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राजस्थान से भारत जोड़ो यात्रा के निकल जाने के बाद फैसला लेगी कांग्रेस?

राजस्थान से भारत जोड़ो यात्रा के निकल जाने के बाद फैसला लेगी कांग्रेस?

ढाई साल से राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमों के बीच चल रही लड़ाई कब खत्म होगी। क्या अब मल्लिकार्जुन खड़गे व गांधी परिवार राजस्थान के सियासी संकट को लेकर कोई अंतिम फैसला ले लेंगे?

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी लड़ाई गहलोत के कुछ दिनों पहले दिए गए गद्दारी वाले बयान के कारण फिर से तेज हो गई है। भारत जोड़ो यात्रा दिसंबर के पहले हफ्ते में राजस्थान में प्रवेश करने वाली है और उसके ठीक पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान ने पार्टी नेतृत्व को मुश्किलों में डाल दिया है। 

हालांकि पार्टी के महासचिव जयराम रमेश अशोक गहलोत की टिप्पणी को अप्रत्याशित और आश्चर्यजनक बता चुके हैं। जयराम रमेश ने कहा है कि अशोक गहलोत को कुछ शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। 

कांग्रेस ने इस बात का भी संकेत दिया है कि वह पार्टी के हित में कोई बड़ा फैसला लेने से नहीं चूकेगी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को इंदौर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही कांग्रेस के लिए एसेट हैं। 

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द इंडियन एक्सप्रेस ने कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से कहा है कि पार्टी नेतृत्व इस मामले में राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के निकल जाने के बाद ही कोई फैसला लेगा। 

पिछले ढाई साल से राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमों के बीच जो लड़ाई चल रही है उससे पार्टी की काफी किरकिरी हो चुकी है। पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच भी जबरदस्त असमंजस है कि ऐसे हालात में कांग्रेस अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव किसकी अगुवाई में लड़ेगी।

जयराम रमेश ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कांग्रेस का पूरा ध्यान भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाने पर है और पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी यात्रा की सफलता पर ही ध्यान देना चाहिए। लेकिन बेहद अनुभवी नेता अशोक गहलोत ने जिस तरह राजस्थान में यात्रा के पहुंचने से कुछ दिन पहले अपने सियासी विरोधी सचिन पायलट पर हमला किया, उससे कांग्रेस नेतृत्व के लिए इस मामले में निर्णायक व जल्द फैसला करना जरूरी हो गया है। 

राज्य प्रभारी की तलाश 

कांग्रेस के लिए मुश्किल इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि राज्य के कांग्रेस प्रभारी अजय माकन अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। कांग्रेस को प्रदेश प्रभारी के लिए किसी अनुभवी और दमदार नेता का चयन करना होगा जो राज्य कांग्रेस में लंबे वक्त से चल रहे झगड़ों को खत्म कर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को मजबूती से चुनाव लड़ने के लिए एक मंच पर एकजुट कर सके। 

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200 सदस्यों वाली राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं। जयराम रमेश का कहना है कि कांग्रेस को अशोक गहलोत और सचिन पायलट, दोनों की ही जरूरत है। अशोक गहलोत के पास लगभग 90 विधायकों का समर्थन है और वह स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि सचिन पायलट के साथ 10 विधायक भी नहीं हैं और वह उन्हें मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान अगर नेतृत्व परिवर्तन करना भी चाहे तो भी वह नहीं कर सकता क्योंकि ऐसा कदम आत्मघाती साबित होगा। 

2020 की बगावत 

साल 2020 की बगावत के दौरान भी गहलोत ने पायलट को नकारा, निकम्मा कहकर तगड़ा हमला किया था। कांग्रेस हाईकमान के कहने पर सचिन पायलट के समर्थक 5 विधायकों को गहलोत सरकार में नवंबर, 2021 में मंत्री बनाया गया था लेकिन पायलट के समर्थक लगातार उनके नेता को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठाते रहे हैं। 

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके समर्थकों ने साल 2020 में हुई बगावत को बड़ा मुद्दा बना लिया है। गहलोत ने एनडीटीवी से कहा था कि उस बगावत में पूरा खेल सचिन पायलट का ही था। 

कांग्रेस सिर्फ गिने-चुने 2 राज्यों में सत्ता में है और अगले साल 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव का वक्त भी नजदीक आ रहा है। ऐसे में पार्टी को तमाम राज्यों के विधानसभा चुनाव में तो मजबूती के साथ लड़ना ही होगा, राजस्थान के संकट को भी सुलझाना होगा। देखना होगा कि कांग्रेस इस मसले को कैसे सुलझाती है। 

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