आप-कांग्रेस गठबंधन बहुमत में तो बीजेपी ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव कैसे जीत लिया?
जिस चंडीगढ़ मेयर के चुनाव को लेकर पिछले साल बड़ा विवाद हुआ था उसके चुनाव में फिर से बीजेपी ने बाजी मार ली है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के पास पार्षदों की संख्या बीजेपी के पार्षदों से काफ़ी ज़्यादा होने के बावजूद गठबंधन मेयर पद पर चुनाव नहीं जीत सका। चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई और बीजेपी का मेयर पद पर कब्जा हो गया।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजोपी को 19 वोट मिले, जबकि आप-कांग्रेस गठबंधन को 17 वोट ही मिल पाए। ऐसा तब है जब चुनाव से पहले आप के 13 व कांग्रेस के 6 और बीजेपी के 16 पार्षद थे। इसके अलावा चंडीगढ़ के सांसद (कांग्रेस) के पास भी 1 वोट था। यानी चुनाव से पहले आप-कांग्रेस गठबंधन के पास 20 वोट थे और बीजेपी के पास 16 वोट।
चुनाव से कुछ दिन पहले कांग्रेस पार्षद गुरबक्श रावत ने बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिससे बीजेपी की संख्या 16 हो गई। चंडीगढ़ नगर निगम में 35 सदस्य होते हैं, जिनमें निर्वाचित पार्षद और चंडीगढ़ के सांसद शामिल हैं, जिन्हें पदेन सदस्य के रूप में वोटिंग का अधिकार है।
चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला ने आप की प्रेम लता को हराया। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी और आप-कांग्रेस गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर थी।
किसने की क्रॉस वोटिंग?
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन ने क्रॉस वोटिंग रोकने के लिए काफ़ी मेहनत की थी। इसने अपने सभी पार्षदों को रिसॉर्ट में ठहराया था। आम आदमी पार्टी के पार्षदों की निगरानी पंजाब पुलिस कर रही थी, जबकि कांग्रेस पार्षद पर पार्टी के ही नेता नज़र रख रहे थे। इसके बावजूद बीजेपी के पक्ष में तीन पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग कर दी।
चुनाव गुप्त मतदान के माध्यम से कराया गया था इसलिए ये नहीं पता चल सकता है कि क्रॉस वोटिंग किन पार्षदों ने की है।
पिछली बार के चुनाव में विवाद होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के पूर्व जज को स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। जस्टिस जयश्री ठाकुर की निगरानी में ये चुनाव कराये गये। चुनाव की लगातार वीडियोग्राफी, बिजली आपूर्ति प्रबंधन और असेंबली हॉल को कवर करने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर भी आदेश जारी किये गये थे।
मनोनीत पार्षद रमणीक सिंह बेदी को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया तथा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जयश्री ठाकुर को चुनावों की निगरानी के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि चुनाव की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाए।
बता दें कि चंडीगढ़ मेयर का चुनाव अदालत तक इसलिए पहुँचा था कि पिछली बार हुए चुनाव में गड़बड़ियों के आरोप लगे थे। तब चंडीगढ़ मेयर के लिए विवादित चुनाव में भाजपा के मनोज सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया था। सोनकर को अपने प्रतिद्वंद्वी कुलदीप के 12 वोटों के मुकाबले 16 वोट मिले थे। आठ वोट अवैध घोषित किए गए थे। इसके बाद आप ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाए थे। आप ने भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और मांग की थी कि मतपत्रों से 'छेड़छाड़' करने के लिए पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को गिरफ्तार किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में मामला गया था तो इसने अनिल मसीह के ख़िलाफ़ कड़ी टिप्पणी की थी और उस चुनाव को अवैध घोषित कर दिया था। इसके बाद ही नये सिरे से चुनाव हुआ है।