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यूपी में मोदी के ख़िलाफ़ राहुल ने खोला मोर्चा, पर एक-दो पदयात्रा से क्या होगा?

यूपी में मोदी के ख़िलाफ़ राहुल ने खोला मोर्चा, पर एक-दो पदयात्रा से क्या होगा?

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी के बाद अब राहुल ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ हमलावर हो गए हैं, लेकिन इसका चुनाव पर क्या असर होगा?

उत्तर प्रदेश में योगी और मोदी के ख़िलाफ़ एक और मोर्चा खुल गया है। अभी तक बीजेपी अखिलेश यादव की भारी भीड़ वाली जन सभाओं से और प्रियंका गांधी के हमलों से ही परेशान थी, पर अब राहुल गांधी ने बची खुची कसर भी पूरी कर दी है। उत्तर प्रदेश के गरम होते चुनावी माहौल में राहुल गांधी ने आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला किया।

उनके भाषण की बानगी देखने वाली है। राहुल गांधी ने कहा, ‘कुछ दिन पहले पीएम ने गंगा में स्नान किया। पहली बार मैंने जिंदगी में देखा कि एक आदमी स्वयं गंगा में स्नान कर रहा है। एक आदमी जाकर स्नान किया, ये पहली बार देखा। योगी जी को हटा दिया, राजनाथ जी को बाहर फेंक दिया। पूरी दुनिया को देखना है कि एक आदमी अकेला स्नान कर रहा है, और कोई नहीं कर सकता।  आपने सब अपनी आँखों से देखा। जब वे छोटे थे तो उन्होंने मगरमच्छ से लड़ाई लड़ी थी, मुझे तो लगता था कि तैरना ही नहीं आता।’

राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘आजकल देश में हिंदू धर्म की बात की जा रही है। हिंदू क्या होता है… मैं आपसे सवाल पूछना चाहता हूँ। क्या हिंदू झूठा होता है? हिंदू का मतलब है वो व्यक्ति जो सच्चाई के सामने पूरा जीवन चलता है, जो डर के सामने सर नहीं झुकाता, जो अपने डर को हिंसा, नफ़रत और क्रोध में नहीं बदलने देता है, उसे हम हिंदू कहते हैं। अगर उदाहरण देखना हो तो हमारे पास सबसे बेहतर उदाहरण है महात्मा गांधी। उन्होंने किताब लिखी, सत्य के साथ मेरे प्रयोग। इस सच्चाई की वजह से उन्हें देश ने महात्मा कहा।’ 

राहुल ने कहा, ‘दूसरी तरफ नाथूराम गोडसे था हिंदुत्ववादी था। उसे किसी ने महात्मा नहीं किया। क्यों गोडसे ने सच बोलने वाले हिंदू की छाती में तीन गोलियाँ मारीं। क्योंकि नाथूराम गोडसे एक कायर, कमजोर आदमी था और अपने डर का सामना नहीं कर पाया। उसने अपने डर को क्रोध और नफ़रत में बदला और सच्चाई बोलने वाले को गोली मार दी।’

राहुल गांधी के यूपी के चुनावी परिदृश्य में आने से कांग्रेस के पक्ष में माहौल तो बना है पर एक दो पद यात्रा से क्या कोई पार्टी जो सत्ता से क़रीब तीन दशक से बाहर है वह फिर से खड़ी हो सकती है?

यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का संगठन बदल भी रहा है। एक पीढ़ी जा रही है तो दूसरी आ रही है। विचार भी बदल रहे हैं तो दिशा भी बदल रही है। उदारीकरण को शुरू करने वाली कांग्रेस पार्टी अब निजीकरण के ख़िलाफ़ खड़ी है। वह सरकारी उपक्रमों को बेचे जाने का विरोध कर रही है। दूसरी तरफ स्वदेशी आंदोलन चलाने वाली वाली भारतीय जनता पार्टी ने अब लगता है स्वदेशी का विचार ही छोड़ दिया है। अब उसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों से कोई परहेज नहीं आई। वैसे भी उसकी नीतियाँ कारपोरेट के पक्ष वाली रही हैं। 

 - Satya Hindi

बीजेपी सरकार के राज में कारपोरेट क्षेत्र जमकर फलफूल रहा है। इसी के चलते देश में साल भर से ज़्यादा देर तक चलने वाला किसान आंदोलन भी चला। रेल, जहाज के निजीकरण की प्रक्रिया तेज़ हो रही है। भारतीय जीवन बीमा निगम के बाद बैंकों की बारी है। ऐसे में कांग्रेस के बदले हुए रुख से लोगों को उम्मीद भी बंध रही है। किसान आंदोलन को भी कांग्रेस का समर्थन मिला। दूसरे बीजेपी ने जिस तरह देश में जगह जगह सांप्रदायिक गोलबंदी को अप्रत्यक्ष समर्थन दिया है उससे अल्पसंख्यक समुदाय भी असुरक्षित महसूस कर रहा है। वह भी कांग्रेस के साथ जाना चाहता है पर वहीं पर जहाँ कांग्रेस बीजेपी को चुनौती देती नज़र आती है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सभाओं में भीड़ जुट रही है। खासकर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की सभाओं में। 

अभी भी मुख्य मुक़ाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही है। पर प्रियंका गांधी ने पिछले साल भर में जो माहौल बनाया है उसकी वजह से बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ माहौल बना है। और अब राहुल गांधी के आने के बाद बीजेपी के ख़िलाफ़ एक नया मोर्चा और खुल गया है।

पर इस सबके बावजूद कांग्रेस का ज़मीनी स्तर पर कितना असर पड़ रहा है यह जानना महत्वपूर्ण है। कांग्रेस भले ही दावा करे पर बूथ स्तर पर कांग्रेस के पास फ़िलहाल वह ताक़त नहीं है जो विधानसभा में उसे बीजेपी और सपा के मुक़ाबले में खड़ा कर सके। पर अगर बात 2024 के चुनाव की होगी तो कांग्रेस की यह तैयारी महत्वपूर्ण है। प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में जो माहौल बनाया है उसे अब राहुल गांधी जो धार देंगे उसका असर आगे तक जाएगा। राहुल गांधी इस समय संघ और बीजेपी से सीधे मोर्चा लेने वाले राष्ट्रीय स्तर के अकेले नेता हैं। यही उनकी राजनीतिक पूंजी है जो बढ़ती जा रही है। इस मामले में और कोई नेता उनके सामने ठहरता भी नहीं है। इसकी बानगी ऊपर दिए उनके भाषण में देखी जा सकती है।

वे यूपी में बीजेपी विरोधी अभियान को और तेज़ कर रहे हैं। इसका अप्रत्यक्ष फायदा तो समाजवादी पार्टी को भी मिलेगा ही। इसलिए राहुल गांधी के अभियान को अलग नज़रिए से देखा जाना चाहिए। वैसे भी राहुल गांधी ही वे नेता रहे हैं जिन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस को सपा, बसपा और भाजपा के बराबर लाकर खड़ा कर दिया था। तब वे आंदोलन कर रहे थे तो दलितों के घर रुकते थे। जो अब शायद लोगों को याद भी नहीं है।

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