+
आज भी अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाए जाते हैं: अमिताभ

आज भी अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाए जाते हैं: अमिताभ

अपने अभिनय के लिए दुनिया भर में जाने-पहचाने जाने वाले अमिताभ बच्चन के द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाए जाने की बात कहना एक बड़ा मुद्दा है। आखिर पिछले कुछ सालों में कई फिल्मों और विज्ञापनों को लेकर विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है। 

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने फिल्मों में अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर सवाल उठाया है। कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2022 के मंच पर उन्होंने कहा, “1952 में सिनेमेटोग्राफर एक्ट ने सेंसरशिप को निर्धारित किया था और आज भी फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड के द्वारा इसे बरकरार रखा गया है। लेकिन बावजूद इसके मंच पर बैठे मेरे साथी इस बात से सहमत होंगे कि आज भी नागरिक आजादी और अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।” 

इस कार्यक्रम में दिग्गज अभिनेता शाहरुख खान ने भी अपनी बात रखी और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नेगेटिव बातों का जिक्र किया। शाहरुख ने कहा, “मैंने कहीं पढ़ा है कि नकारात्मकता सोशल मीडिया के इस्तेमाल को बढ़ाती है और इस तरह इसके व्यावसायिक मूल्य को भी बढ़ाती है। इस तरह की चीजें सामूहिक नैरेटिव गढ़ती हैं, जिससे यह विभाजनकारी और विनाशकारी हो जाता है।'

शाहरुख ने कहा कि दुनिया चाहे कुछ भी करे, हम जैसे लोग सकारात्मक रहेंगे।

बताना होगा कि पिछले कुछ दिनों में शाहरुख खान की जल्द आने वाली फिल्म पठान का सोशल मीडिया पर जोरदार विरोध हो रहा है। इस फिल्म के बहिष्कार को लेकर भी अभियान चलाया गया है।

अपने अभिनय के लिए दुनिया भर में जाने-पहचाने जाने वाले अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के द्वारा इस तरह के गंभीर सवालों को उठाया जाना एक बड़ा मुद्दा है।

पठान को लेकर विवाद

पठान फिल्म के गाने बेशर्म रंग को लेकर बीजेपी के नेता और दक्षिणपंथी संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं। इसमें अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के द्वारा पहने गए भगवा रंग के कपड़ों और नाम बेशर्म रंग को लेकर दक्षिणपंथी संगठन सवाल उठा रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चेतावनी दी है कि ‘पठान फ़िल्म के गाने में अभिनेत्री की वेशभूषा और दृश्यों को ठीक करें, नहीं तो फिल्म को प्रदेश में अनुमति दी जाए अथवा नहीं, इस पर फैसला किया जाएगा।’ इसके साथ ही ट्विटर पर हैशटैग 'बॉयकॉट पठान' भी ट्रेंड कराया जा रहा है। 

 - Satya Hindi

लाल सिंह चड्ढा का विरोध

इस साल अगस्त के महीने में आई आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा का भी ट्विटर पर जोरदार विरोध हुआ था तब ट्विटर पर #BoycottLaalSinghChaddha हैशटैग चलाया गया था। विरोध करने वाले दक्षिणपंथी संगठनों ने आमिर खान के साल 2015 में दिए गए उस बयान का विरोध किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पत्नी किरण को भारत में डर लगता है। तब आमिर खान ने कहा था कि हमारा देश बहुत सहनशील देश है लेकिन यहां कुछ ऐसे लोग हैं जो नफरत फैलाते हैं। 

उस दौरान भी आमिर खान और किरण के इस बयान का जबरदस्त विरोध हुआ था और दक्षिणपंथी समूहों ने आमिर खान के खिलाफ बहिष्कार का अभियान चलाया था। 

 - Satya Hindi

तनिष्क के विज्ञापन पर विवाद

थोड़ा और अगर पीछे जाएं तो साल 2020 में तनिष्क ज्वैलरी के विज्ञापन को लेकर कुछ लोगों ने विवाद खड़ा कर दिया था और उसके बाद इस विज्ञापन को हटाना पड़ा था। इस विज्ञापन में दो अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों के बीच शादी को दिखाया गया था। इसके खिलाफ सोशल मीडिया पर #BoycottTanishq हैशटैग ट्रेंड कराया गया था। 

आदिपुरुष के टीजर पर हंगामा

इस साल अक्टूबर में फिल्म आदिपुरुष के टीजर को लेकर विवाद हो गया था। हिंदू महासभा ने फिल्म में रावण का किरदार निभाने वाले सैफ अली खान के लुक पर सवाल उठाए थे और मध्य प्रदेश सरकार ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। 

 - Satya Hindi

क्या थी विरोध की वजह?

ट्विटर पर कई लोगों ने कहा था कि रावण की भूमिका निभा रहे सैफ अली खान को मुगल शासक तैमूर की तरह दिखाया गया है। कुछ ट्विटर यूजर्स ने सैफ अली खान की तुलना अलाउद्दीन खिलजी से की थी और कहा था कि यह फिल्म रामायण का अपमान करती है क्योंकि फिल्म में रावण और हनुमान को मुकुट पहने हुए नहीं दिखाया गया है। सैफ अली खान के हेयरकट को लेकर भी सवाल उठाए गए थे। 

इसके बाद आदिपुरुष के निर्माताओं ने इसमें बदलाव करने का वादा किया था। 

 - Satya Hindi

हर-हर महादेव फिल्म का विरोध

बीते महीने मराठी फिल्म हर-हर महादेव को लेकर मुंबई में एनसीपी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए थे। एनसीपी के विधायक और महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने ठाणे के एक मॉल में चल रही हर-हर महादेव फिल्म की स्क्रीनिंग को रुकवा दिया था।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या फिल्मों को सेंसर बोर्ड पास करेगा या फिर कुछ संगठन। सेंसर बोर्ड से फ़िल्म पास होने के बाद भी कई फ़िल्मों को सिनेमाघरों में चलाए जाने के लिए स्यवंभू संगठनों और संस्थाओं की दया पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसी शिकायतें हाल के कुछ सालों में काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई हैं।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें