पंजाब के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी की बड़ी परीक्षा संगरूर के उपचुनाव में होनी है। संगरूर सीट पर 23 जून को वोटिंग होनी है और आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, बीजेपी सहित बाकी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने अपने पर्चे दाखिल कर दिए हैं।
चुनाव मैदान में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमेल सिंह, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के उम्मीदवार सिमरनजीत सिंह मान, शिरोमणि अकाली दल की उम्मीदवार कमलदीप कौर राजोआना, कांग्रेस के उम्मीदवार दलवीर सिंह गोल्डी और बीजेपी की ओर से केवल सिंह ढिल्लों चुनाव मैदान में हैं।
क्योंकि संगरूर सीट मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस्तीफे से खाली हुई है इसलिए आम आदमी पार्टी पर इस सीट पर जीत हासिल करने को लेकर बड़ा दबाव है।
जूझ रही मान सरकार
लेकिन सत्ता संभालने के ढाई महीने के छोटे से कार्यकाल में ही आम आदमी पार्टी की सरकार को कई मोर्चों पर जूझना पड़ा है। नशे के कारण हो रही रही मौतों, पाकिस्तान से आ रही नशे और हथियार-बारूद की खेप, हिंदू-सिख संगठनों के बीच झड़प, पंजाब में खुफिया विभाग के दफ्तर पर हमला और सिद्धू मूसेवाला की हत्या के कारण पंजाब में माहौल बेहद गर्म है। भ्रष्टाचार के मामले में अपने मंत्री विजय इंदर सिंगला की बर्खास्तगी के कारण भी पार्टी और सरकार को आलोचना झेलनी पड़ी है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर खालिस्तान समर्थकों की नारेबाजी और जुलूस के कारण भी भगवंत मान सरकार आलोचकों के निशाने पर है।
संगरूर सीट पर जीत आम आदमी पार्टी के लिए इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां से 2014 और 2019 में मुख्यमंत्री भगवंत मान फतह हासिल कर चुके हैं। 2019 में आम आदमी पार्टी को देश भर में सिर्फ एक लोकसभा सीट पर जीत मिली थी और वह सीट संगरूर ही थी।
बीजेपी की ओर से उतारे गए केवल सिंह ढिल्लों 2007 और 2012 में बरनाला सीट से विधायक रहे हैं। वह 2 दिन पहले ही बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया। कांग्रेस में रहते हुए ढिल्लों पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के करीबियों में शुमार थे।
2022 के विधानसभा चुनाव में संगरूर लोकसभा सीट के तहत आने वाली सभी 9 विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी को बड़े अंतर से जीत हासिल हुई थी। इसी लोकसभा सीट में भदौड़ विधानसभा सीट भी शामिल है जहां से पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को हार मिली थी।
मान के करीबी हैं गुरमेल सिंह
आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमेल सिंह पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वह आम आदमी पार्टी के संगरूर जिले के अध्यक्ष भी हैं। भगवंत मान ने जब 2014 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा, वह तभी से मान के करीबी हैं। गुरमेल पढ़े-लिखे भी हैं और गणित से एमएससी करने के साथ ही एमबीए भी कर चुके हैं। वह पेशे से किसान भी हैं।
पहले यह चर्चा थी कि भगवंत मान संगरूर से अपनी बहन को टिकट दिलवाना चाहते हैं लेकिन फिर पार्टी ने गुरमेल सिंह को उतारने का फैसला किया। कांग्रेस की सरकार के दौरान गुरमेल सिंह पंजाब में तमाम मुद्दों को लेकर संघर्ष करते रहे हैं।
कमजोर है कांग्रेस
कांग्रेस के उम्मीदवार दलवीर सिंह गोल्डी 2017 में धुरी सीट से विधायक रहे हैं लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में वह भगवंत मान से चुनाव हार गए थे। कांग्रेस यहां से सिद्धू मूसेवाला को उम्मीदवार बनाना चाहती थी लेकिन सिद्धू की हत्या कर दी गई।
कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था और बीते शनिवार को ही 4 पूर्व मंत्रियों ने उसका साथ छोड़ दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष रहे सुनील जाखड़ के जाने के बाद से ही पार्टी पतन की ओर बढ़ रही है।
ऐसे में कांग्रेस बेहद कमजोर हो गई है और वह संगरूर के उपचुनाव में कोई बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी ऐसा मुश्किल दिख रहा है।
अकाली दल भी पस्त
शिरोमणि अकाली दल ने पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की बहन कमलदीप कौर राजोआना को चुनाव मैदान में उतारा है।
विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी को सिर्फ 3 सीटों पर जीत मिली और उसके सबसे बड़े नेता प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल भी चुनाव हार गए।
जेलों में बंद सिखों की रिहाई का मुद्दा उठाकर वह कुछ वोट हासिल करना चाहती है लेकिन वह कितना मुकाबला चुनाव में बाकी दलों का कर पाएगी यह देखने वाली बात होगी।
अलगाववाद की हिमायत करने वाले सिमरनजीत सिंह मान इस सीट से सांसद रहे हैं। हालांकि वह कई बार यहां से चुनाव हार भी चुके हैं लेकिन इस बार फिर चुनाव मैदान में हैं।
रिमोट कंट्रोल मुख्यमंत्री का आरोप
मुख्यमंत्री भगवंत मान पर सरकार को दिल्ली के इशारे पर चलाए जाने के आरोप पंजाब में लगातार लग रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि भगवंत मान सिर्फ नाम के मुख्यमंत्री हैं और पंजाब सरकार को आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल चला रहे हैं।
पंजाब पुलिस के द्वारा दिल्ली में आम आदमी पार्टी के पूर्व नेताओं कुमार विश्वास और अलका लांबा के घर छापेमारी करने को लेकर भी आम आदमी पार्टी और भगवंत मान सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। आम आदमी पार्टी को संगरूर के उपचुनाव में जीत हासिल कर इस तरह के आरोपों का भी जवाब देना होगा।
अगर आम आदमी पार्टी संगरूर में हार जाती है तो इससे निश्चित रूप से उस पर काफी दबाव बढ़ जाएगा। क्योंकि बीते ढाई महीने के कार्यकाल में हुई तमाम घटनाओं को लेकर विपक्ष और आलोचकों का कहना है कि भगवंत मान सरकार के लिए पंजाब जैसे बॉर्डर स्टेट को चला पाना बेहद मुश्किल है।