दिल्ली पहुंचे अमरिंदर, कैसे सुलझाएगा हाईकमान पंजाब कांग्रेस की ‘जंग’?
पंजाब कांग्रेस में चल रहे सियासी युद्ध के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह गुरूवार को दिल्ली पहुंचे हैं। दूसरी ओर, अमरिंदर से नाराज़ कांग्रेस विधायकों, सांसदों और मंत्रियों ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। ख़बर यह भी है कि चंडीगढ़ में बुधवार को अमरिंदर कैबिनेट की वर्चुअल बैठक में छह मंत्री शामिल नहीं हुए और उन्हें बुलावा भेजना पड़ा।
बातचीत कर रही कमेटी
पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू व कुछ अन्य नेताओं के कैप्टन के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने के बाद हाईकमान को बीच में आना पड़ा था और उसने तीन सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल शामिल हैं।
यह कमेटी अब तक कुल 25 विधायक-मंत्रियों के अलावा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ से भी बातचीत कर चुकी है। अब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से बातचीत करने के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपेगी।
क्यों नाराज हैं कांग्रेस नेता?
सिद्धू सहित इन तमाम नेताओं की शिकायत है कि 2015 में गुरू ग्रंथ साहिब के बेअदबी मामले और कोटकपुरा गोलीकांड के दोषियों को सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद भी नहीं पकड़ा जा सका है। इस मामले में अमरिंदर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बेअदबी मामले में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार को बचाने की पूरी कोशिश की है और ऐसा करके जनता से धोखा किया गया है। क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पंजाब में जनता से वादा किया था कि वह इस मामले के दोषियों को सजा दिलाएगी।
इसके अलावा ज़मीन, रेत, ड्रग्स, केबल और अवैध शराब के माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई न होने का भी सवाल विधायकों ने उठाया है। इनका कहना है कि अमरिंदर सिंह के कामकाज का तरीक़ा तानाशाही वाला है।
समर्थक-विरोधियों में जंग
सिद्धू ने मोर्चा खोला तो प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलों, जेल मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे चुके सुखजिंदर सिंह रंधावा, कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, विधायक परगट सिंह, सुरजीत सिंह धीमान और लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू भी उनके साथ खड़े हो गए। दूसरी ओर, अमरिंदर सिंह की कैबिनेट के सात मंत्री सामने आए और कहा कि पार्टी हाईकमान को सिद्धू के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए।
मामले को बढ़ता देख कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब कांग्रेस के कुछ विद्रोही स्वरों वाले विधायकों से बात की है। विधायकों ने उन्हें बताया है कि बेअदबी और कोटकपुरा फ़ायरिंग मामले में कार्रवाई न होने के कारण पंजाब के लोगों में नाराज़गी है।
आप-बीजेपी-अकाली दल हमलावर
कांग्रेस के भीतर मची इस लड़ाई को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी उस पर हमलावर हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरूण चुघ ने एबीपी न्यूज़ से कहा, कांग्रेस के नेता इसलिए नहीं झगड़ रहे हैं कि अस्पतालों में वैक्सीन पहुंचाएं, ऑक्सीजन पहुंचाए, बंदरबांट पर झगड़ा हो रहा है, आधी सरकार ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है, आधी सरकार फ़ॉर्म हाउस में आराम कर रही है और पंजाब की जनता पिस रही है।
अकाली दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि पंजाब कांग्रेस में कोरोना से लड़ने के बजाए कुर्सी की लड़ाई चल रही है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने ख़ुद को बंद कर लिया है और दिल्ली चले गए हैं। दवाओं की कालाबाज़ारी, कोरोना सेंटर्स खोलने या वैक्सीन की ख़रीद पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है।”
आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रभारी राघव चड्ढा ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री बनने की लड़ाई में आपस में लड़ते-लड़ते पूरी तरह बिखर गई है।
कई तरह के फ़ॉर्मूले
सियासी रण को थामने के लिए कई तरह के फ़ॉर्मूलों पर चर्चा हो रही है। एक फ़ॉर्मूला यह है कि दो डिप्टी सीएम बनाए जाएं और इनमें से एक दलित समुदाय से हो। पंजाब में दलित सीएम या डिप्टी सीएम बनाए जाने की मांग ने बीते दिनों जोर पकड़ा है। इसके अलावा एक चर्चा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने या दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की भी है।
ख़बरों के मुताबिक़, सिद्धू की ख़्वाहिश प्रदेश अध्यक्ष बनने की है लेकिन अमरिंदर सिंह इसके लिए तैयार नहीं हैं। इसके अलावा जाखड़ को अध्यक्ष पद पर बनाए रखते हुए दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाने पर भी विचार चल रहा है, इसमें हिंदू और सिख समुदाय को एक-एक पद दिया जा सकता है।
कुछ भी हो कांग्रेस आलाकमान को चुनाव से 8 महीने पहले शुरू हुए इस सत्ता संघर्ष को थामना ही होगा, वरना दिल्ली पहुंचे इन विधायकों-नेताओं की नाराज़गी पार्टी को भारी पड़ेगी, यह तय माना जाना चाहिए।