दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद राहुल लोकसभा से अयोग्य घोषित
राहुल गांधी को आख़िरकार अपनी लोकसभा की सदस्यता गँवानी पड़ी। आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की सजा होने के बाद राहुल को लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। कांग्रेस ने इस फ़ैसले को ग़लत बताया है और कहा है कि लोकसभा सचिवालय अमान्य करने वाला फैसला कैसे ले सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी को लेकर राहुल को गुजरात की एक अदालत से दो साल की जेल की सजा मिली है। उन्हें जमानत मिल गई है और फैसले के खिलाफ अपील दायर करने के लिए उन्हें 30 दिनों का समय दिया गया है। कहा जा रहा है कि राहुल के पास ऊपरी अदालत में एक महीने तक अपील करने तक के लिए उनके पास मोहलत है। समझा जाता है कि राहुल को यह मोहलत अपने निचली अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करने के लिए मिली है और उसका राहुल की संसद सदस्यता को अमान्य घोषित किए जाने से लेना देना नहीं है।
2013 में लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया था कि कोई भी सांसद, विधायक या एमएलसी जिसे अपराध का दोषी ठहराया जाता है और न्यूनतम 2 साल की जेल दी जाती है, तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है। तब अदालत ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को रद्द कर दिया था, जिसने निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी सजा के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी थी, इसे 'असंवैधानिक' बताया था।
लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना में कहा है, 'केरल के वायनाड संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा सदस्य श्री राहुल गांधी उनकी सजा की तारीख यानी 23 मार्च, 2023 से भारत के संविधान के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुच्छेद 102 (1) (ई) के साथ धारा 8 के प्रावधानों के अनुसार लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हैं।'
कांग्रेस ने कहा है, 'राहुल गांधी जी की लोकसभा सदस्यता ख़त्म कर दी गई। वह आपके और इस देश के लिए लगातार सड़क से संसद तक लड़ रहे हैं, लोकतंत्र को बचाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं। हर षड्यंत्र के बावजूद वह यह लड़ाई हर क़ीमत पर जारी रखेंगे और इस मामले में न्यायसंगत कार्यवाही करेंगे। लड़ाई जारी है।'
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है, 'अदालत के फैसले के 24 घंटे के भीतर और अपील प्रक्रिया में होने के दौरान इस कार्रवाई से और इसकी तेज़ी से मैं स्तब्ध हूं। यह दस्तानों से ओझल राजनीति है और यह हमारे लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत है।'
I’m stunned by this action and by its rapidity, within 24 hours of the court verdict and while an appeal was known to be in process. This is politics with the gloves off and it bodes ill for our democracy. pic.twitter.com/IhUVHN3b1F
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 24, 2023
लोकसभा अधिसूचना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने इस फैसले को गलत बताया। उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 'लोकसभा सचिवालय किसी सांसद को अयोग्य नहीं ठहरा सकता है। राष्ट्रपति को इसे चुनाव आयोग के परामर्श से करना होता है।'
राहुल गांधी ने जब 2019 में चुनाव से पहले एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा था तो उनको यह बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होगा कि उनको उस बयान के लिए दो साल की सजा तक हो सकती है। चुनावी रैलियों और सभाओं में अक्सर नेता विरोधी दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ कई बार विवादित टिप्पणी कर बैठते हैं या फिर सीमा को लांघ जाते हैं। कुछ ऐसी ही टिप्पणी राहुल गांधी ने कर दी थी।
राहुल ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कह दिया था, 'क्यों सभी चोरों का समान सरनेम मोदी ही होता है? चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो या नरेंद्र मोदी? सारे चोरों के नाम में मोदी क्यों जुड़ा हुआ है।'
राहुल गांधी को अयोग्य क़रार देने वाली यह अधिसूचना तब जारी की गई है जब जब कांग्रेस और विपक्षी पार्टियाँ इसके ख़िलाफ़ जोरशोर से प्रदर्शन कर रही हैं।
विपक्षी सांसदों ने कुछ देर पहले ही संसद से मार्च निकाला। सांसदों ने संसद में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में एक बैठक की और फिर पोस्टर के साथ राष्ट्रपति भवन के लिए मार्च निकाला गया। विरोध को देखते हुए विजय चौक इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। समझा जाता है कि इन सुरक्षा कर्मियों को नेताओं को गंतव्य तक पहुंचने से रोकने का काम सौंपा गया है। विपक्षी सांसदों ने कहा है कि 'लोकतंत्र खतरे में है'।
तानाशाही नहीं चलेगी pic.twitter.com/n5sMjzsdMK
— Congress (@INCIndia) March 24, 2023
कांग्रेस ने कहा है कि "राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ विपक्ष के सांसदों का 'मोदी-शाही' के खिलाफ पार्लियामेंट हाउस से विजय चौक तक मार्च। इस तानाशाही के खिलाफ हम लड़ते रहेंगे। पीएम मोदी को अडानी महाघोटाले पर जवाब देना ही होगा।" विपक्षी नेताओं ने एक विशाल बैनल ले रखा है जिस पर लिखा है- 'लोकतंत्र ख़तरे में'।