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आरोग्य सेतु एप लोगों पर 'नज़र' रखने वाली उन्नत प्रणाली, डाटा सुरक्षा को ख़तरा: राहुल

आरोग्य सेतु एप लोगों पर 'नज़र' रखने वाली उन्नत प्रणाली, डाटा सुरक्षा को ख़तरा: राहुल

कोरोना वायरस की ट्रैकिंग के लिए बनाए गए जिस आरोग्य सेतु ऐप में डाटा की सुरक्षा को लेकर काफ़ी पहले से कुछ लोग आशंकाएँ जता रहे थे अब उसको लेकर राहुल गाँधी ने भी गंभीर सवाल उठाए हैं।

कोरोना वायरस की ट्रैकिंग के लिए बनाए गए जिस आरोग्य सेतु ऐप में डाटा की सुरक्षा को लेकर काफ़ी पहले से कुछ लोग आशंकाएँ जता रहे हैं अब उसको लेकर राहुल गाँधी ने भी गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस ऐप को काफ़ी उन्नत निगरानी प्रणाली क़रार दिया है और सीधे तौर पर इस ऐप से लोगों की जानकारियों के चोरी होने की आशंका जताई है। राहुल ने यह आशंका तब जताई है जब इस ऐप को सभी निजी और सरकारी कर्मचारियों के लिए ज़रूरी बना दिया गया है। अगर किसी निजी कंपनी के कर्मचारी के फ़ोन में इस ऐप को नहीं पाया जाता है तो कंपनी के प्रमुख को ज़िम्मेदार माना जाएगा। जबकि अप्रैल की शुरुआत में जब इस ऐप को लॉन्च किया गया था तब स्वैच्छिक उपयोग की बात कही गई थी।

राहुल ने इसको लेकर ट्वीट किया, 'यह ऐप निगरानी करने वाली काफ़ी उन्नत प्रणाली है जिसे आउटसोर्स कर निजी ऑपरेटर के हाथों में दे दिया गया है और इस पर कोई संस्थागत निरीक्षण नहीं है। इससे डाटा और लोगों की गोपनीय जानकारियों की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा की आशंका है। प्रौद्योगिकी हमें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है; लेकिन नागरिकों की सहमति के बिना भय का लाभ उठाने के लिए उनको ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए।'

बता दें कि सरकार ने कहा है कि 4 मई से कहीं भी किसी भी कार्यालय में काम करने वाले के मोबाइल में यह ऐप होना चाहिए। कोरोना वायरस कंटेनमेंट ज़ोन में सभी लोगों को इस ऐप को डाउनलोड करना होगा। हालाँकि, घर से काम करने वालों को ऐप का इस्तेमाल करना ज़रूरी नहीं है। केंद्र ने अगले कुछ हफ्तों में इस ऐप को 30 करोड़ डाउनलोड का लक्ष्य रखा है। हाल ही में केंद्र सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप को ज़रूरी कर दिया है। 

सरकार ने कहा है कि इससे कोरोना वायरस की कड़ी को तोड़ने में मदद मिलेगी और वायरस को फैलने से रोका जा सकता है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने के लिए इस ऐप को केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया है। इस ऐप को 2 अप्रैल को लॉन्च किया गया था। यह ऐप ब्लू टूथ और लोकेशन डाटा के आधार पर ऐप का प्रयोग करने वाले की स्थिति पर निगरानी रखती है और यह भी कि वह किन-किन व्यक्तियों के संपर्क में आया है। 

इस ऐप के उपयोग करने वाले लोगों के 30 दिन के अंदर संपर्क में आए लोगों का डाटा सर्वर पर रखा जाता है। ऐसे में किसी कोरोना पॉजिटिव केस के आने पर या कोरोना फैलने का ख़तरा होने पर यह उस व्यक्ति के संपर्क में आए सभी लोगों को एलर्ट भेज देता है। हालाँकि इस ऐप से कोराना संक्रमण की स्थिति का पता लगता है लेकिन कई साइबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों ने निजी सूचना की सुरक्षा को लेकर चिंता भी जताई है।

राहुल गाँधी ने भी कहा है कि विशेषज्ञों ने ऐप से निजी डाटा की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ जताई हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि एक्सपर्ट कहते हैं कि लोगों को सही से ट्रैक करने के लिए ऐप को और डाटा चाहिए और इसकी गुणवत्ता दूसरे देशों में इस्तेमाल की जाने वाली ऐसी ही ऐप की अपेक्षा उतनी ठीक नहीं है। 

राहुल गाँधी के आरोपों पर रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि ऐप लोगों का एक मज़बूत साथी है जो लोगों की सुरक्षा करता है। रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया, 'हर रोज़ एक नया झूठ। आरोग्य सेतु एक शक्तिशाली साथी है जो लोगों की सुरक्षा करता है। इसमें एक मज़बूत डेटा सुरक्षा आर्किटेक्ट है। जो लोग अपने पूरे जीवन निगरानी करने में जुटे रहे, वे नहीं जानते कि अच्छे के लिए तकनीक का लाभ कैसे उठाया जा सकता है!'

रविशंकर प्रसाद ने यह भी दावा किया कि अब अरोग्या सेतु को विश्व स्तर पर सराहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐप को किसी भी निजी ऑपरेटर को आउटसोर्स नहीं किया गया है।

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