सावरकर पर सवाल उठाने वाले राहुल के खिलाफ एक और मानहानि केस
सावरकर बनाम राहुल गांधी की जंग जारी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी आजादी की लड़ाई में सावरकर के योगदान पर सवाल उठाते रहे हैं। यह सर्वविदित तथ्य है कि सावरकर अंग्रेजों के शासनकाल में माफी मांगकर अंडमान जेल से बाहर आए थे। राहुल गांधी के इन्हीं सब बयानों को मुद्दा बनाकर विनायक दामोदर सावरकर के पोते, सत्यकी सावरकर ने आपराधिक मानहानि का केस पुणे की अदालत में किया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सात्यकी ने बुधवार को कहा - मैंने अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस किया है। अदालत ने अभी तक याचिका को स्वीकार नहीं किया है और हमें उम्मीद है कि शनिवार तक याचिका को स्वीकार कर लिया जाएगा।
सात्यकी, नारायण दामोदर सावरकर के पोते हैं। नारायण दामोदर दास सावरकर के भाई थे। शिकायत के बारे में पूछे जाने पर सात्यकी ने कहा, लंदन में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा था कि सावरकर ने एक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने लिखा है कि वो (सावरकर) और उनके पांच-छह दोस्त एक मुसलमान को पीटने के बाद खुशी महसूस कर रहे थे। इसके बाद राहुल गांधी ने पूछा कि क्या यह कायराना हरकत नहीं है।
सात्यकी ने कहा- सावरकर ने ऐसी कोई किताब नहीं लिखी, जैसा कि कांग्रेस नेता ने दावा किया है, न ही ऐसी कोई घटना कभी हुई है।अपनी दलील में, सात्यकी ने कहा है, आरोपी, जिन कारणों से उन्हें सबसे अच्छी तरह से पता है, वे कई वर्षों से स्वर्गीय विनायक दामोदर सावरकर को बार-बार बदनाम कर रहे हैं और गाली दे रहे हैं ... उन्होंने जानबूझकर विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ झूठे, दुर्भावनापूर्ण और घटिया आरोप लगाए हैं। उक्त आरोपों को पूरी तरह से असत्य जानते हुए भी सावरकर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने और उपनाम को बदनाम करने के विशिष्ट उद्देश्य से… आरोपी ने जानबूझकर इन शब्दों और वाक्यों को बोला है जो उनके परिवार के सदस्यों और निकट संबंधियों, दिवंगत सावरकर के अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले थे और दो धर्मों के बीच सांप्रदायिक तनाव को भी भड़काते हैं।
उन्होंने याचिका में कहा,. आरोपी को समन कर कानून के अनुसार मुकदमा चलाया जाना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत अधिकतम सजा आरोपी पर लगाई जा सकती है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 (मुआवजे का भुगतान करने का आदेश) के अनुसार अभियुक्तों पर अधिकतम मुआवजा लगाया जा सकता है।
23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को मोदी उपनाम पर उनकी 2019 की टिप्पणी के लिए आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराया था और उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद राहुल गांधी को लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद कांग्रेस नेता ने सेशन कोर्ट का रुख किया, जिसने उन्हें 3 अप्रैल को जमानत दे दी और 13 अप्रैल तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। कांग्रेस ने इसे अब देशव्यापी मुद्दा बना दिया है। विपक्षी दलों ने भी एकजुट होकर राहुल को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने का विरोध किया है।