जल, जंगल और ज़मीन का आंदोलन है आदिवासी सत्याग्रह: राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को गुजरात के दाहोद में आदिवासी सत्याग्रह रैली को संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान राज्य के आदिवासी मतदाताओं को साधने की कोशिश की।
रैली में राहुल गांधी ने कहा कि ये धन, ये जल, जंगल, जमीन किसी उद्योगपति की नहीं है; ये आदिवासियों का है, गरीबों का है लेकिन इसका फायदा उन लोगों को नहीं मिलता है।
राहुल ने कहा कि गुजरात की हर ईंट को आदिवासियों ने अपने खून-पसीने से सींचा है। लेकिन उन्हें उनके हक़ और भागीदारी से वंचित रखा गया और आदिवासी सत्याग्रह जल, जंगल और ज़मीन का आंदोलन है। उन्होंने कहा कि हमने आपको मनरेगा दिया, पूरे देश में इस योजना को चलाया और करोड़ों लोगों को मनरेगा से फायदा मिला।
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दाहोद पहुंचे थे और उन्होंने यहां के लिए 20,000 करोड़ रुपए के पैकेज का एलान किया था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस इलाके में एक चुनावी रैली कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी का गुजरात में भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन भी हो चुका है।
कांग्रेस में गुटबाजी
गुजरात में विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं और उससे पहले राज्य कांग्रेस के अंदर गुटबाजी की खबरों के कारण कांग्रेस नेतृत्व परेशान है। कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल भी उन्हें नज़रअंदाज किए जाने की शिकायत कई बार कर चुके हैं।
कांग्रेस को हाल ही में आदिवासी समुदाय के कई नेताओं द्वारा पार्टी छोड़ने के कारण झटका लगा है। विधायक अश्विनी कोटवाल ऐसे नेताओं में शामिल हैं जो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे।
15 फीसद है आबादी
गुजरात में आदिवासी समुदाय की आबादी 15 फीसद है। राज्य में 27 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं जबकि 40 सीटें ऐसी हैं जिन पर इस समुदाय के मतदाताओं का खासा असर है।
2017 के विधानसभा चुनाव में इन 27 सीटों में से कांग्रेस ने 15, बीजेपी ने 10 और भारतीय ट्राइबल पार्टी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि दो दशक पहले इनमें से अधिकतर सीटें कांग्रेस के पास हुआ करती थी।
गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने इंडिया टुडे से कहा कि मनरेगा जैसी योजनाओं की वजह से आदिवासियों को सबसे ज्यादा फायदा मिला है लेकिन आज के वक्त में ऐसी कोई योजना नहीं है और कोरोना महामारी के दौरान आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि बाकी पार्टियां हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेल रही हैं लेकिन आदिवासियों का क्या होगा, क्या वे हिंदू नहीं हैं?
मीडिया में इस तरह की खबरें आई हैं कि बीजेपी गुजरात में जल्दी विधानसभा चुनाव करा सकती है। राज्य में दिसंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं लेकिन अगर पहले चुनाव होते हैं तो इसका चुनाव नतीजों पर क्या असर होगा, यह देखने वाली बात होगी।
2017 का विधानसभा चुनाव
आज़ादी के बाद लंबे समय तक गुजरात की सत्ता में रही कांग्रेस 90 के दशक में बीजेपी के उभार और 2000 में नरेंद्र मोदी के राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद कमजोर होती चली गई। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने पार्टी के लिए जमकर पसीना बहाया और सीटों की संख्या में इजाफ़ा किया।
2012 में कांग्रेस को जहां 61 सीटें मिली थीं, वहीं 2017 में यह आंकड़ा 77 हो गया था, दूसरी ओर बीजेपी 2012 में मिली 115 सीटों के मुक़ाबले 2017 में 99 सीटों पर आ गयी थी। लेकिन 2017 के बाद से बड़ी संख्या में विधायक कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ जा चुके हैं।