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रेलवे भर्ती धांधलीः आंदोलन की आग फैली, 28 को बिहार बंद

रेलवे भर्ती धांधलीः आंदोलन की आग फैली, 28 को बिहार बंद

रेलवे भर्ती में धांधली के खिलाफ युवकों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। अब बिहार के बेरोजगार युवकों ने 28 को बिहार बंद की घोषणा कर दी है।

रेलवे भर्ती बोर्ड के नॉन-टेक्निकल पाॅपुलर कैटेगरी या एनटीपीसी के रिजल्ट में घपला, हाई कट-ऑफ और वादे से काफी कम उम्मीदवारों को सफल घोषित करने की शिकायत पर बिहार में चल रहा आन्दोलन तीसरे दिन मंगलवार को भी जारी है। आन्दोलनकारियों का कहना है कि उन्होंने नब्बे लाख ट्वीट किया लेकिन रेलवे बोर्ड नहीं जागा तो मजबूरी में धरना-प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ा।मोटे तौर पर यह माना जा रहा है कि बिहार के करीब 25 लाख बेरोजागारों ने इन नौकरियों के लिए परीक्षा दी है। आन्दोलनकारी झारखंड और उत्तर प्रदेश के उम्मीदवारों से भी आन्दोलन में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। इधर, आइसा- आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन और इंकलाबी नौजवान सभा ने इस आंदोलन को समर्थन देते हुए 28 जनवरी को बिहार बन्द का आह्वान किया है। हालांकि आन्दोलनकारी उम्मीदवारों ने मंगलवार को ही यह घोषणा कर दी थी कि वे बुधवार को भी रेल चक्का जाम आंदोलन जारी रखेंगे।

हैरत की बात यह है कि इतने जबर्दस्त आन्दोलन पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कोई बयान सामने नहीं आया है हालांकि राजद के प्रवक्ता ने आंदोलनकारियों के समर्थन का ऐलान किया है। जाप- जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने आंदोलनकारियों से मुलाकात की और उन्हें समर्थन देने की बात कही है। कांग्रेस और ’आप’ ने भी बयान जारी कर आंदोलनकारियों का समर्थन किया है और पुलिसकार्रवाई की निंदा की है।इधर, कोलकाता से डीआईजी सह मुख्य संरक्षा आयुक्त के हस्ताक्षर से जारी एक पत्र में सिर्फ एनएसयूआई का नाम दिया गया है कि उसने 26 जनवरी को रेल चक्का जाम आन्दोलन को समर्थन देने का ऐलान किया है।

आन्दोलन के दूसरे दिन रेलवे बोर्ड ने कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस केस करने और रेलवे की नौकरी से आजीवन प्रतिबंधित करने की चेतावनी दी थी। इसके अलावा उसकी ओर से यह भी कहा गया था कि स्नातक एनटीपीसी के रिजल्ट में बदलाव नहीं होगा। मगर बुधवार को उसने नरमी दिखाते हुए न सिर्फ यह कि परीक्षाएं स्थगित कर दीं बल्कि आन्दोलनकारियों की शिकायत सुनने के लिए कमेटी भी बनादी।

पटना से सोमवार को शुरू हुआ यह आन्दोलन पूरे बिहार में फैल चुका है। बुधवार को आंदोलन कर रहे उम्मीदवारों ने जहानाबाद में ट्रैक पर धरना देकर राष्ट्रगान गाया और अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाये। कई जगह रेल पटरियों पर स्लीपर रखकर नारेबाजी की गयी। इस कारण पटना-गया रेलखंड पर ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित रही।

बुधवार को ही गया में एक खाली डिब्बे में आग लगा दी गयी। इस बारे में गया के एसएसपी आदित्य कुमार ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है। कुछ लोगों ने रेल के डिब्बे में आग लगायी थी, हमने उनमें से कुछ को पहचान लिया है।

पटना के अलावा आरा, बक्सर, छपरा, हाजीपुर, समस्तीरपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, बिहारशरीफ, नवादा और भभुआ में भी आन्दोलन के कारण ट्रेेनों की आवाजाही प्रभावित हुई है। नवादा में मंगलवार को रेलवे स्टेशन पर खड़ी पटरी की देखरखे करने वाली मशीन में आग लगा दी गयी थी। पटना में देर शाम आन्दोलनकारियों और पुलिस के बीच रोड़ेबाजी हुई जिसमें दोनों तरफ से कई लोग घायल हो गये। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागने के अलावा लाॅज और किराये के मकानों में घुसकर आन्दोलनकारियों पर लाठियां बरसायीं।एक वायरल वीडियो में एक आन्दोलनकारी ने कहा कि गरीब को राशन मिल जाता है, बड़े लोगों को कर्ज मिल जाता है लेकिन हम जैसे मध्यम वर्ग के लोगों को तीस हजार की नौकरी भी नहीं दे रही सरकार। तीस हजार में क्या ताजमहल बना लेंगे। हम लोगों के लिए एक नौकरी है, उसे भी खत्म कर देगी सरकार। हम लोग 5-6 हजार महीने में खर्च कर तैयारी करते हैं। इसी उम्मीद से कि नौकरी मिलेगी। यह भी याद रखें कि सरकार हमारे ही टैक्स से पैसे देती है, अपने घर से नहीं।

आन्दोलनकारी का कहना है कि यह सरकार सिर्फ चुनाव से डरती है। इसको हराइये, इसका होश ठिकाने आ जाएगा। उसने कहा कि हम लोग भाजपा के सदस्य हैं, लेकिन इसका यह मतलब थोड़े ही है कि भूखे मर जाएं। हर काम में बीजेपी को सपोर्ट नहीं करेंगे। हमलोगों को कहां नौकरी मिलेगी, हमें कौन लोन देगा।

आन्दोलन का कारण

रेलवे भर्ती बोर्ड की जिस भर्ती परीक्षा के रिजल्ट को लेकर इतना बवाल मचा है उसे आम तौर पर एनटीपीसी या नॉन-टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी का इम्तिहान कहा जाता है। आन्दोलन करने वालों का कहना है कि 2019 में रेल मंत्रालय ने 35277 पदों के लिए स्नातक स्तरीय परीक्षा की वैकेंसी निकाली थी। इसके लिए दिसंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक अलग-अलग तारीखों में परीक्षा ली गयी। इस साल 14जनवरी को इसकी प्रारंभिक परीक्षा- पीटी का रिजल्ट आया है।

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल का कहना है कि वास्तविकता यह है कि पीटी के रिजल्ट में 2 लाख 76 हजार उम्मीदवारों को ही अगली परीक्षा के लिए सफल घोषित किया है। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों की मांग है कि एक पद के लिए एक अभ्यर्थी के हिसाब से रिजल्ट देना चाहिए था।

पहले यह बताया गया था कि पदों की जितनी संख्या है उससे बीस गुना उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए मौका दिया जाएगा। इस लिहाज से हर पद के लिए करीब 7 लाख उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए कामयाब करार दिया जाना चाहिए। बोर्ड ने ऐसा ही किया है लेकिन इसमें एक खेल भी कर दिया है। इन 7 लाख कामायाब उम्मीदवारों में करीब 4 लाख ऐसे हैं जो एक से अधिक पदों पर कामयाब हुए हैं।

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