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राधिका खेड़ा का कांग्रेस से इस्तीफा- 'राम की भक्त, महिला होने के नाते आहत हूँ'

राधिका खेड़ा का कांग्रेस से इस्तीफा- 'राम की भक्त, महिला होने के नाते आहत हूँ'

राधिका खेड़ा ने हाल ही में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की एक बैठक में मनमुटाव के बाद कहा था कि पुरुषवादी मानसिकता से ग्रसित लोग आज भी बेटियों को पैरों तले कुचलना चाह रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी को रविवार को एक और झटका लगा है। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेड़ा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ कांग्रेस में अपमान किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि 'प्रभु श्री राम की भक्त और एक महिला होने के नाते मैं बेहद आहत हूँ'। उन्होंने दावा किया है कि पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं को अवगत कराने के बाद भी उनको 'न्याय' नहीं मिला।

राधिका खेड़ा ने एक ट्वीट में कहा है कि वह कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता छोड़ रही हैं और उन्होंने बेहद आहत होकर अपने पद से इस्तीफा दिया है।

राधिका खेड़ा ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे अपने त्यागपत्र में कहा, 'हां, मैं लड़की हूं और लड़ सकती हूं। मैं अब यही कर रही हूं। मैं अपने और अपने देशवासियों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ती रहूंगी।'

उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को संबोधित अपने ख़त की शुरुआत में लिखा है, 'आदिकाल से ये स्थापित सत्य है कि धर्म का साथ देने वालों का विरोध होता रहा है। हिरण्यकशिपु से लेकर रावण और कंस तक इसका उदाहरण हैं। वर्तमान में प्रभु श्रीराम का नाम लेने वालों का कुछ लोग इसी तरह विरोध कर रहे हैं।'

राधिका ने कहा है कि उन्हें पार्टी के भीतर आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि वह खुद को अयोध्या में राम मंदिर जाने और राम लला की मूर्ति की एक झलक पाने से नहीं रोक सकीं।

उन्होंने कहा, 'मैंने अपने जीवन के 22 साल से अधिक इस पार्टी को दिए हैं और एनएसयूआई से लेकर कांग्रेस के मीडिया विभाग तक पूरी ईमानदारी से काम किया है। इसके बावजूद मुझे इतने तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि मैं अयोध्या में राम का समर्थन कर रही हूं।' उन्होंने कहा है, '

मैंने हमेशा दूसरों के न्याय के लिए हर मंच से लड़ाई लड़ी है, लेकिन जब खुद के न्याय की बात आई तो मैंने खुद को पार्टी में हारा हुआ पाया। भगवान श्री राम की भक्त और एक महिला होने के नाते, मैं बहुत आहत हूं।


राधिका खेड़ा

उन्होंने पत्र में कहा, 'क्या आपकी लड़ाई रामलला से है या आपकी लड़ाई किसी राजनीतिक दल से है? इस पार्टी को फैसला करना होगा। मैंने छह दिनों तक इंतजार किया और न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसलिए 22 साल बाद, मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।'

बता दें कि पाँच दिन पहले राधिका खेड़ा के साथ कथित दुर्व्यवहार मामला आया था। इस मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने दखल दिया था। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से ख़बर आई थी कि छत्तीसगढ़ के लिए पार्टी की मीडिया समन्वयक राधिका खेड़ा और शुक्ला के बीच 30 अप्रैल को पार्टी कार्यालय में बहस हुई थी। यह बहस कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के अगले दिन होने वाले दौरे को लेकर हुई थी।

तब राधिका खेड़ा ने 'एक्स' पर कहा था, 'कौशल्या माता के मायके में बेटी सुरक्षित नहीं है। पुरुषवादी मानसिकता से ग्रसित लोग आज भी बेटियों को पैरों तले कुचलना चाह रहे हैं। करूंगी खुलासा।' 

एएनआई से बात करते हुए राधिका ने रविवार को कहा कि उन्होंने कभी भी पार्टी लाइन नहीं पार की और खुद को सनातन धर्म का अनुयायी बताया।

उन्होंने कहा, "मैंने कभी भी पार्टी लाइन का उल्लंघन नहीं किया है, मैंने पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम किया है। सिर्फ इसलिए कि मैंने अयोध्या का दौरा किया और सिर्फ इसलिए कि मैं हिंदू हूं, मैं सनातन धर्म का अनुयायी हूं। मुझे न्याय नहीं दिया गया।'

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