राहुल गांधी के मामले की सुनवाई अब 2 मई को, जज ने ये सलाह भी दी
गुजरात उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी की "मोदी उपनाम" टिप्पणी पर एक आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह मामले की सुनवाई 2 मई को जारी रखेगा। न्यायमूर्ति गीता गोपी ने "मेरे सामने नहीं" कहकर मामले की सुनवाई से खुद को वापस लेने के बाद मामले को गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक के समक्ष सूचीबद्ध किया था। न्यायमूर्ति हेमंत एम प्रचारक, जिन्हें 29 अप्रैल को गुजरात उच्च न्यायालय में राहुल गांधी के मानहानि मामले की सुनवाई करनी है, भाजपा की पूर्व मंत्री माया कोडनानी के वकीलों में से एक थे, जिन्हें 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में आरोपी बनाया गया था।
महत्वपूर्ण टिप्पणी
केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत ने आज बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणी की। बार एंड बेंच के मुताबिक जस्टिस हेमंत ने कहा - कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि हैं। इसलिए उन्हें (राहुल गांधी बनाम पूर्णेश मोदी) बयान देते समय सतर्क रहना चाहिए था।
जस्टिस हेमंत ने मौखिक रूप से कहा, वास्तव में, यह उन लोगों पर ज्यादा जिम्मेदारी है और कर्तव्य है। क्योंकि वो बड़े पैमाने पर लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्हें अपने बयान सीमा के भीतर देने चाहिए।
इसके जवाब में राहुल गांधी के वकील डॉ. सिंघवी ने कहा कि क्या मैंने किसी का कत्ल किया है। क्या मैने किसी के साथ बदसलूकी है। मैंने कथित आपराधिक मानहानिक की है।
Have I murdered someone? Have I assaulted anyone? I have done alleged criminal defamation at a first appeal stage: Rahul Gandhi to Gujarat High Court#GujaratHighCourt #DefamationCase @RahulGandhi
— Bar & Bench (@barandbench) April 29, 2023
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राहुल गांधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के नामी वरिष्ठ वकील डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलीलों को रखा । सिंघवी ने सजा पर रोक की मांग की है। सिंघवी ने कहा कि जब नवजोत सिंह सिद्धू को सजा पर स्थगन आदेश दिया जा सकता है तो राहुल गांधी को क्यों नहीं? लंबी दलीलों के दौरान सिंघवी ने सूरत कोर्ट द्वारा दी गई सजा पर कई गंभीर कानूनी सवाल खड़े किए।
डॉ सिंघवी ने आपराधिक मानहानि से जुड़े मामलों के सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के द्वारा दिए फैसले भी अपनी दलील के समर्थन में पेश किए जो संविधान में दिए प्रावधानों के तहत भारत के सभी कोर्ट में लागू होता है जिसको निचली अदालतों ने नजर अंदाज कर दिया है !
डॉक्टर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जब राहुल गांधी को पहली बार तलब किया गया था, तब प्रथम दृष्टया मजिस्ट्रेट के सामने कोई सबूत पेश नहीं किया गया था। हकीकत ये है कि कोलार (कर्नाटक ) की चुनावी जनसभा में पूर्णेश मोदी स्वयं मौजूद नहीं थे, उन्होंने निचली अदालत में कहा था कि किसी ने उनको राहुल गांधी के भाषण में व्हाट्सएप पर क्लिप भेजी लेकिन यह नहीं बताया कि किसने भेजा है। जिसे कोर्ट ने बगैर देखे ही मान लिया और मामले की सुनवाई करते रहे और उपरोक्त सभी कानूनी पहलुओं को दरकिनार कर दिया जो गलत है।
डॉक्टर सिंघवी ने कहा सूरत कोर्ट का फैसला कानूनी रूप से अति विकृत है और गंभीर अपराध की श्रेणी में कानूनी रूप से नहीं आता है । अपनी दलील में सिंघवी ने कहा की हम दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू को 302 और 307 के तहत कनविक्शन पर स्थगन मिला था!
डॉ सिंघवी ने कहा कि भाषण के मामले में तीन संभावनाएं होंगी।1. मैंने खुद भाषण को सुना और मैं वहां था, इसलिए शिकायत दर्ज करता हूं। 2. यह हो सकता है कि एक रिपोर्टर इसमें शामिल हो और एक कहानी दर्ज करे, वह गवाही दे सकता है। 3. कोई अन्य व्यक्ति, जो कार्यक्रम में शामिल हुआ हो, भाषण को प्रमाणित कर सकता है।
Only the aggrieved person can lodge a complaint. Not anyone from the 13 crore people (with Modi surname) can come and file a defamation complaint except the ones named in my speech: Rahul Gandhi to Gujarat High Court#GujaratHighCourt #DefamationCase pic.twitter.com/9nCLQxantK
— Bar & Bench (@barandbench) April 29, 2023
सिंघवी ने कहा कि लेकिन इस मामले में मौजूद तीनों शर्तों में से कोई भी उपरोक्त तीन श्रेणियों से नहीं है। इसके बाद सिंघवी ने ट्रायल कोर्ट में केस की सुनवाई, सुबूतों की पेशी और रवैए पर सवाल खड़े किए। सिंघवी ने मोदी समाज को लेकर भी कहा कि 13 करोड़ का दावा किया है, जबकि ऐसा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सूरत कोर्ट के फैसले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पहले सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सूरत की सेशंस कोर्ट ने सीजेएम कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राहुल गांधी की अर्जी खारिज कर दी थी। कांग्रेस नेता अब मोदी सरनेम केस में सुनाई गई दो साल की सजा और जुर्माना के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में अपील दाखिल की है।कांग्रेस नेता की अपील पहले जस्टिस गीता गोपी की कोर्ट में सुनवाई के लिए गई थी, लेकिन जस्टिस गीता गोपी ने नॉट बिफोर मी कहकर खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था।