सांसद निलंबन- क्या संसद में जनता की बात उठाने के लिए माफ़ी मांगें: राहुल
राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन मामले में कांग्रेस ने माफी वाली शर्त को खारिज कर दिया है और पूछा है कि क्या संसद में जनता की बात उठाने के लिए माफी मांगी जाए?
राहुल गांधी की यह प्रतिक्रिया उस मामले में आई है जिसमें मानसून सत्र में किए गए 'ख़राब व्यवहार' को लेकर सांसदों को निलंबित कर दिया गया है और अब भारी विरोध के बाद सरकार ने शर्त रखी है कि यदि सांसद माफ़ी मांग लेंगे तो उनका निलंबन वापस हो सकता है। राहुल ने ट्वीट में सवाल पूछा और उसका जवाब भी दिया है कि वह 'संसद में जनता की बात उठाने के लिए' माफी बिलकुल नहीं मांगेंगे!
किस बात की माफ़ी?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 30, 2021
संसद में जनता की बात उठाने की?
बिलकुल नहीं!
जो बात राहुल गांधी ने कही है वही बात राज्यसभा में कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कही। उन्होंने कहा है कि सांसदों का निलंबन बिलकुल ग़लत फ़ैसला है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि माफ़ी मांगने का सवाल ही नहीं है। लेकिन वेंकैया नायडू ने खड़गे की अपील को ठुकरा दिया और कहा कि सदन को ऐसा फ़ैसला लेने का पूरा हक़ है। उन्होंने कहा कि सांसदों ने अपने व्यवहार को लेकर ख़ेद नहीं जताया है, इसलिए वह उनकी अपील पर विचार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र का बेहद ख़राब अनुभव हम सभी को अभी भी डराता है।
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सरकार को मजबूरी में निलंबन का यह प्रस्ताव सदन के सामने रखना पड़ा। लेकिन यदि ये 12 सांसद अभी भी अपने ख़राब व्यवहार के लिए सभापति और सदन से माफी मांग लें, तो हम इस मामले को बंद करने के लिए तैयार हैं।
इस बीच इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों के सांसदों ने मंगलवार को संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया। लोकसभा में भी जोरदार हंगामा हुआ। लोकसभा को स्थगित करना पड़ा है जबकि राज्यसभा से कुछ विपक्षी दलों ने वॉक आउट कर दिया। टीएमसी ने वॉक आउट नहीं किया।
वॉक आउट करने वाले दलों में कांग्रेस के अलावा एनसीपी, आम आदमी पार्टी, डीएमके, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, वाम दलों के सांसद शामिल रहे।
कांग्रेस के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि कांग्रेस ने पूरे दिन के लिए लोकसभा सत्र का बहिष्कार कर दिया है। बहरहाल, इस मामले में सत्ता और विपक्ष में सहमति बनती नहीं दिख रही है। सांसदों के निलंबन का मामला आगे की कार्यवाहियों में उठते रहने के आसार हैं और आशंका है कि संसद का क़ीमती वक़्त कहीं ऐसे ही बर्बाद न होता रहे! दूसरे अहम मुद्दों पर क्या चर्चा हो पाएगी?