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नागरिकता क़ानून: पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहे राहुल-प्रियंका को पुलिस ने मेरठ जाने से रोका

नागरिकता क़ानून: पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहे राहुल-प्रियंका को पुलिस ने मेरठ जाने से रोका

नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान मारे गए कुछ पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए मेरठ जा रहे राहुल और प्रियंका को पुलिस ने रोक दिया।

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में हुए जोरदार विरोध में 16 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हो गए हैं। लेकिन अभी भी इस क़ानून के विरोध में देश भर के साथ ही प्रदेश में कई जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में मारे गए कुछ पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए मंगलवार को मेरठ जा रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और पार्टी की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा को पुलिस ने रोक दिया। मेरठ में इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शन में 6 लोगों की मौत होने की ख़बर है। 

राहुल और प्रियंका गाँधी वाड्रा मंगलवार सुबह मेरठ जाने के लिए निकले। लेकिन पुलिस ने उन्हें बताया कि वे मेरठ नहीं जा सकते। पुलिसकर्मियों ने उन्हें बताया कि हिंसक प्रदर्शनों के बाद मेरठ में बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा होने पर रोक लगाई गई है। इसके बाद राहुल और प्रियंका का काफिला दिल्ली वापस लौट गया। 

राहुल गाँधी ने पत्रकारों को बताया, ‘हमने पुलिस से पूछा कि क्या उनके पास कोई आदेश है, वे हमें कोई आदेश नहीं दिखा सके। लेकिन उन्होंने कहा कि कृपया आप लोग वापस चले जाइए।’ पुलिसकर्मियों ने राहुल और प्रियंका से कहा कि वे अभी अपनी यात्रा को स्थगित कर दें और दो दिन बाद फिर आने की कोशिश करें। 

मेरठ पुलिस की ओर से प्रियंका और राहुल से कहा गया कि अगर उनके मेरठ जाने से शांति भंग होती है तो इसके लिए वे ही जिम्मेदार होंगे। पुलिस ने बताया कि इसके बाद राहुल और प्रियंका वापस चले गये। इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान मेरठ में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। इससे पहले शनिवार को प्रियंका गाँधी ने बिजनौर में इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान मारे गए दो लोगों के घरों में जाकर उनके परिजनों से मुलाक़ात की थी।  

शुक्रवार को उपद्रवियों ने मेरठ में कई वाहनों को आग लगा दी थी और पुलिस कर्मियों पर पथराव किया था। पुलिस ने उपद्रवियों को खदेड़ने के लिये लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। मेरठ के अलावा संभल, बिजनौर, कानपुर, मुज़फ्फरनगर, रामपुर और लखनऊ में भी इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान लोगों की मौत हुई है। 

उपद्रवियों को लेकर यूपी पुलिस बेहद कड़ा रूख दिखा रही है। योगी आदित्यनाथ सरकार 250 से ज़्यादा उपद्रवियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत कार्रवाई करने जा रही है। इन पर आरोप है कि इन्होंने हिंसा करने के लिए लोगों को भड़काया है। यूपी प्रशासन ने सोशल मीडिया के द्वारा हिंसा को भड़काने वाले 13,000 सोशल मीडिया अकाउंट को चिन्हित किया है। हिंसक भीड़ को रोक पाने में फ़ेल पुलिस ने कानपुर में ही 20 हज़ार लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की है। 

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