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निवेशक का पैसा डूबता है तो जिम्मेदार कौन- मोदी, सेबी अध्यक्ष या अडानी: राहुल

निवेशक का पैसा डूबता है तो जिम्मेदार कौन- मोदी, सेबी अध्यक्ष या अडानी: राहुल

अमेरिकी सॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट से भारत में फिर से हलचल है। जानिए, सेबी अध्यक्ष को लेकर रिपोर्ट में किए गए दावों के बाद राहुल गांधी ने पीएम मोदी और अडानी पर क्या हमला किया।

राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर पीएम मोदी और गौतम अडानी पर हमला किया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने रविवार को अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच के खिलाफ लगाए गए नए आरोपों पर कहा कि अगर निवेशक अपनी मेहनत की कमाई गँवा देते हैं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा- प्रधानमंत्री मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अडानी?

उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म की हालिया रिपोर्ट से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरोपों के खिलाफ संयुक्त संसदीय समिति की जांच से क्यों डरते हैं। राहुल ने कहा कि छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले प्रतिभूति विनियामक सेबी की ईमानदारी को उसके अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों ने गंभीर रूप से ठेस पहुंचाई है।

राहुल गांधी ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट कर निवेशक के तौर पर कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा है कि देश भर के ईमानदार निवेशकों के पास सरकार के लिए महत्वपूर्ण सवाल हैं:- सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? उन्होंने कहा है कि सामने आए नए और बेहद गंभीर आरोपों के मद्देनजर, क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले की फिर से स्वतः संज्ञान लेकर जांच करेगा? राहुल ने आगे कहा है कि अब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी जेपीसी जांच से इतना क्यों डरते हैं और इससे क्या पता चल सकता है।

राहुल ने यह हमला तब किया है जब अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर फर्म ने शनिवार को दावा किया कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल की गई संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। इसने आरोप लगाया है कि इसीलिए उन्होंने अडानी को लेकर पहले किए गए खुलासे के मामले में कार्रवाई नहीं की। हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार नियामक सेबी से जुड़े हितों के टकराव का सवाल उठाया है। 

हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुच और उनके पति पर बरमूडा और मॉरीशस स्थित ऑफशोर फंड में गुप्त रूप से निवेश करने का आरोप लगाया। कथित तौर पर ये फंड वही हैं जिनका इस्तेमाल अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने कथित तौर पर फंडों को राउंड-ट्रिपिंग करके शेयर की कीमतों को बढ़ाने के लिए किया था।

हिंडनबर्ग रिसर्च के ताज़ा आरोपों को सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने खारिज कर दिया है। बुच ने कहा कि फंड में उनका निवेश, जिसके बारे में हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि यह कथित 'अडानी स्टॉक हेरफेर' से जुड़ा है, माधबी के सेबी में शामिल होने से दो साल पहले किया गया था।

 - Satya Hindi

सेबी प्रमुख बुच ने बयान में कहा है कि 360 वन एसेट एंड वेल्थ मैनेजमेंट (आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट) द्वारा प्रवर्तित आईपीई-प्लस फंड 1 में उनका निवेश सिंगापुर स्थित निजी नागरिकों के रूप में किया गया था।

उन्होंने बयान में कहा है, '2010 से 2019 तक, धवल लंदन और सिंगापुर में रहते थे और काम करते थे - दोनों ही जगह यूनिलीवर के साथ। 2011 से मार्च 2017 तक, माधबी सिंगापुर में रहती थीं और काम करती थीं। शुरू में एक निजी इक्विटी फर्म के कर्मचारी के रूप में और बाद में एक सलाहकार के रूप में। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में संदर्भित फंड में निवेश 2015 में किया गया था जब वे दोनों सिंगापुर में रहने वाले निजी नागरिक थे और यहां तक ​​कि एक पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधबी के सेबी में शामिल होने से लगभग 2 साल पहले।' उन्होंने कहा है कि 'किसी भी समय फंड ने किसी भी अडानी समूह की कंपनी के किसी भी बॉन्ड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया'।

बुच के बयान में कहा गया है कि उस फंड में निवेश करने का निर्णय एक बचपन के दोस्त की सलाह पर लिया गया था, 2017 में सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद माधबी की दो परामर्श कंपनियाँ तुरंत निष्क्रिय हो गईं।

एक बयान में अडानी समूह ने रविवार को कहा कि ताज़ा आरोप बदनाम दावों को फिर से लगाया गया है जो अदालत में निराधार साबित हुए हैं। इसने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, 'हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए ताज़ा आरोप सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचनाओं का दुर्भावनापूर्ण, शरारती और तोड़-मरोड़ कर लगाए गए हैं। ये तथ्यों और कानून को तोड़ते मरोड़ते हुए व्यक्तिगत मुनाफाखोरी के लिए पूर्व-निर्धारित निष्कर्षों पर पहुँचने के लिए लगाए गए हैं। हम अडानी समूह के खिलाफ इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। ये बदनाम दावों को फिर से लगाए गए हैं, जिनकी गहन जांच की गई है, जो निराधार साबित हुए हैं और जिन्हें जनवरी 2024 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही खारिज कर दिया गया है।'

इस बीच, सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर भारत में वित्तीय अस्थिरता और अराजकता पैदा करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। इसने सेबी अध्यक्ष के खिलाफ हिंडनबर्ग के आरोपों को भी खारिज कर दिया और उन्हें वित्तीय नियामक की विश्वसनीयता को कम करने का प्रयास करार दिया।

चेयरपर्सन ने ज़रूरी खुलासे किए: सेबी

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने रविवार को निवेशकों से शांत रहने और हिंडनबर्ग रिसर्च जैसी रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देने से पहले सावधानी बरतने को कहा। सेबी ने कहा कि अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों की सेबी द्वारा विधिवत जांच की गई है और 24 में से 23 जांच मार्च 2024 में पूरी हो गई हैं। एक शेष जांच पूरी होने के करीब है। 

सेबी ने कहा, 'नीतिगत तौर पर सेबी किसी भी जांच और चल रहे प्रवर्तन मामले पर टिप्पणी करने से बचता है।' सेबी ने बयान में कहा कि अध्यक्ष माधबी बुच ने समय-समय पर प्रासंगिक खुलासे किए और संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग रखा। 

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