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राजस्थान: 2018 में कांग्रेस जीती थी, इस बार क्या बीजेपी से पार पाएगी? 

राजस्थान: 2018 में कांग्रेस जीती थी, इस बार क्या बीजेपी से पार पाएगी? 

चुनाव आयोग ने राजस्थान सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी। राजस्थान में 23 नवंबर को चुनाव कराया जाएगा। जानिए, कांग्रेस और बीजेपी का कैसा था पिछले चुनाव में प्रदर्शन। 

राजस्थान में पिछले कुछ दशकों में कांग्रेस और बीजेपी पाँच-पाँच साल बारी-बारी से सत्ता में आती रही हैं तो क्या इस बार भी कुछ वैसा ही नतीजा आएगा या फिर ट्रेंड बदलेगा? 

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत हुई थी। इसने कुल 200 सीटों में से 100 सीटें हासिल की थीं। बीजेपी को 73 सीटें ही मिल पाई थीं। अन्य के खाते में 27 सीटें गई थीं। कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों और बीएसपी के विधायकों को साथ लेकर सरकार बनायी थी। 

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पिछले चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीटों का अंतर भले ही काफ़ी ज़्यादा रहा हो लेकर वोट प्रतिशत में ज़्यादा बड़ा अंतर नहीं रहा था। कांग्रेस को 39.30 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 38.77 फ़ीसदी। अन्य को क़रीब 21 फ़ीसदी वोट मिले थे। 

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इस बार कहा जा रहा है कि बीजेपी में अंदरुनी कलह है और वसुंधरा राजे को कथित तौर पर दरकिनार किए जाने की ख़बर है। बीजेपी इस चुनाव में सामूहिक नेतृत्व के जरिए जनता के सामने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चुनावी रैली में इस बात पर जोर दिया कि भाजपा कमल के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। 

वैसे, क़लह तो कांग्रेस में भी गहलोत और सचिन पायलट गुट में रही थी, लेकिन फिलहाल दोनों के बीच सहमति बन गई लगती है। 

इस चुनाव में कांग्रेस के सामने अपनी सत्ता विरोधी लहर को कम कर सरकार बचाने की चुनौती होगी। वहीं, भाजपा एक बार फिर राज्य की सत्ता में आने की कोशिश करेगी। बीजेपी जहाँ हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का संकेत दे रही है वहीं, कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड का दाँव चला है। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में जाति सर्वेक्षण की घोषणा कर दी है। सियासी गलियारों में इसे गहलोत के मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन यह फैसला चुनाव आचार संहिता लगने से ठीक पहले किया गया है, इसलिए इसके लागू होने पर अभी चुनाव आयोग की तलवार लटकी हुई है।

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