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श्रमिक ट्रेन से 60 लाख प्रवासियों को ढोया, संचालन ख़र्च का 15% वसूल हुआ: रेलवे

श्रमिक ट्रेन से 60 लाख प्रवासियों को ढोया, संचालन ख़र्च का 15% वसूल हुआ: रेलवे

रेलवे ने कहा है कि इसने एक मई से अब तक 60 लाख प्रवासी मज़दूरों को उनके घर पहुँचाया है और इन पर आए संचालन ख़र्च का 15 फ़ीसदी ही उसे वापस मिला है।

रेलवे ने कहा है कि इसने एक मई से अब तक 60 लाख प्रवासी मज़दूरों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से उनके घर पहुँचाया है और इन पर आए संचालन ख़र्च का 15 फ़ीसदी ही उसे वापस मिला है।

रेलवे ने इन ट्रेनों को तब चलाया था जब कोरोना संकट के बाद एकाएक लगाए गए लॉकडाउन के बाद शहरों और दूसरे राज्यों में रहने वाले प्रवासी मज़दूरों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई थी। लॉकडाउन की वजह से काम धंधे बंद हो गए थे और उनके लिए कमाई का कोई ज़रिया नहीं था। बस, ट्रेन सहित सभी यातायात बंद होने के कारण हज़ारों लोग जैसे-तैसे अपने घर पहुँचने की जद्दोजहद में थे और बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने-अपने घरों के लिए निकले जा रहे थे। पैदल जाने वाले कई लोगों की मौत की ख़बरें भी आईं।

मज़दूरों के इस अप्रत्याशित संकट के कारण जब सरकार पर दबाव पड़ा तो इसने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने का फ़ैसला लिया। ट्रेनें चलीं तो अव्यवस्था की भी ख़बरें ख़ूब आईं।

अब रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने सोमवार को कहा है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों पर प्रति यात्री औसत किराया 600 रुपये था और रेलवे ने अब तक 4,450 श्रमिक ट्रेनें चलाई हैं। रेलवे ने इनसे क़रीब 360 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया जो संचालन ख़र्च का पंद्रह फ़ीसदी ही है।

उन्होंने कहा, 'बहुत कम प्रवासियों को अब वापस भेजा जाना बाक़ी है। हम उन्हें घर ले जाने के लिए राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर रहे हैं।'

बता दें कि मज़दूरों के किराए को लेकर विवाद हुआ और सत्ताधारी पार्टी की ओर से दावा किया गया कि मज़दूरों से रुपये नहीं वसूले जा रहे हैं। केंद्र सरकार के कुछ बयानों से यह संकेत मिल रहा था कि केंद्र सरकार 85 फ़ीसदी किराए का भुगतान कर रही है और बाक़ी 15 फ़ीसदी भुगतान राज्य सरकारें कर रहीं हैं। बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी मई महीने में दावा किया था कि मज़दूरों के 85 फ़ीसदी बिल का भुगतान केंद्र सरकार कर रही है। तब कई ऐसी रिपोर्टें आई थीं कि ट्रेनों से यात्रा कर रहे मज़दूर यह कहते रहे कि उनसे पूरे किराए वसूले जा रहे हैं।

जब यह मामला कोर्ट में पहुँचा तो केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विशेष श्रमिक ट्रेनों का किराया या तो उन राज्यों की सरकारें दे रहीं हैं जहाँ ट्रेनें जा रही हैं या फिर वे राज्य सरकारें दे रही हैं जहाँ से ट्रेनें खुल रही हैं।

हालाँकि अब, 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने यह दोहराया कि इन ट्रेनों के संचालन की लागत क्रमशः केंद्र और राज्यों द्वारा 85-15 प्रतिशत के फ़ॉर्मूले में साझा की जा रही है।

यादव ने यह भी कहा कि कोविड-19 रोगियों के लिए दिल्ली में पहले से ही 50 से अधिक रेलवे कोच तैनात किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उनके विभाग ने राज्यों को लिखा है कि वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार आइसोलेशन वाले डिब्बों की माँग भेजें। उन्होंने कहा कि रेलवे कोविड रोगियों के लिए अलग कोच प्रदान करेगा, जो सभी राज्य के मुख्य चिकित्सा अधिकारी की देखरेख में होंगे।

बता दें कि दिल्ली में अस्पतालों के बेड की कमी को पूरा करने के लिए ट्रेन के पाँच सौ डब्बे दिये जाएँगे जिसमें मरीज़ों का इलाज किया जाएगा। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद यह जानकारी दी। 

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