राहुल गांधी ने जारी किया वीडियो- बुच बचाओ सिंडीकेट...करप्शन बेनकाब
Buch Bachao Syndicate pic.twitter.com/tfEsGKYoHm
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 26, 2024
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को भारतीय शेयर बाजारों में हालिया तेज गिरावट पर चिंता व्यक्त की और कहा कि पार्टी को युवाओं, वेतनभोगी वर्ग और अपना पैसा निवेश करने वाले आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए तरीके विकसित करने चाहिए। लेकिन राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर जो वीडियो जारी किया है, उसमें वो कांग्रेस नेता पवन खेड़ा से बात करते हैं। पवन खेड़ा पूरे करप्शन की बात बताते हैं। हालांकि वीडियो में पवन खेड़ा की पिछली कई प्रेस कॉन्फ्रेंस को शामिल किया गया है। पवन खेड़ा ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर दस्तावेजों के जरिये तमाम आरोप लगाये हैं।
कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा के साथ फोन पर बातचीत के एक वीडियो में राहुल गांधी ने शेयर बाजार को "जोखिम का स्थान" बताया और पार्टी नेताओं से खुदरा निवेशकों को उनकी सुरक्षा के लिए सावधान करने के नए तरीके ईजाद करने का आग्रह किया जो अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में लगा देते हैं।
राहुल गांधी ने खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए एक कम्युनिकेशन अभियान का हिस्सा बनने की इच्छा व्यक्त करते हुए खेड़ा से कहा, "यदि आप चाहते हैं कि मैं इसमें शामिल होऊं, तो मुझे बताएं कि कैसे?"
राहुल गांधी ने इंस्टाग्राम, एक्स पर खेड़ा के साथ बातचीत का एक वीडियो पोस्ट किया और कैप्शन दिया, "भ्रष्टों को संरक्षण देने वाले सिंडिकेट में कौन है?" इंडसइंड बैंक के शेयरों में भारी गिरावट और विदेशी फंडों की निरंतर निकासी के कारण शेयर बाजारों में गिरावट के कारण शुक्रवार को निवेशकों की संपत्ति में 6.80 लाख करोड़ रुपये की भारी गिरावट आई।
पवन खेड़ा ने उस वीडियो में राहुल गांधी से बातचीत में यह निराशा भी जताई कि हम इतना बड़ा मुद्दा उठा रहे है लेकिन मीडिया उसे ठीक से उठा नहीं रहा है। अपने डिबेट में वो इस मुद्दे को शामिल नहीं करता है। राहुल गांधी ने जवाब में कहा कि हमे पूरी पारदर्शिता से मुद्दों को उठाना है। हम सवाल उठाते रहेंगे। जनता खुद फैसला लेगी। पवन खेड़ा वीडियो के अंत में कहते हैं कि यह अभी शुरुआत है। हम और भी खुलासे करेंगे।
क्यों भाग रही हैं माधबी पुरी बुच
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच लोक लेखा समिति यानी पीएसी द्वारा गुरुवार 24 अक्टूबर को बुलाई गई बैठक में नहीं आ पाईं। उन्होंने 'आवश्यक कारणों' का हवाला देते हुए भाग नहीं लिया। पीएसी ने नियामक संस्था के कामकाज की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी। यह दूसरी बार है जब पीएसी ने उन्हें बुलाया है। भाजपा पैनल के अध्यक्ष केसी वेणुगोपाल से नाराज थी, उन्होंने उन पर एकतरफा फैसले लेने और सरकार को बदनाम करने के लिए अस्तित्वहीन मुद्दों को उठाने का आरोप लगाया।
लोक लेखा समिति के प्रमुख और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उस दिन एएनआई से कहा था, 'समिति की पहली बैठक में ही हमने अपने विनियामक निकायों की समीक्षा के लिए एक स्वत: संज्ञान विषय रखने का निर्णय लिया। इसीलिए हमने गुरुवार सुबह सेबी चेयरमैन को सेबी की समीक्षा के लिए बुलाया। समिति शाखा संबंधित लोगों को नोटिस भेजती है। सबसे पहले सेबी अध्यक्ष ने समिति के समक्ष उपस्थित होने से छूट मांगी, जिसे हमने अस्वीकार कर दिया। उसके बाद उन्होंने पुष्टि की कि वह और उनकी टीम इस समिति में उपस्थित रहेंगी...। गुरुवार सुबह उन्होंने मुझे सूचित किया कि वह दिल्ली की यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं। एक महिला के अनुरोध पर विचार करते हुए हमने सोचा कि आज की बैठक को किसी अन्य दिन के लिए स्थगित करना बेहतर है।'
सेबी के कामकाज की समीक्षा की जानी है, लेकिन इसके साथ ही माना जा रहा था कि उनको वित्तीय गड़बड़ियों और हितों के टकराव के आरोपों से जुड़े सवालों का जवाब भी देना होगा। पहले बुच ने पीएसी के सामने पेश होने से छूट मांगी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस मामले में बीजेपी विरोध कर रही है और एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार की जाँच में उनको आरोप मुक्त क़रार दिया गया है।
माबधी पुरी बुच अगस्त महीने में तब विवादों में आ गईं जब अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर फर्म ने दावा किया कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल की गई संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। इसने आरोप लगाया है कि इसीलिए उन्होंने अडानी को लेकर पहले किए गए खुलासे के मामले में कार्रवाई नहीं की। हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार नियामक सेबी से जुड़े हितों के टकराव का सवाल उठाया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च के ताज़ा आरोपों को सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने खारिज कर दिया है। तुरंत बयान जारी कर बुच ने कहा कि फंड में उनका निवेश, जिसके बारे में हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि यह कथित 'अडानी स्टॉक हेरफेर' से जुड़ा है, माधबी के सेबी में शामिल होने से दो साल पहले किया गया था। उनकी सफ़ाई के बाद भी वह लगातार विवादों में रहीं और कांग्रेस ने एक के बाद एक कई आरोप लगाए हैं।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सरकार द्वारा की गई जांच में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया है। जांच में बुच को मौजूदा आरोपों से मुक्त कर दिया गया और निष्कर्ष निकाला गया कि वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगी, जो फरवरी 2025 में समाप्त हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मुद्दा तब सुलझा जब सेबी के शीर्ष प्रबंधन को कर्मचारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होने के लिए कहा गया। जाँच में पाया गया कि असंतोष सेबी के भीतर बुच के व्यापक सुधारों से आ सकता है, क्योंकि सिस्टम को साफ़ करने के उनके प्रयासों का विरोध किया गया था। सभी फ़ैक्टरों पर विचार करते हुए सरकार ने फ़ैसला किया कि बुच अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा करेंगी, जो 28 फरवरी 2025 को समाप्त होगा।