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शर्मनाक! रेलवे अफ़सर प्रवासी मज़दूरों पर बिस्किट फेंकते रहे, डाँटते-गालियाँ देते रहे

शर्मनाक! रेलवे अफ़सर प्रवासी मज़दूरों पर बिस्किट फेंकते रहे, डाँटते-गालियाँ देते रहे

रेलवे अधिकारी द्वारा प्रवासी मज़दूरों के साथ एक और अमानवीय व्यवहार करने का मामला सामने आया है। जिस अधिकारी को भूखे मज़दूरों को बिस्किट बाँटने का ज़िम्मा दिया गया है वह बिस्किट के पैकटों को दूर से ही मज़दूरों के बीच फेंक रहा है।

रेलवे अधिकारी द्वारा प्रवासी मज़दूरों के साथ एक और अमानवीय व्यवहार करने का मामला सामने आया है। एक वीडियो में दिख रहा है कि जिस अधिकारी को भूखे मज़दूरों को बिस्किट बाँटने का ज़िम्मा दिया गया है वह बिस्किट के पैकटों को दूर से ही मज़दूरों के बीच फेंक रहा है। उस अधिकारी को मज़दूरों को बहुत ही भद्दे तरीक़े से डाँटते हुए और गालियाँ देते हुए भी सुना जा सकता है। कुछ जगहों पर उनका मज़ाक़ उड़ाते भी सुना जा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार यह वीडियो उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में टूंडला स्टेशन का है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो 25 मई का है। वीडियो में मुख्य टिकट इंस्पेक्टर डीके दीक्षित को बिस्किट बाँटने वाली टीम का नेतृत्व करते देखा जा सकता है। 

वीडियो में कर्मचारियों में से एक को यह कहते हुए सुना जा सकता है- 'आज सर का जन्मदिन है, बाँट रहे हैं।' जब कुछ यात्री बिस्किट के पैकेट माँगते हैं तो उन्हें बताया जाता है: 'अभी तो दिया। बाँट के खाओ।'

क्लिप के वायरल होने के बाद उस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। रेलवे की ओर से ट्वीट कर कहा गया है कि रेलवे ने सीआईटी डीके दीक्षित के निलंबन सहित इन रेल कर्मचारियों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।' इस बात की पुष्टि प्रयागराज डिविजन के डीआरएम अमिताभ कुमार ने भी की। 'टीओआई' के अनुसार डीआरएम ने कहा, 'टुंडला सीआईटी डी के दीक्षित को निलंबित कर दिया गया है और जाँच शुरू कर दी गई है। ऐसा व्यवहार मंज़ूर नहीं है। यात्रियों के लिए व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए थी। कोरोना संकट के बीच रेलवे बढ़िया काम कर रहा है, लेकिन अमानवीय व्यवहार इसका हिस्सा नहीं है।'

'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला तब आया जब इस वीडियो को रेलवे के वाट्सऐप ग्रुप में भेजा गया और फिर वहाँ से यह सोशल मीडिया पर पहुँचा। माना जाता है कि इस वीडियो को बिस्किट बाँटने वाली टीम में से ही किसी ने बनाया है। 

बता दें कि देश भर में मज़दूरों की जो तसवीरें आ रही हैं वे उनकी बड़ी मुश्किलों की ओर इशारा कर रही हैं। पहले तो किसी वाहन के नहीं चलने से लाखों लोग पैदल सैकड़ों किलोमीटर चलकर घर पहुँचना चाहते थे। फिर जब ट्रेनें चलीं भी तो ट्रेनों के काफ़ी देर से गंतव्य राज्यों तक पहुँचने की ख़बरें आती रहीं। इसमें यह भी शिकायतें होती रहीं कि लोग भूखे-प्यासे  रहने को मजबूर हैं। कई बार ऐसी तसवीरें आई जिसमें भूखे-प्यासे लोगों की भीड़ खाना को लूटती हुई दिखी। इस बीच कम से कम 80 लोगों के अलग-अलग समय में अलग-अलग ट्रेनों में मरने की भी ख़बरें आईं। 

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