रफ़ाल : भारत में क्लीन चिट और फ़्रांस में जाँच की तैयारी?
रफ़ाल पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर जहाँ देश का पत्रकार जगत विस्मित है, वहीं भारत में पत्रकारिता कर रहे विश्व के अन्य देशों के प्रसिद्ध मीडिया समूहों के पत्रकार हतप्रभ हैं।
खु़द फ़्रांस के सबसे बड़े मीडिया समूह 'ल मोन्द' के दिल्ली में तैनात साउथ एशिया ब्यूरो चीफ़ जूलियाँ बूइसू ने शनिवार शाम को ट्वीट किया कि यहाँ दिल्ली में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भले ही कहा हो कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है लेकिन फ़्रांस के नैशनल पब्लिक प्रासिक्यूटर का दफ़्तर अभी भी विचार कर रहा है कि क्या इस मामले में जाँच शुरू की जाए।
The SC ruled today that it lacks jurisdiction over the Rafale deal case. But in France, the National Public Prosecutor's office is still considering whether to start an enquiry.
— julien bouissou (@jubouissou) December 14, 2018
शुक्रवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बताया था कि जिस कैग रिपोर्ट और पीएसी द्वारा उसके अनुमोदन की बात सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में है, वह कैग रिपोर्ट तो पीएसी में अब तक पेश ही नहीं की गई है। संयोग ही है कि पीएसी के अध्यक्ष लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राहुल के साथ ही बैठे थे। खड़गे ने भी कहा था कि उनके सामने ऐसी कोई रिपोर्ट आई ही नहीं।
भारत में जहाँ मीडिया का बड़ा हिस्सा हर मामले की तरह इस मामले में भी सरकार से भी आगे बढ़कर उसे क्लीन चिट दे रहा है, वहीं फ़्रांस में इसका उलट हो रहा है। वहीं की एक वेबसाइट मीडियापार्ट ने निवर्तमान राष्ट्राध्यक्ष ओलांद का इंटरव्यू छापा था जिसमें ओलांद ने यह दावा किया था कि नई दिल्ली ने उन पर अनिल अंबानी को जबरन थोपा था।
एक दूसरी वेबसाइट ने दसॉ कंपनी के संबंधित अधिकारियों के आंतरिक पत्राचार को लीक कर बताया था कि एचएएल की जगह अंबानी को इस डील में किसने डाला था! वहीं से यह ख़बर भी यहाँ तक पहुँची कि इसी दौरान अनिल अंबानी की एंटरटेनमेंट कंपनी, ओलांद के एक पार्टनर को एक फ़िल्म प्रोजेक्ट में फ़ाइनेंस करने जा पहुँची।
जो लोग सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में मोदी सरकार के लिए अमृत पाने का एलान कर रहे थे, सोशल मीडिया और रेग्युलर मीडिया में जारी कोलाहल देख राय बदलने या चुप रहने पर मजबूर हो गए हैं। बहुत समय बाद लगभग अविवादित सुप्रीम कोर्ट की बेंच के फ़ैसले पर इतना बड़ा विवाद पैदा हुआ है।