राहुल गांधीः असम के राहत कैंपों से लेकर मणिपुर के शिविरों तक
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का ज्यादा ध्यान आने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव की रूपरेखा तैयार करने में लगा हुआ, क्योंकि भाजपा ने उन्हें वहां का प्रभारी बनाया हुआ है। मणिपुर में जातीय हिंसा का सिलसिला जारी है। भाजपा शासित राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं। इन्हीं सब हालात के बीच राहुल गांधी सोमवार 8 जुलाई को कभी असम के बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने एक कैंप से दूसरे कैंप जाते देखा गया तो मणिपुर में भी यही मंजर दिखाई दिया। मणिपुर भारत के प्रधानमंत्री के लिए महज उल्लेख की चीज है। जिसका जिक्र उन्होंने हाल ही में राज्यसभा में अपने भाषण में किया था।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में मणिपुर संकट का मुद्दा बार-बार उठाया है। इसलिए, वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि राहुल गांधी की सोमवार की यात्रा से यह संदेश जाएगा कि "अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करना चाहिए"। कांग्रेस ने भी पीएम मोदी के बयान को बार-बार खारिज किया है, उनके "आश्चर्यजनक दावे" पर सवाल उठाया है कि मणिपुर में हालात सामान्य है। 2 जुलाई को लोकसभा में बहस के दौरान पीएम मोदी के दो घंटे से अधिक लंबे जवाब को विपक्षी सदस्यों ने बाधित किया, जो लगातार "मणिपुर के लिए इंसाफ" और "भारत जोड़ो" के नारे लगाते रहे।
जिरीबाम और चुराचांदपुर राहत कैंप
नेता विपक्ष राहुल गांधी जिरीबाम और चुराचांदपुर राहत शिविरों में पहुंचे। हालांकि वो चुराचांदपुर राहत कैंप में पहले भी आए थे। लेकिन अब वो बतौर नेता विपक्ष पहुंचे हैं। जिरीबाम में राहुल ने आईडीपी से मुलाकात कर उनकी शिकायतें सुनीं। उन्होंने कुकी आदिवासियों और मैतेई लोगों के राहत कैंपों का दौरा किया। राहुल ने दोनों समुदायों से अपील की। राहुल ने उनसे कहा कि इस जातीय हिंसा को राजनीति ने पैदा किया है। इसमें यहां के लोगों का कसूर नहीं है। उन्होंने लोगों कहा कि शांति ही खुशहाली लाती है। जातीय हिंसा ने उन लोगों को राहत शिविरों तक पहुंचा दिया है। लोगों ने आरोप लगाया कि राहुत शिविरों में सरकार की ओर से कोई इंतजाम नहीं है।राहुल के आने से पहले जिरीबाम में क्या हुआ
राहुल गांधी के आने से पहले सोमवार तड़के लगभग 3.30 बजे, अज्ञात बंदूकधारियों ने पड़ोसी पहाड़ी जिले तमेंगलोंग के फैतोल से जिरीबाम के गुलारथोल में एक पुलिस चौकी की ओर गोलीबारी शुरू कर दी। एसपी जिरीबाम प्रदीप सिंह ने मीडिया को बताया कि सुबह 10 बजे तक तामेंगलोंग पुलिस ने फायरिंग के मामले में कुकी-ज़ो समुदाय के दो लोगों को गिरफ्तार किया और कुछ हथियार भी बरामद किए थे। हालांकि गोलीबारी में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन आग की चपेट में आने वाली चीजों में एक बख्तरबंद कैस्पिर वाहन भी शामिल था।
असम की बाढ़
असम की बाढ़ में भारी तबाही हुई है। लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री सरमा को सिर्फ राजनीति से मतलब है। कांग्रेस से भाजपा में आए सरमा अक्सर अपने अतीत को याद कर राहुल गांधी पर टिप्पणियां करते हैं। राहुल असम के फुलर्टल राहत शिविर में पहुंचे, जहां 70 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और लाखों लोग बेघर हो गए। मुख्यमंत्री ने यहां आने की जरूरत नहीं समझी।राहुल गांधी ने कहा
असम की बाढ़ पर राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा- असम में बाढ़ से हुई भीषण तबाही दिल दहला देने वाली है - 8 साल के अविनाश जैसे मासूम बच्चों को हमसे छीन लिया गया। राज्य भर के सभी शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। असम कांग्रेस के नेताओं ने मुझे जमीनी स्थिति से अवगत करायाः 60+ मौतें 53,000+ विस्थापित 24,00,000 प्रभावित। ये आंकड़े भाजपा की डबल इंजन सरकार के घोर और गंभीर कुप्रबंधन को दर्शाते हैं जो "बाढ़ मुक्त असम" के वादे के साथ सत्ता में आई थी।राहुल गांधी ने कहा- असम को एक व्यापक और दयालु दृष्टिकोण की आवश्यकता है - अल्पावधि में उचित राहत, पुनर्वास और मुआवजा, और लंबी अवधि में बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक हर चीज करने के लिए एक अखिल-पूर्वोत्तर जल प्रबंधन प्राधिकरण। मैं असम के लोगों के साथ खड़ा हूं, मैं संसद में उनका सिपाही हूं और मैं केंद्र सरकार से राज्य को शीघ्रता से हर संभव सहायता और समर्थन देने का आग्रह करता हूं।
मोदी की खामोशी पर सवाल
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधान मंत्री की "मणिपुर पर चुप्पी" पर सवाल उठाते हुए कहा कि राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा राज्य की उनकी तीसरी यात्रा है। उन्होंने कहा कि "नॉन-बॉयोलॉजिकल प्रधान मंत्री मास्को जा रहे हैं और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल जी मणिपुर जा रहे हैं। यह उनकी तीसरी यात्रा है। पिछले 17 महीनों में प्रधान मंत्री ने मणिपुर के बारे में कुछ नहीं कहा है उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं की है, मणिपुर के राजनीतिक दलों, सांसदों, विधायकों से मुलाकात नहीं की है और वह बिल्कुल भी मणिपुर नहीं गए हैं, यहां तक कि 45 घंटे के लिए भी नहीं।”
जयराम रमेश ने कहा- ''लोगों को संवेदनशील तरीके से यह दिखाने के लिए राहुल गांधी की यह तीसरी यात्रा है कि आपका दर्द हमारा दर्द है... सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वहां (मणिपुर) संवैधानिक मशीनरी, संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और हम राज्य सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने यही कहा, ये उसकी टिप्पणियाँ हैं...।''