नेता विपक्ष राहुल गांधी को लाल किले पर 5वीं लाइन में क्यों बैठाया, प्रोटोकॉल तोड़ा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लालकिले पर 15 अगस्त 2024 का भाषण चर्चा में तो है ही लेकिन नेता विपक्ष राहुल गांधी को इस कार्यक्रम में बैठाने को लेकर जिस तरह प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया, वो भी काफी चर्चा में है। लोगों ने सोशल मीडिया पर मोदी सरकार की खिंचाई की है। कांग्रेस ने भी इसे मुद्दा बना दिया। हालांकि खुद राहुल गांधी ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से नहीं जोड़ा।
लाल किले पर 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में राहुल को ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ आखिरी से दूसरी लाइन में बैठे हुए देखा गया। एक दशक में यह पहली बार था कि विपक्ष का कोई नेता स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए लाल किले पर मौजूद था। लेकिन मोदी सरकार ने उसके लिए प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया।
सफेद कुर्ता-पायजामा पहने राहुल गांधी भारत की हॉकी टीम के फॉरवर्ड खिलाड़ी गुरजंत सिंह के पास बैठे नजर आए। आगे की पंक्तियों पर मनु भाकर और सरबजोत सिंह जैसे ओलंपिक पदक विजेता बैठे थे। ओलंपिक-कांस्य विजेता हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पीआर श्रीजेश सहित सदस्य भी राहुल गांधी से आगे बैठे थे।
प्रोटोकॉल के अनुसार, लोकसभा में विपक्ष के नेता, जिनका पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है, को हमेशा आगे की पंक्ति में सीट दी जाती है। आगे की पंक्ति में भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, शिवराज सिंह चौहान, अमित शाह और एस जयशंकर बैठे थे।
सरकार का रुख
राहुल गांधी की बैठने की व्यवस्था को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हुई तो रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस सांसद को पीछे ले जाना पड़ा क्योंकि आगे की पंक्ति ओलंपिक पदक विजेताओं को आवंटित की गई थी। स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम आयोजित करने और बैठने की योजना बनाने की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की है। सूत्रों ने कहा कि प्रोटोकॉल के तहत नेता प्रतिपक्ष को आम तौर पर पहली कुछ पंक्ति में सीट दी जाती है।
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा शासन के दौरान तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी को हमेशा पहली लाइन में सीट दी जाती थी। लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद 2014 से खाली था क्योंकि किसी भी पार्टी को निचले सदन की ताकत के दसवें हिस्से के बराबर संख्या हासिल नहीं हुई है। 2024 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा कम जनादेश के साथ सत्ता में लौटी। कांग्रेस ने अपनी सीटें बढ़ाकर 99 कर लीं। 2014 और 2019 के चुनावों में, कांग्रेस ने 543 सदस्यीय सदन में क्रमशः 44 और 52 सीटें जीतीं और इस प्रकार, वह विपक्ष के नेता पद के लिए पात्र नहीं थी। लेकिन 2024 में स्थितियां बदली हुई हैं।
कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में "पांचवीं पंक्ति में बैठाना" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "क्षुद्रता" और उनके प्रति सम्मान की कमी को दर्शाता है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी 'छोटी मानसिकता' वाले व्यक्ति हैं और वह इसका सबूत खुद देते रहते हैं। .
छोटे मन के लोगों से बड़ी चीज़ों की उम्मीद करना बेमानी है
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) August 15, 2024
नेता प्रतिपक्ष @RahulGandhi को स्वतंत्रता दिवस के समारोह में पाँचवीं लाइन में बिठा कर नरेंद्र मोदी ने अपनी कुंठा ज़रूर दिखाई, लेकिन इससे राहुल गांधी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है
नेता प्रतिपक्ष की रैंक कैबिनेट मंत्री की… pic.twitter.com/hS8B4ybApN
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेता ने एक्स पर अपने वीडियो बयान में कहा- छोटे मन के लोगों से बड़ी चीज़ों की उम्मीद करना बेमानी है नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को स्वतंत्रता दिवस के समारोह में पाँचवीं लाइन में बिठा कर नरेंद्र मोदी ने अपनी कुंठा ज़रूर दिखाई, लेकिन इससे राहुल गांधी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। नेता प्रतिपक्ष की रैंक कैबिनेट मंत्री की होती है, सरकार के मंत्री पहली लाइन में बैठें थे, तो इन छुद्र मानसिकता वालों को लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की भी कोई परवाह नहीं है। रक्षा मंत्रालय का बयान सरकार और बेनक़ाब कर रहा है। सच यह है कि राहुल गांधी से मोदी और उनके मंत्री आँखें चुराते हैं, और असहज हो जाते हैं। राहुल गांधी पाँचवीं लाइन में बैठें या पचासवीं, वो जननायक ही रहेंगे - लेकिन आपलोग इस तरह की गलीच हरकतें करना कब बंद करेंगे?
कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने एक्स पर कहा, "एमओडी इतना तुच्छ व्यवहार क्यों कर रहा है! राहुल गांधी, एलओपी लोकसभा चौथी पंक्ति में बैठे हैं। एलओपी किसी भी कैबिनेट मंत्री से ऊपर है। वह लोकसभा में प्रधानमंत्री के बाद हैं। राजनाथ सिंह जी, आप रक्षा मंत्रालय को राष्ट्रीय समारोहों का राजनीतिकरण करने की अनुमति नहीं दे सकते!! राजनाथ जी, आपसे यह उम्मीद नहीं थी।”