राहुल गाँधी का तंज- मनरेगा पर मोदी का यू-टर्न
प्रधानमंत्री मोदी ने जिस मनरेगा को पाँच साल पहले संसद में खड़े होकर 'कांग्रेस की विफलता का स्मारक' बताया था उस पर अब राहुल गाँधी ने तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि मनरेगा पर मोदी का यू-टर्न।
दरअसल, राहुल गाँधी का यह ट्वीट हाल के विशेष आर्थिक पैकेज में मनरेगा के लिए 40 हज़ार करोड़ रुपये के प्रावधान किए जाने को लेकर है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले हफ़्ते ही कोरोना संकट के बाद 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पैकेज के बारे में पाँच अलग-अलग दिनों में विस्तृत जानकारी दी है। इसी दौरान वित्त मंत्री ने कहा है 40 हज़ार करोड़ रुपये का प्रावधान मनरेगा के लिए किया गया है।
राहुल गाँधी ने इसी बात को लेकर आज ट्वीट किया। उन्होंने पहले तारीफ़ में लिखा कि MNREGA की दूरदर्शिता को समझने और उसे बढ़ावा देने के लिए हम उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं। और फिर हैशटैग से तंज कसे।
प्रधानमंत्री ने UPA काल में सृजित MNREGA स्कीम के लिए 40,000 करोड़ का अतिरिक्त बजट देने की मंज़ूरी दी है। MNREGA की दूरदर्शिता को समझने और उसे बढ़ावा देने के लिए हम उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं।#ModiUturnOnMNREGA pic.twitter.com/XMOmhXhVeD
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 18, 2020
ट्वीट के पहले हिस्से में तो राहुल गाँधी ने तारीफ़ की लेकिन आख़िर में उन्होंने जो हैशटैग दिया वह प्रधानमंत्री पर ज़बरदस्त तंज है। बिल्कुल उसी अंदाज़ में जिस अंदाज़ में प्रधानमंत्री मोदी ने काफ़ी पहले संसद में कांग्रेस पर तंज कसा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनरेगा को कांग्रेस की विफलताओं का जीता-जागता स्मारक बताते हुए कहा था कि वह गाजे-बाजे के साथ इसका ढोल पीटेंगे।
क्या कहा था प्रधानमंत्री मोदी ने
बता दें कि 2015 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'मेरी राजनैतिक सूझबूझ कहती है, मनरेगा कभी बंद मत करो... मैं ऐसी ग़लती कभी नहीं कर सकता, क्योंकि मनरेगा आपकी विफलताओं का जीता-जागता स्मारक है... आज़ादी के 60 साल बाद आपको लोगों को गड्ढे खोदने के लिए भेजना पड़ा... यह आपकी विफलताओं का स्मारक है, और मैं गाजे-बाजे के साथ इस स्मारक का ढोल पीटता रहूँगा... दुनिया को बताऊँगा, ये गड्ढे जो तुम खोद रहे हो, ये 60 सालों के पापों का परिणाम हैं... इसलिए मेरी राजनैतिक सूझबूझ पर आप शक मत कीजिए... मनरेगा रहेगा, आन-बान-शान के साथ रहेगा, और गाजे-बाजे के साथ दुनिया में बताया जाएगा... हाँ, एक बात और ज़रूरी है, क्योंकि मैं देशहित के लिए जीता हूँ और इसमें (मनरेगा में) से देश का अधिक भला कैसे हो, उन ग़रीबों का भला कैसे हो, उसके लिए इसमें जो जोड़ना पड़ेगा, हम जोड़ेंगे...'
साफ़ है कि प्रधानमंत्री मोदी कहना चाह रहे थे कि इतने लंबे समय बाद भी देश में ग़रीबी क्यों है। अब शायद राहुल गाँधी भी यही सवाल कर रहे हैं कि बीजेपी के इतने लंबे समय से सत्ता में होने के बावजूद इतनी ग़रीबी क्यों है कि बीजेपी को 40 हज़ार करोड़ रुपये मनरेगा के लिए प्रावधान करना पड़ रहा है।