देश के अन्नदाता ने अहंकार का सर झुका दिया: राहुल गांधी
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा पर राहुल गांधी ने कहा है कि देश के अन्नदाताओं ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के इस फ़ैसले को 'अन्याय के ख़िलाफ़ जीत' क़रार दिया है।
तीनों कृषि क़ानूनों पर इस ताज़ा फ़ैसले को लेकर राहुल गांधी ने ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने अपने पहले के एक वीडियो बयान को साझा किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'मेरे शब्द याद रखना सरकार को इन क़ानूनों को वापस लेना पड़ेगा'।
देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 19, 2021
अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो!
जय हिंद, जय हिंद का किसान!#FarmersProtest https://t.co/enrWm6f3Sq
इस वीडियो बयान में राहुल गांधी को यह कहते सुना जा सकता है कि 'मेरे शब्द याद रखिएगा, इन क़ानूनों को सरकार वापस लेने के लिए मजबूर होगी। याद रखिएगा जो मैंने कहा।'
मोदी सरकार आख़िरकार किसानों के आगे झुक गई है। कुछ ही महीनों में होने वाले कई विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द कर दिया है। उन्होंने शुक्रवार सुबह इस बात का एलान राष्ट्र के नाम संबोधन में किया। किसान आंदोलन बीजेपी और मोदी सरकार के लिए जी का जंजाल बन चुका था।
हालाँकि आज की घोषणा में मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों की भलाई के लिए ये क़ानून बनाए थे और इनकी मांग कई सालों से की जा रही थी। लेकिन किसानों का एक वर्ग लगातार इसका विरोध कर रहा था, इसे देखते हुए ही सरकार इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में इन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया को पूरा कर देगी। बता दें कि 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है।
बता दें कि कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन करता रहा है। राहुल गांधी इसके लिए बीजेपी को निशाना बनाते रहे हैं। राहुल ने कहते रहे हैं कि देश में किसानों का एक बड़ा वर्ग कृषि क़ानूनों के बारे में नहीं जानता है। राहुल ने कहा था कि अगर सभी किसान क़ानून के बारे में जान गए तो सारे देश में इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन होने लगेंगे। इस साल जनवरी में राहुल ने कहा था कि प्रधानमंत्री किसानों पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि पीएम तीन कृषि क़ानून लाकर भारतीय कृषि को बर्बाद करना चाहते हैं और इसे दो-तीन बड़े उद्योगपतियों के हाथ में सौंपना चाहते हैं।