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राहुल-प्रियंका के कांग्रेस अध्यक्ष पद स्वीकार करने की संभावना बेहद कम

राहुल-प्रियंका के कांग्रेस अध्यक्ष पद स्वीकार करने की संभावना बेहद कम

इसकी संभावना कम है कि राहुल गांधी या प्रियंका गांधी इस ज़िम्मेदारी को संभालने को राज़ी होंगे।

थोड़ी देर में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक शुरू हो जाएगी और उसके बाद यह साफ़ हो जाएगा कि देश की यह सबसे पुरानी पार्टी अपने अध्यक्ष के चुनाव के मसले को कैसे सुलझाती है। पर इसकी संभावना कम है कि राहुल गांधी या प्रियंका गांधी इस ज़िम्मेदारी को संभालने को राज़ी होंगे। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से यह कहा है।

कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने के मामले में इन दोनों नेताओं ने पहले भी अनिच्छा जाहिर की है और कई बार अस्वीकार कर दिया है। पर यह मामला सुलट नहीं रहा है।

राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देते हुए कहा था कि वह पार्टी में अकेले पड़ गए थे और वरिष्ठ नेताओं ने अहम मुद्दों पर उनका साथ नहीं दिया था। इसके बाद बहुत मान-मनौव्वल के बाद भी वह राजी नहीं हुए थे।

मान-मनौव्वल फिर शुरू

लेकिन राहुल को वापस लाने की मुहिम शुरू हो चुकी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा, 

'यदि उन्होंने (सोनिया गांधी ने) मन बना ही लिया तो राहुल गांधी को सामने आना चाहिए और कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालना चाहिए क्योंकि संविधान और लोकतंत्र को संभालने जैसी बड़ी चुनौतियां देश के सामने हैं।'


अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान

इसी तरह पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, 'सोनिया गांधी का जब तक मन चाहे उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए, उनके बाद राहुल गांधी को कार्यभार संभाल लेना चाहिए क्योंकि वह उसके योग्य हैं।'

राहुल क्या चाहते हैे?

एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि राहुल गांधी चाहते हैं कि वह अभी जिस भूमिका में हैं, उसी में रहें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लोहा लेते रहें।

राहुल के बाद प्रियंका का नाम उठना स्वाभाविक है। वह महासचिव हैं, उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं और गांधी परिवार की हैं। पर वह अनिच्छुक हैं।

प्रियंका का मानना है कि पार्टी का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का कोई आदमी बने। कुछ दिन पहले ही छप कर आई किताब 'इंडिया टुमॉरो : कनवरसेशन्स विद द नेक्स्ट जेनरेशन ऑफ पॉलिटिकल लीडर्स' पर भरोसा किया जाए तो प्रियंका गांधी का मानना है कि किसी ग़ैर-गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनना चाहिए और प्रियंका समेत सारे लोग उसकी बातें मानें। हालाँकि यह बात उन्होने एक साल पहले कही थीं 

क्या कहा प्रियंका ने?

इस पुस्तक के मुताबिक़, प्रियंका गांधी ने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी यही चाहते हैं और उन्होंने ऐसा कहा है। प्रियंका गांधी ने कहा, 'शायद इस्तीफ़े में नहीं, पर किसी और जगह उन्होंने कहा कि हम में से किसी को पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनना चाहिए और इस मुद्दे पर मैं पूरी तरह उनके साथ हूँ।'

प्रियंका ने यह भी कहा कि जो भी आदमी कांग्रेस अध्यक्ष बने, पार्टी के सारे लोग उसकी बात मानें। उन्होंने कहा, 

'यदि पार्टी अध्यक्ष कल मुझसे कहें कि वह मुझे उत्तर प्रदेश में नहीं चाहते और मुझे अंडमान निकोबार भेजना चाहते हैं तो मैं खुशी-खुशी अंडमान निकोबार चली जाऊंगी।'


प्रियंका गांधी, महासचिव, कांग्रेस

प्रियंका गांधी का यह बयान ऐसे समय आया  है जब पार्टी में इस मुद्दे पर गंभीर मंथन चल रहा है और कई लोग गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति के अध्यक्ष बनन के विकल्प पर अब बोलने भी लगे हैं

इसके पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने राहुल गांधी की तारीफ़ करते हुए कहा था कि वह पार्टी अध्यक्ष का पद संभालने के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं और उन्हें यह काम करना ही चाहिए। लेकिन, यदि वे ऐसा नहीं ही करना चाहते हैं तो पार्टी को दूसरे किसी के अध्यक्ष बनने पर भी विचार करना चाहिए और इसके लिए चुनाव होना चाहिए। यही बात कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी भी कह चुके हैं।

गांधी परिवार से बाहर के किसी आदमी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने का मामला ऐसे समय आया है जब कांग्रेस पार्टी परिवार के बाहर के नेताओं को याद कर रही है। 

कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह तेलंगाना में नरसिम्हा राव की जन्मशतवार्षिकी मनाने का फ़ैसला किया है और कर्नाटक में वह अब देवराज अर्स को याद कर रही है, उसे इस दिशा में शुभ संकेत माना जा सकता है। ये दोनों ही नेता गांधी परिवार से बाहर के तो थे ही, उनका गांधी परिवार से 36 का रिश्ता भी जगजाहिर है। देवराज अर्स की इंदिरा गांधी से नहीं बनी तो वह पार्टी छोड़ गए, नरसिम्हा राव की सोनिया गांधी से नहीं बनी तो उन्हें पार्टी में दरकिनार  कर दिया गया।

पर कांग्रेस पार्टी इन ग़ैर-गांधी नेताओं को बहुत ही सम्मान से याद कर रही है। मुमिकन है कि पार्टी ग़ैर-गांधी को अध्यक्ष चुनने पर भी राजी हो जाए। 

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