इस्तीफ़ा वापस लेते ही सिद्धू की कांग्रेस को नयी चेतावनी

06:46 pm Nov 05, 2021 | सत्य ब्यूरो

नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को कहा है कि उन्होंने पंजाब कांग्रेस प्रमुख के रूप में अपना इस्तीफा वापस ले लिया है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने पार्टी को नयी चेतावनी भी दे दी। उन्होंने कहा है कि एक नया महाधिवक्ता नियुक्त किए जाने पर ही वह अपने कार्यालय लौटेंगे और पदभार संभालेंगे। सिद्धू का यह बयान तब आया है जब इसी हफ़्ते ख़बर आई थी कि पंजाब के महाधिवक्ता एपीएस देओल ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कथित तौर पर उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया। एपीएस देओल को महाधिवक्ता नियुक्त किए जाने के ख़िलाफ़ सिद्धू लगातार आवाज़ उठाते रहे हैं। 

सिद्धू की इस नयी चेतावनी से कांग्रेस नेताओं में नये सिरे से विवाद बढ़ सकता है। चन्नी ने एपीएस देओल को महाधिवक्ता बनाया है, लेकिन सिद्धू उनको हटवाना चाहते हैं। 

जिन मांगों को लेकर सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा तक दे दिया था, हालाँकि स्वीकार नहीं हुआ, उनमें भी उनकी यह मांग शामिल थी। 

देओल ने सिद्धू के बार-बार हमलों के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। राज्य सरकार ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि इस्तीफा स्वीकार किया गया है या नहीं। लेकिन रिपोर्ट है कि चन्नी ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। इससे सिद्धू और भी नाराज़ हो गए हैं। 

नवजोत सिद्धू ने शुक्रवार को खुद को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी का सिपाही बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष, राहुल और प्रियंका के इस सिपाही ने इस्तीफा वापस ले लिया है। सिद्धू ने कहा, 

जब एक नया महाधिवक्ता नियुक्त किया जाएगा तो मैं पार्टी कार्यालय जाऊँगा और कार्यभार संभालूंगा।


नवजोत सिंह सिद्धू

देओल पूर्व पुलिस प्रमुख सुमेध सैनी के वकील थे, जो सिख धार्मिक ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग से संबंधित मामले के आरोपियों में से एक थे।

कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के तुरंत बाद अतुल नंदा के इस्तीफ़े से पद खाली हुआ था और तब एपीएस देओल को नियुक्त किया गया था। सिद्धू इनके साथ ही पंजाब के पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी इकबाल सिंह सहोटा को हटाने की मांग करते रहे हैं।

देओल की नियुक्ति ने पार्टी के भीतर भी एक बहस छेड़ दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह 2015 में कोटकपूरा और बहबल कलां में बेअदबी और पुलिस फायरिंग मामले में दो आरोपी पुलिसकर्मियों- पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी सुमेध सिंह सैनी और महानिरीक्षक परमराज सिंह उमरानंगल- के वकील थे। 

ये मुद्दे राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील हैं। पंजाब में चुनाव से पहले कांग्रेस ने भी कार्रवाई का आश्वासन दिया था। सिद्धू भी यह बात लगातार दोहराते रहे हैं। 

हाल ही में सिद्धू ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर 13 बिन्दुओं का एक एजेंडा पार्टी अध्यक्ष को दिया था। उसमें उन्होंने कहा था कि 2017 में चुनाव पूर्व वायदे पूरे किए जाने चाहिए और जल्द से जल्द काम किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा था कि पंजाब में कांग्रेस को बचाने का यह अंतिम मौक़ा है और इसके बाद डैमेज कंट्रोल का कोई मौक़ा नहीं मिलेगा।

बता दें कि सितंबर महीने में मुख्यमंत्री चन्नी द्वारा मंत्रिमंडल में नये मंत्रियों के शामिल करने और कई अधिकारियों की नियुक्ति के बाद सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका यह इस्तीफ़ा ऐसे समय में आया था जब लग रहा था कि पंजाब कांग्रेस में सबकुछ ठीक होने को था। तब जो तसवीरें आई थीं उनमें भी सिद्धू नये मुख्यमंत्री के साथ काफ़ी सहज और खुश दिखते रहे थे। यहाँ तक कि जिस कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनकी तनातनी चल रही थी उनको भी दरकिनार कर दिया गया था। उसी दौरान ख़बर आई थी कि सिद्धू नये मंत्रिमंडल में नियुक्ति को लेकर उनसे सलाह नहीं ली गई थी और पुलिस महानिदेशक और महाधिवक्ता की नियुक्ति से भी सिद्धू बेहद नाराज़ थे। समझा जाता है कि इन्हीं मसलों को लेकर चन्नी और सिद्धू में भी विवाद चला आ रहा है।