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विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब कैसे देगी यूपी पुलिस?

विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब कैसे देगी यूपी पुलिस?

कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को तो उत्तर प्रदेश पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया लेकिन इसे लेकर उठ रहे कई अहम सवालों के जवाब देना शायद उसके लिए आसान नहीं होगा। 

कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को तो उत्तर प्रदेश पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया लेकिन इसे लेकर उठ रहे कई अहम सवालों के जवाब देना शायद उसके लिए आसान नहीं होगा। 

मीडिया में आ रही ख़बरों में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस जब विकास को ला रही थी तो उसके काफिले के साथ चल रही पत्रकारों की गाड़ी को रास्ते में ही रोक दिया गया। सवाल नहीं उठते अगर विकास का एनकाउंटर नहीं होता। पुलिस ने मीडिया को रोक दिया और उसके बाद विकास का एनकाउंटर हो गया। 

उत्तर प्रदेश पुलिस पूरे काफिले के साथ विकास को ला रही थी, ऐसे में जिस गाड़ी में विकास को लाया जा रहा था, उसी गाड़ी का एक्सीडेंट कैसे हुआ और एक्सीडेंट के पीछे क्या कारण रहे। इसके पीछे चल रही गाड़ियों को कोई नुक़सान क्यों नहीं हुआ, क्योंकि काफिले में चल रही गाड़ियों की रफ़्तार अच्छी-खासी होती है और उनमें आपस में दूरी भी बहुत ज़्यादा नहीं होती। क्या पुलिस इस पूरी घटना का कोई साक्ष्य मीडिया और जनता के सामने लाएगी। क्योंकि पुलिस की कहानी पर भरोसा करना मुश्किल है। 

बिना हथकड़ी के था विकास

पुलिस ने दावा किया है कि विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और उसने पुलिसकर्मियों पर गोली चला दी, इसके जवाब में पुलिस ने भी आत्म सुरक्षा में गोली चलाई। उत्तर प्रदेश पुलिस के पास क्या इस बात का कोई जवाब है कि वह ऐसे ख़तरनाक अपराधी जिसने अपने साथियों के साथ मिलकर 8 पुलिसकर्मियों को गोलियों से भून दिया हो, उसे वह बिना हथकड़ी लगाए क्यों ला रही थी। 

विकास के साथी प्रभात मिश्रा के मामले में भी पुलिस का यही कहना था कि उसने पुलिस को चकमा देकर भागने की कोशिश की थी। एनकाउंटर के दौरान कितनी गोलियां चलीं, इस बात का जवाब पुलिस को देना बाकी है।

ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है, जब भी एनकाउंटर होते हैं, पुलिस इसी तरह की कहानी बताती है कि अपराधी ने भागने की या हमला करने की कोशिश की और उसने उसे पकड़ने या आत्मरक्षा में गोली चलाई। 

इन सवालों से पहले सबसे बड़ा सवाल तो तभी खड़ा हुआ था, जब विकास की उज्जैन से गिरफ़्तारी हुई थी। सवाल यह था कि इतने दुर्दांत अपराधी को जिसे पुलिस की कई टीमें ढूंढ रही हैं, उसे एक साधारण से सुरक्षाकर्मी ने पकड़ लिया और वह कानपुर से फरीदाबाद और फिर उज्जैन कैसे पहुंच गया। 

विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित कई नेताओं और आम लोगों ने सवाल उठाया है कि विकास कई राज उगल सकता था। ये क्या राज थे, इनका पता तो अब नहीं चल पाएगा और साथ ही पुलिस के लिए भी एनकाउंटर को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देना मुश्किल होगा। 

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