राहुल ने वायनाड से भरा पर्चा, प्रियंका के साथ किया रोड शो
राहुल गाँधी ने केरल की वायनाड लोकसभा सीट से पर्चा दाख़िल कर दिया है। इस मौक़े पर उनके साथ पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। नामांकन दाख़िल करने के बाद प्रियंका गाँधी के साथ ही राहुल गाँधी ने रोड शो किया। इसमें सैकड़ों की तादाद में पार्टी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
Kerala: Congress President Rahul Gandhi holds a roadshow in Wayanad after filing nomination. Priyanka Gandhi Vadra and Ramesh Chennithala also present pic.twitter.com/kAW08X22u0
— ANI (@ANI) April 4, 2019
राहुल के सामने सीपीआई ने पी.पी. सुनीर को उतारने की घोषणा की है। वायनाड के साथ ही राहुल उत्तर प्रदेश की अपनी परंपरागत अमेठी लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। राहुल ने अमेठी के लिए अभी नामांकन दाख़िल नहीं किया है। बता दें कि केरल की सभी 20 सीटों के लिए एक ही चरण में 23 अप्रैल को मतदान होना है। केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पकड़ काफ़ी मज़बूत रही है और राज्य में उसकी ही सरकार है। इसके बावजूद वायनाड सीट पर कांग्रेस की पकड़ काफ़ी मज़बूत मानी जाती रही है और इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीतते रहे हैं।
वायनाड में 49 फ़ीसदी मतदाता हिंदू हैं जबकि क़रीब 27 फ़ीसदी मुसलमान और 22 फ़ीसदी ईसाई मतदाता हैं। कांग्रेस को लगता है कि ज़्यादातर मुसलमान और ईसाई मतदाता ही नहीं बल्कि हिंदू वोटर भी उसके साथ हैं।
वायनाड लोकसभा सीट 2009 में ही बनायी गयी है और दोनों ही बार कांग्रेस के प्रत्याशी जीते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के एम.आई. शाहनवाज़ ने 3 लाख 77 हज़ार वोट के साथ जीत दर्ज की थी। 3 लाख 56 हज़ार वोटों के साथ सीपीआई के सत्यम मोकेरी दूसरे नंबर पर रहे थे। तीसरे नंबर पर बीजेपी के पी.आर. रसमिलनाथ ने 80 हज़ार वोट पाए थे।
इससे पहले के 2009 के चुनाव में भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी। हालाँकि तब एम.आई. शाहनवाज़ ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। उन्हें 4 लाख 10 हज़ार वोट मिले थे। जबकि सीपीआई के एम. रामातुल्ला को 2 लाख 57 हज़ार वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर 99 हज़ार वोटों के साथ एनसीपी के के. मुरलीधरन रहे थे। बीजेपी के सी. वासुदेवन मास्टर को सिर्फ़ 31 हज़ार वोट मिले थे।
इस लिहाज़ से वायनाड सीट को कांग्रेस की सुरक्षित सीट मानी जा सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गाँधी ने अपने लिए सुरक्षित सीट तलाशी है?
क्या अमेठी में हार का डर?
अमेठी के साथ ही वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ने पर बीजेपी आरोप लगाती है कि अमेठी सीट से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से तगड़े मुक़ाबले की वजह से ही राहुल गाँधी ने दक्षिण की एक ‘सुरक्षित’ सीट से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है। लेकिन राहुल ने इन आरोपों को ख़ारिज़ कर दिया था। वायनाड से चुनाव लड़ने के सवाल पर राहुल ने हाल ही में कहा था, 'दक्षिण भारत में एक भावना है कि मौजूदा सरकार में उन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दक्षिण भारत को लगता है कि नरेंद्र मोदी जी उससे शत्रुता का भाव रखते हैं। उनको लगता है कि इस देश की, निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनको शामिल नहीं किया जा रहा है।' राहुल ने कहा,
“
मैं दक्षिण भारत को संदेश देना चाहता था कि हम आपके साथ खड़े हैं। इसलिए मैंने केरल से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया।
राहुल गाँधी
वायनाड से चुनाव लड़ने की कई वजहें
राजनीति के जानकारों के मुताबिक़, राहुल गाँधी के वायनाड से चुनाव लड़ने के पीछे कई कारण हैं।- राहुल गाँधी दक्षिण से चुनाव लड़कर यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी प्राथमिकताओं में कहीं भी दक्षिण को नज़रअंदाज़ नहीं किया गया है।
- दक्षिण में बीजेपी सिर्फ़ कर्नाटक को छोड़कर बाक़ी जगह कमज़ोर है। राहुल की रणनीति है कि दक्षिण के कार्यकर्ताओं और सहयोगी दलों में उत्साह बढ़ाया जाए।
- कांग्रेस आलाकमान को लगता है कि वायनाड से चुनाव लड़ने की वजह से पार्टी को तीन राज्यों, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में सीधा फ़ायदा होगा।
- कांग्रेस नहीं चाहती कि बीजेपी पिछले दिनों हुए सबरीमला आंदोलन का राजनीतिक लाभ उठाए।
- राहुल से पहले उनकी माँ सोनिया गाँधी और दादी इंदिरा गाँधी भी दक्षिण से चुनाव लड़ चुकी हैं।
सोनिया और इंदिरा भी गयी थीं
बता दें कि गाँधी परिवार में इससे पहले सोनिया गाँधी और इंदिरा गाँधी भी दक्षिणी राज्यों से चुनाव लड़ चुकी हैं। 1999 में सोनिया गाँधी अपना पहला चुनाव रायबरेली के साथ कर्नाटक के बेल्लारी सीट से भी लड़ा था। इसी तरह इंदिरा गाँधी 1980 में रायबरेली के साथ आंध्रप्रदेश की मेडक सीट से एक साथ चुनाव लड़ा था। तब दोनों नेताओं ने ही जीत दर्ज की थी।