यूक्रेन संकट के बीच क्वाड की बैठक आज, जानिए क्या है एजेंडा
यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच क्वाड की गुरुवार को वर्चुअल बैठक होगी। क्वाड में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत शामिल हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा वर्चुअल बैठक में शामिल होंगे। सवाल है कि ऐसे वक़्त में इस बैठक का एडेंडा क्या है?
विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि वर्चुअल शिखर सम्मेलन उन्हें अपनी बातचीत जारी रखने का अवसर प्रदान करेगा और वे हिंद-प्रशांत में महत्वपूर्ण विकास के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
PM @narendramodi will participate along with President of USA @POTUS @JoeBiden, Prime Minister of Australia @ScottMorrisonMP, and Prime Minister of Japan @kishida230 in a Quad Leaders' virtual meeting today.
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) March 3, 2022
Press Release ➡️ https://t.co/jEFRFrOiGH
वर्चुअल शिखर सम्मेलन तब हो रहा है जब यूक्रेन पर रूसी हमला हुआ है और अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो, यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन, जापान जैसे देश रूसी हमले का विरोध कर रहे हैं। इसके विरोध में वे आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे हैं। वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका को घरे रहे हैं। जबकि भारत इस मामले से खुद को दूर रख रहा है। भारत ने रूस के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र में वोटों से दूर रहने का फ़ैसला किया है, जबकि क्वाड के तीन अन्य सदस्यों ने यूक्रेन का समर्थन किया है।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने खुलेआम रूसी हमले की निंदा की है, रूसी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए हैं और ये यूक्रेन की सहायता कर रहे हैं।
जबकि इस पूरे मामले में भारत की स्थिति काफ़ी उलझन वाली है। एक तरफ़ तो रूस के साथ भारत के लंबे समय से संबंध रहे हैं और वह संकट में भारत का साथ निभाने वाले देश के तौर पर खुद को साबित कर चुका है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका के साथ भारत के संबंध काफी मजबूत हुए हैं। चीन की हरकतों पर लगाम लगाने में अमेरिका भारत का समर्थन करता रहा है।
क्वाड के गठन को भी चीन के संदर्भ में ही देखा जाता है। वैसे तो क्वाड का गठन एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति लाने और इसके विकास के उद्देश्य से किया गया है, लेकिन इसे आम तौर पर हिंद और प्रशांत क्षेत्र में उसकी आक्रामकता पर लगाम लगाने वाले गुट के तौर पर भी देखा जाता है।
इसी बीच चीन की रूस से नज़दीकी बढ़ी है। इसी वजह से रूस भी क्वाड को संदेह की नज़र से देखता है।
अब भारत के साथ समस्या यहीं पर है। यूक्रेन के समर्थन में पश्चिमी देशों की हाँ में हाँ मिलाने से रूस से रिश्ते ख़राब हो सकते हैं। क्वाड को लेकर चीन बिदकता है। इसकी वजह यह है कि वह हिंद और प्रशांत क्षेत्र में उस तरह की मनमानी नहीं कर सकता है जिस तरह से वह करना चाहता है।
यानी क्वाड में भारत का शामिल होना और बैठकें करना चीन के साथ ही रूस को भी कहीं न कहीं अखरता रहा है। लेकिन यूक्रेन में रूसी हमले के दौरान इस बैठक को लेकर रूस भी संदेह की नज़र से ज़रूर देखेगा। खासकर इसलिए भी कि यूक्रेन में रूसी हमले के ख़िलाफ़ अमेरिका दुनिया भर में आर्थिक प्रतिबंधों का नेतृत्व कर रहा है। इसके साथ ही वह रूस की हरकतों के ख़िलाफ़ दुनिया को एकजुट होने का आह्वान कर रहा है।
बहरहाल, भारत के प्रधानमंत्री क्वाड में बैठक में तो शामिल हो ही रहे हैं, रूस और यूक्रेन के नेतृत्व से बात भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बुधवार को ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की है। तो अब सबकी नज़र क्वाड में बैठक पर है कि आख़िर इसका क्या एजेंडा होता है।