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बीजेपी 'ओपीएस' पर फंसी, राहुल गुजरात में लागू करेंगे

बीजेपी 'ओपीएस' पर फंसी, राहुल गुजरात में लागू करेंगे

सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) बड़ा मुद्दा है। गुजरात में इस मुद्दे पर प्रदर्शन हो रहे हैं। राहुल गांधी के बाद केजरीवाल ने भी मंगलवार को इसे लागू करने की गारंटी दी है। कांग्रेस जो इस स्कीम को राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड में लागू करा चुकी है, उसके नेता राहुल गांधी ने मंगलवार सुबह ट्वीट करके कहा कि गुजरात में कांग्रेस सत्ता में आई तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तरह वहां भी लागू करेगी। बीजेपी इस मुद्दे पर परेशान है। हालांकि यह मुद्दा यूपी विधानसभा चुनाव में चला था लेकिन लोगों ने धार्मिक आधार पर ही वोट डाला था।

गुजरात विधानसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) बड़ा मुद्दा बनने जा रही है। राहुल गांधी की घोषणा के बाद आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने मंगलवार 20 सितंबर को इस बात की गारंटी ली कि गुजरात में आप की सरकार बनने के बाद वो ओपीएस को बहाल कराने की जिम्मेदारी ले रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार सुबह ही ट्वीट किया था कि गुजरात में कांग्रेस सरकार आने के बाद ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाएगी।

पीटीआई की एक खबर में कहा गया है कि राहुल गांधी ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में फिर से शुरू हो गई है और अब इसे गुजरात में भी किया जाएगा। 

उन्होंने हिंदी में ट्वीट करते हुए कहा, पुरानी पेंशन को खत्म कर बीजेपी ने बुजुर्गों को आत्मनिर्भर से आश्रित बना दिया है। देश को मजबूत करने वाले सरकारी कर्मचारियों का अधिकार है पुरानी पेंशन। राहुल ने कहा कि हमने राजस्थान, छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन को बहाल कर दिया। अब गुजरात में कांग्रेस सरकार आएगी और पुरानी पेंशन लाएगी।

गुजरात में हजारों रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों ने हाल ही में योजना को फिर से शुरू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जिन्होंने फरवरी के बजट भाषण में ओपीएस फिर से शुरू करने की घोषणा की थी, ने मंगलवार को कहा कि अगर गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो पुरानी पेंशन योजना फिर से शुरू की जाएगी।

  • राजस्थान में तीन लाख से अधिक राज्य सरकार के कर्मचारी, जिन्हें 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद नियुक्त किया गया था, पुरानी पेंशन योजना के तहत कवर हो जाएंगे। 
  •  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस साल मार्च में अपने बजट भाषण में ओपीएस की बहाली की घोषणा की थी। 
  •  झारखंड, जहां कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, ने भी इस महीने ओपीएस को फिर से पेश किया। बहुत स्पष्ट है कि जहां-जहां कांग्रेस है, वहां-वहां ओपीएस को लाया जा रहा है।

राहुल की घोषणा के बाद गुजरात में चुनाव प्रचार कर रहे केजरीवाल ने मंगलवार 20 सितंबर को वडोदरा टाउन हॉल में कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आप शासित राज्य में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने पर विचार करते हुए एक आदेश जारी किया है।

केजरीवाल ने कहा कि गुजरात में सरकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए हैं। उनकी मुख्य मांग पुरानी पेंशन योजना को लागू करना है। मैं उन्हें गारंटी देता हूं कि जब आप सरकार बनाएगी तो हम गुजरात में ओपीएस लागू करेंगे। 

नुकसान में सरकारी कर्मचारीः पुरानी पेंशन योजना को 1 अप्रैल 2004 को बंद कर दिया गया था और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) शुरू की गई थी। पुरानी योजना के तहत कर्मचारी को महंगाई भत्ते से जुड़ी पेंशन मिलती थी। इस योजना में महंगाई राहत में समय-समय पर बढ़ोतरी के कारण पेंशनभोगियों को हर छह महीने में बढ़ी हुई पेंशन का लाभ मिलता था।

हालांकि, 1 अप्रैल 2004 को या उसके बाद सेवा में शामिल होने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए यह डीए जैसी पेंशन बंद कर दी गई थी, जिससे सरकारी खजाने पर पेंशन बिल का बोझ प्रभावी रूप से कम हो गया। ये कर्मचारी एनपीएस के दायरे में आते थे।

पीटीआई की खबर में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी जनवरी में उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना को चुनावी मुद्दा के रूप में बहाल करने की घोषणा की थी, जबकि 2004 में इस योजना को खत्म करने के लिए बीजेपी पर हमला किया था। कुछ सर्वेक्षण पर्यवेक्षकों ने इसे गेम चेंजर करार दिया, जिन्होंने राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच समाजवादी पार्टी के समर्थन में बढ़ोतरी की भविष्यवाणी की थी। 

पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में हालांकि सपा को इस मुद्दे से कोई सफलता नहीं मिली। मुस्लिम वोटों की वजह से उसे अच्छी सीटें मिल गईं। हिन्दू मतदाताओं का झुकाव बीजेपी की तरफ बना रहा। यह भी कहा जा सकता है कि ओल्ड पेंशन योजना जैसे मूल मुद्दों की बजाय धार्मिक मुद्दे यूपी चुनाव में हावी रहे और उसकी वजह से बीजेपी ने ध्रुवीकरण कराया था। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान औरैया में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भी ओपीएस लाने का वादा किया था। लेकिन इसके बावजूद सरकारी कर्मचारियों पर असर नहीं हुआ।

उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अनुसार करीब 10 लाख शिक्षक व कर्मचारी हैं जिन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। लेकिन इस वर्ग पर इस मुद्दे का कोई असर नहीं हुआ। वो धार्मिक आधार पर अभी भी बंटे हुए हैं और उसी हिसाब से वोट डालते हैं।

बीजेपी शासित गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों में जहां कांग्रेस मुख्य विपक्ष है, वहीं आप भी पंजाब में अपनी हालिया जीत के बाद दोनों राज्यों में अपना कब्जा जमाने की पुरजोर कोशिश कर रही है।

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