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मिज़ोरम में राहुल क्यों बोले- एमएनएफ-जेडपीएम बीजेपी के लिए प्रवेश बिंदु हैं?

मिज़ोरम में राहुल क्यों बोले- एमएनएफ-जेडपीएम बीजेपी के लिए प्रवेश बिंदु हैं?

मिज़ोरम विधानसभा चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों अपनी पकड़ मज़बूत करने में जुटे हैं, लेकिन क्या वे एमएनएफ़ और जेडपीएम के गढ़ में सेंध लगा पाएँगे? जानिए, दोनों दल किस तरह कसरत कर रहे हैं। 

मिज़ोरम में मिजो नेशनल फ्रंट यानी एमएनएफ़ और विपक्षी ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट यानी जेडपीएम का दबदबा रहा है। एमएनएफ़ सत्ता में है और जेडपीएम विपक्ष में है। इन्हीं दोनों दलों को लेकर राहुल गांधी ने कहा है कि ये दोनों दल बीजेपी और आरएसएस के लिए प्रवेश बिंदु हैं। इसके साथ ही उन्होंने मणिपुर में हाल में हो रही हिंसा की ओर भी ध्यान दिलाया जहाँ चर्चों को ख़ूब निशाना बनाया गया है। मणिपुर में बीजेपी सत्ता में है। राहुल की यह टिप्पणी इसलिए अहम है कि मिज़ोरम में बहुसंख्यक आबादी ईसाइयों की है। एमएनएफ और जेडपीएम मणिपुर मामले का फायदा तो उठाने की कोशिश में हैं ही, मिज़ो राष्ट्रवाद का मुद्दा भी बना रहे हैं।

यही वजह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को दोनों मज़बूत क्षेत्रीय दलों पर हमला करते हुए उन्हें बीजेपी और आरएसएस का प्रवेश बिंदु बताया। राहुल ने कहा कि भाजपा और आरएसएस पूर्वोत्तर सहित पूरे देश में अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश कर रहे हैं, वह एमएनएफ और जेडपीएम जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का इस्तेमाल कर रही है क्योंकि वह मिज़ोरम जैसे ईसाई-बहुल राज्य में चुनाव नहीं जीत सकती।

राहुल ने कहा, 'वे जानते हैं कि अगर वे सीधे आएंगे तो मिज़ो लोग उन्हें समझेंगे और अस्वीकार कर देंगे। इसलिए वे एमएनएफ और जेडपीएम जैसी पार्टियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो भाजपा को मिजोरम में घुसपैठ करने की अनुमति दे रहे हैं। मतदान करते समय इसे ध्यान में रखें कि आप किसी ऐसे व्यक्ति के लिए वोट न दें जो आपके धर्म, संस्कृति, भाषा और विशिष्ट पहचान को नुकसान पहुंचाए।'

राहुल गांधी ने इस बयान से दो निशाने साधे हैं। एक तो वह बीजेपी पर मिज़ोरम के लोगों के लिए ठीक नहीं होने का आरोप लगा रहे हैं और दूसरे एमएनएफ़ और जेडपीएम को बीजेपी का सहयोग करने का आरोप लगा उन्हें भी मिज़ो लोगों का हितैषी नहीं होने का आरोप लगा रहे हैं। राहुल गांधी ने पड़ोसी राज्य मणिपुर का उदाहरण दिया। 

उन्होंने कहा कि मणिपुर में हिंसा भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का नतीजा है। उन्होंने राज्य का दौरा नहीं करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की। एमएनएफ और जेडपीएम दोनों का दावा है कि मणिपुर हिंसा से उन्हें चुनाव में मदद मिलेगी क्योंकि वे कुकी-ज़ो समुदायों के पीछे मजबूती से खड़े रहे और हिंसा से विस्थापित लोगों को आश्रय दिया है। कुकी मिज़ो के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं।

राहुल गांधी के आरोपों पर एमएनएफ के नेता वनलालजॉवमा ने पीटीआई से कहा है, 'मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या कहा। एमएनएफ एमएनएफ है और हम किसी अन्य पार्टी से प्रभावित नहीं हैं।'

बीजेपी की मिज़ोरम इकाई ने कांग्रेस पर राज्य में वोट-बैंक की राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाया। आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार पार्टी प्रवक्ता लालरेमसंगी फनाई ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भाजपा हमेशा मिजोरम के लोगों के कल्याण के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध रही है। उन्होंने कांग्रेस पर चुनाव से पहले धार्मिक कार्ड खेलकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में मिजो की धार्मिक आस्था और आस्था को कोई खतरा नहीं है।

बता दें कि एमएनएफ एनडीए का सहयोगी है लेकिन बीजेपी मिजोरम सरकार का हिस्सा नहीं है। इस बार बीजेपी ने सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है।

40 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 7 नवंबर को होना है। चुनाव को एमएनएफ और जेडपीएम के बीच सीधी लड़ाई के रूप में पेश किया जा रहा है। 2018 के चुनावों में कांग्रेस एमएनएफ से हार गई थी। जेडपीएम ने 2018 के चुनावों में आठ सीटें जीती थीं। कांग्रेस पांच सीटों के साथ तीसरे स्थान पर खिसक गई थी। लेकिन राहुल गांधी ने विश्वास जताया है कि कांग्रेस इस बार वापसी करेगी। 

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