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पंजाबः ग्रामीण स्वास्थ्यकर्मी मोहल्ला क्लीनिक में, भारी विरोध 

पंजाबः ग्रामीण स्वास्थ्यकर्मी मोहल्ला क्लीनिक में, भारी विरोध 

पंजाब में मोहल्ला क्लिनिक ग्रामीण हेल्थ सिस्टम के कर्मचारियों को मोहल्ला क्लिनिक में ट्रांसफर किए जाने की कीमत पर खोले जा रहे हैं। गांवों में सरकारी डिस्पेंसरी पर ताले पड़ गए हैं। गांवों में इसका जमकर विरोध हो रहा है। 

पंजाब के ग्रामीण औषधालयों से बड़ी संख्या में डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को मोहल्ला क्लीनिकों में भेजने का सरकार के कदम का ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया है।

द ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 400 नए आम आदमी क्लीनिकों के उद्घाटन से ठीक पहले, सरकार ने इन मोहल्ला क्लीनिकों में बड़ी संख्या में ग्रामीण चिकित्सा अधिकारी, फार्मासिस्ट और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को तैनात किया है।

ये डॉक्टर और अन्य कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्रों में डिस्पेंसरियों में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे थे। इनका प्रबंधन ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग द्वारा किया जा रहा था। ग्रामीण क्षेत्रों की लाइफलाइन रहे इन स्वास्थ्य केंद्रों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। 

द ट्रिब्यून के मुताबिक न सिर्फ कर्मचारी बल्कि ग्राम पंचायतें भी इसका कड़ा विरोध कर रही हैं। बरनाला के सेहना और पाखो, रोपड़ के डुमना, एसएएस नगर के छत, मोगा के ढल्के, मनसा के धाईपाई और मलेरकोटला के बनभौरा सहित कई गांवों में सरकार और ग्रामीणों के बीच आमना-सामना हुआ।

ग्रामीणों ने कहा कि इस कदम से ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र तो बंद हो जाएंगे और उन्हें इलाज के लिए दूर-दराज के स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को मोहल्ला क्लीनिक बनाने को लेकर सहना निवासी विधायक लाभ सिंह उगोके से बहस करते देखे गए। 

द ट्रिब्यून के मुताबिक सरकार के फैसले का असर फार्मासिस्टों और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों पर पड़ेगा जिन्हें कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर क्रमश: 10,000 रुपये और 6,000 रुपये के मामूली वेतन पर रखा गया है। वे नौकरी करने में इसलिए सक्षम थे क्योंकि उनमें से ज्यादातर उसी या आसपास के गांवों से थे। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों को बंद करने के साथ ही उन्हें दूर-दराज के क्षेत्रों में ट्रांसफर कर दिया गया था, जिससे उन पर आर्थिक बोझ पड़ गया है।

ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री कुलदीप धालीवाल से द ट्रिब्यून ने संपर्क करना चाहा, लेकिन उसके सभी प्रयास व्यर्थ रहे क्योंकि उनके कर्मचारियों ने कहा कि मंत्री अस्वस्थ हैं। बार-बार प्रयास करने के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह से भी संपर्क नहीं हो सका।

इस बीच, शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने शनिवार को दावा किया कि आप सरकार राज्य की 50 प्रतिशत आबादी से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को हटाकर ग्रामीणों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है।

मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि वे जल्द ही राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से संपर्क करेंगे। उन्होंने आम आदमी पार्टी से कहा कि वो सरकार की योजनाओं को खुद की योजना बताकर पेश नहीं करे।

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