थी कि राजस्थान में सर्वे करा लो, कौन रिपीट करेगा। सारी हकीकत सामने आ जाएगी। जाहिर है कि सचिन पायलट या उनका गुट अब इस पर जरूर प्रतिक्रिया देगा। गहलोत रविवार 2 अक्टूबर को जयपुर में गांधी सर्कल पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर फूल अर्पित करने पहुंचे तो वहां मीडिया ने उन पर राजनीतिक सवालों की बौछार कर दी। उसके जवाब में उन्होंने जो कहा, उससे पता चलता है कि राजस्थान में खेल अभी निपटा नहीं है।

राजस्थान पत्रिका, इंडिया टुडे और राजस्थान के लोकल मीडिया के मुताबिक गहलोत ने सवालों के जवाब में कटाक्ष किया कि  कांग्रेस विधायकों ने सोचा कि "दूसरों" को स्वीकार करने की तुलना में बगावत करना बेहतर है क्योंकि कुछ विधायक "अमित शाह, जफर इस्लाम और धर्मेंद्र प्रधान के साथ बैठे थे।" उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से यह कहना चाहा कि सचिन पायलट खेमे के कुछ विधायक बीजेपी नेताओं के संपर्क में थे।

गहलोत ने कहा, कांग्रेस के इतिहास में पहली बार वह एक लाइन प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। मुझे अब भी दुख है कि यह पारित नहीं हुआ. इसलिए मैंने माफी भी मांगी। (पाठकों को समझने के लिए बता दें कि कांग्रेस शासित राज्य में जब भी कोई सीएम बदला गया है तो विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित करके फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ा जाता है लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं हुआ और गहलोत समर्थक 102 विधायकों ने पार्टी लाइन से अलग जाकर बगावत कर दी थी)

गहलोत ने पत्रकारों से अपनी बात जारी रखते हुए सवाल किया कि "लेकिन स्थिति क्यों पैदा हुई? जब मैंने विधायकों को समझाने के लिए पीसीसी प्रमुख गोविंद डोटासरा को भेजा, तो वे इस बात से बहुत नाराज थे कि मैंने उनसे 2020 में वादा किया था कि मैं उनका अभिभावक बनूंगा। विधायक नाराज थे क्योंकि आगे क्या होगा, अगर मैंने राजस्थान छोड़ दिया? कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता होने के नाते, जो हुआ उसकी मैं जिम्मेदारी लेता हूं।" सीएम अशोक गहलोत ने कहा- 

विधायकों ने सोचा कि दूसरों को स्वीकार करने से बगावत करना बेहतर है। सभी जानते हैं कि कुछ विधायक अमित शाह, जफर इस्लाम और धर्मेंद्र प्रधान के साथ बैठे थे। सभी जानते हैं कि बीजेपी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही थी। हमारे विधायक चाहते हैं कि सरकार पांच साल पूरे करे। हम दूसरों के साथ नहीं बैठ सकते। बीजेपी के साथ बैठने वालों को हम कैसे स्वीकार कर लें।


- अशोक गहलोत, सीएम, राजस्थान, 2 अक्टूबर को जयपुर में

गहलोत ने कहा कि मैंने अजय माकन से कहा कि राजस्थान में सर्वे करा लिया जाए कि किसके नेतृत्व में सरकार रिपीट हो सकती है। सच्चाई सामने आ जाएगी। मैं अभी भी अपना कर्म कर रहा हूं। बाकी फैसला आलाकमान को ही लेना है।

राजस्थान में कांग्रेस का संकट तब शुरू हुआ जब 82 कांग्रेस विधायकों ने विधायक दल की बैठक से पहले इस्तीफा देने की धमकी दी। विधायक दल की बैठक में अगले मुख्यमंत्री के उम्मीदवार पर चर्चा होने की संभावना थी। इससे कांग्रेस नेतृत्व और गहलोत के वफादारों के बीच गतिरोध पैदा हो गया, पार्टी आलाकमान ने अपने पार्टी पर्यवेक्षकों, मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से रिपोर्ट मांगी थी। यह रिपोर्ट अलग-अलग थी। अजय माकन की रिपोर्ट में गहलोत समर्थक विधायकों की अनुशासनहीनता का जिक्र था। खड़गे की रिपोर्ट कुछ और बता रही थी।

 

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